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बकोरिया मुठभेड़: CBI जांच का दायरा बढ़ा, कई अधिकारियों की बढ़ सकती है मुश्किलें - एफएसएल

पलामू बकोरिया मुठभेड़ की घटना की जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है. इस मुठभेड़ से जुड़े अधिकारियों की भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं. सीबीआई और एफएसएल के डायरेक्टर एनबी वर्धन ने पूरी घटना का नाट्य रूपांतरण किया.

बकोरिया मुठभेड़
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Published : Jul 6, 2019, 8:40 AM IST

पलामू: बकोरिया मुठभेड़ की घटना की जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है. घटना के चार वर्ष बीत जाने के बाद अभी भी कई सवाल उठ रहे हैं. सीबीआई के बड़े अधिकारी पलामू में लगातार कैंप कर रहे हैं. जांच का दायरा धीरे-धीरे बड़े अधिकारियों तक पहुंच रहा है. एफएसएल की टीम ने बकोरिया के भलवही घाटी स्थित घटनास्थल का जायजा लिया.

बकोरिया मुठभेड़ में CBI जांच का दायरा बढ़ा

मुठभेड़ से जुड़े कई अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती है
इस दौरान सीबीआई और एफएसएल के डायरेक्टर एनबी वर्धन ने पूरी घटना का नाट्य रूपांतरण किया. इस पूरी जांच के दौरान जो बातें सामने आ रही हैं, उसके अनुसार मुठभेड़ से जुड़े कई अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. सीबीआई ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद 19 नवंबर 2018 को दिल्ली में मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी. बकोरिया मुठभेड़ केस नंबर RC SI 2018 S 2018 दर्ज किया गया था. जिसका जांच अधिकारी सीबीआई के डीएसपी केके सिंह को बनाया गया है.

अपने बयान और प्राथमिकी से मुकरा
बकोरिया मुठभेड़ मामले में मेदिनीनगर सदर थाना में प्राथमिकी दर्ज करवाने वाला दारोगा मोहम्मद रुस्तम सीबीआई अधिकारियों के समक्ष टूट गया. मोहम्मद रुस्तम अपने बयान और प्राथमिकी से मुकर गया है. उसने सीबीआई को बताया है कि वरीय अधिकारियों के कहने पर उसने प्राथमिकी पर हस्ताक्षर किया है.

कई अधिकारियों का बयान लेना बाकी
मोहम्मद रुस्तम मुठभेड़ के वक्त सतबरवा के ओपी प्रभारी थे. बकोरिया घटना से जुड़े एक और अधिकारी दारोगा हरीश पाठक बागी बना हुआ है. हरीश पाठक घटना के वक्त मेदिनीनगर सदर थाना थे. हरीश पाठक के निगरानी में ही प्राथमिकी और सभी शवों का पोस्टमार्टम हुआ था. हरीश पाठक, मोहम्मद रुस्तम और लातेहार मनिका के तत्कालीन थाना प्रभारी गुलाम रब्बानी का बयान सीबीआई ने लिया है. बयान में सभी ने वरीय अधिकारियों के कहे अनुसार करने की बात कही है. अभी तक सीबीआई घटना के दौरान पलामू के एसपी, डीआईजी, आईजी और अभियान में शामिल कोबरा के अधिकारियों का बयान नहीं लिया गया है.

क्या है बकोरिया मुठभेड़
9 जून 2015 को पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र के बकोरिया के भलवही घाटी में कथित तौर पर सुरक्षाबल और माओवादियों के बीच मुठभेड़ हुई थी. उस दौरान पुलिस और सुदक्षाबलों ने दावा किया था कि 12 माओवादी इसमें मारे गए थे. मारे गए 12 में कुख्यात माओवादी कमांडर आरके यादव उर्फ डॉक्टर उर्फ अनुराग, उसका बेटा, भतीजा शामिल था. इस घटना में चार नाबालिग भी मारे गए थे.

ये भी पढ़ें- मॉब लिंचिंग के नाम पर आधी रात अशांत हुई रांची, उपद्रव हिंसा के बीच सहमे रहे लोग

रिट दायर किया गया था
मारे गए लोगों में लातेहार मानिका के पारा शिक्षक उदय यादव और उसका भाई नीरज यादव भी शामिल थे. उस वक्त दावा किया गया था सभी 12 लोग एक स्कॉर्पियो में थे और सभी मुठभेड़ में मारे गए. मुठभेड़ पर सवाल उठने के बाद मामले में सीआईडी जांच हुई. मामले में मारे गए पारा शिक्षक उदय यादव के पिता जवाहर यादव ने हाईकोर्ट में रिट दायर किया था. तब मामले में रांची हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था.

