रांचीः नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज (Netarhat Field Firing Range) में अब बंदूक की गोलियों की तरतराहट सुनाई नहीं देगी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) ने नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के समय विस्तार के प्रस्ताव को मंजूरी देने से इनकार कर दिया है. बता दें कि 1964 में शुरू हुए नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज का तत्कालीन बिहार सरकार की ओर से 1999 में अवधि विस्तार किया गया था. मुख्यमंत्री ने इसको लेकर चल रहे आंदोलन और जनहित को ध्यान में रखते हुए नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को पुनः अधिसूचित नहीं करने के प्रस्ताव पर सहमति प्रदान की है.
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नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के विरोध में लातेहार जिला के करीब 39 राजस्व गांवों के लोगों द्वारा आम सभा के माध्यम से राज्यपाल और झारखंड सरकार को ज्ञापन सौंपा था. इसके साथ ही इसके विरोध में आंदोलन भी किया. आंदोलनकारियों की ओर से बताया गया था कि लातेहार और गुमला जिला पांचवीं अनुसूची में आता है. यहां पेसा एक्ट 1996 लागू है. इस एक्ट के तहत ग्राम सभा को संवैधानिक अधिकार प्राप्त है. इस प्रावधान के तहत नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के प्रभावित इलाकों के ग्राम प्रधानों ने ग्राम सभा का आयोजन किया. इस ग्राम सभा में नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के लिए गांव की सीमा के अंदर की जमीन सेना के फायरिंग अभ्यास के लिए उपलब्ध नहीं कराने का निर्णय लिया था. साथ ही नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज की अधिसूचना को आगे और विस्तार नहीं करने और अधिसूचना प्रकाशित कर परियोजना को रद्द करने का अनुरोध किया था.
नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज से प्रभावित जनता की ओर से लगभग 30 वर्षों से अधिसूचना को रद्द करने के लिए विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था. हाल में भी 22-23 मार्च को विरोध प्रदर्शन किया गया था. स्थानीय लोगों की मांग को देखते हुए मुख्यमंत्री ने नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के समय विस्तार के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी है.