पलामू: बकोरिया मुठभेड़ की घटना की जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है. घटना के चार वर्ष बीत जाने के बाद अभी भी कई सवाल उठ रहे हैं. सीबीआई के बड़े अधिकारी पलामू में लगातार कैंप कर रहे हैं. जांच का दायरा धीरे-धीरे बड़े अधिकारियों तक पहुंच रहा है. एफएसएल की टीम ने बकोरिया के भलवही घाटी स्थित घटनास्थल का जायजा लिया.

बकोरिया मुठभेड़ में CBI जांच का दायरा बढ़ा

मुठभेड़ से जुड़े कई अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती है
इस दौरान सीबीआई और एफएसएल के डायरेक्टर एनबी वर्धन ने पूरी घटना का नाट्य रूपांतरण किया. इस पूरी जांच के दौरान जो बातें सामने आ रही हैं, उसके अनुसार मुठभेड़ से जुड़े कई अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. सीबीआई ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद 19 नवंबर 2018 को दिल्ली में मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी. बकोरिया मुठभेड़ केस नंबर RC SI 2018 S 2018 दर्ज किया गया था. जिसका जांच अधिकारी सीबीआई के डीएसपी केके सिंह को बनाया गया है.

अपने बयान और प्राथमिकी से मुकरा
बकोरिया मुठभेड़ मामले में मेदिनीनगर सदर थाना में प्राथमिकी दर्ज करवाने वाला दारोगा मोहम्मद रुस्तम सीबीआई अधिकारियों के समक्ष टूट गया. मोहम्मद रुस्तम अपने बयान और प्राथमिकी से मुकर गया है. उसने सीबीआई को बताया है कि वरीय अधिकारियों के कहने पर उसने प्राथमिकी पर हस्ताक्षर किया है.

कई अधिकारियों का बयान लेना बाकी
मोहम्मद रुस्तम मुठभेड़ के वक्त सतबरवा के ओपी प्रभारी थे. बकोरिया घटना से जुड़े एक और अधिकारी दारोगा हरीश पाठक बागी बना हुआ है. हरीश पाठक घटना के वक्त मेदिनीनगर सदर थाना थे. हरीश पाठक के निगरानी में ही प्राथमिकी और सभी शवों का पोस्टमार्टम हुआ था. हरीश पाठक, मोहम्मद रुस्तम और लातेहार मनिका के तत्कालीन थाना प्रभारी गुलाम रब्बानी का बयान सीबीआई ने लिया है. बयान में सभी ने वरीय अधिकारियों के कहे अनुसार करने की बात कही है. अभी तक सीबीआई घटना के दौरान पलामू के एसपी, डीआईजी, आईजी और अभियान में शामिल कोबरा के अधिकारियों का बयान नहीं लिया गया है.

क्या है बकोरिया मुठभेड़
9 जून 2015 को पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र के बकोरिया के भलवही घाटी में कथित तौर पर सुरक्षाबल और माओवादियों के बीच मुठभेड़ हुई थी. उस दौरान पुलिस और सुदक्षाबलों ने दावा किया था कि 12 माओवादी इसमें मारे गए थे. मारे गए 12 में कुख्यात माओवादी कमांडर आरके यादव उर्फ डॉक्टर उर्फ अनुराग, उसका बेटा, भतीजा शामिल था. इस घटना में चार नाबालिग भी मारे गए थे.

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रिट दायर किया गया था
मारे गए लोगों में लातेहार मानिका के पारा शिक्षक उदय यादव और उसका भाई नीरज यादव भी शामिल थे. उस वक्त दावा किया गया था सभी 12 लोग एक स्कॉर्पियो में थे और सभी मुठभेड़ में मारे गए. मुठभेड़ पर सवाल उठने के बाद मामले में सीआईडी जांच हुई. मामले में मारे गए पारा शिक्षक उदय यादव के पिता जवाहर यादव ने हाईकोर्ट में रिट दायर किया था. तब मामले में रांची हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था.

Intro:बकोरिया मुठभेड़ : सीबीआई जांच का दायरा बढ़ा, कई की बढ़ सकती है मुश्किलें, चार वर्ष के बाद भी जांच है जारी

नीरज कुमार। पलामू

बकोरिया मुठभेड़ की घटना का जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है। घटना के चार वर्ष बीत जाने के बाद अभी भी कई सवाल उठ रहे हैं। सीबीआई के बड़े अधिकारी पलामू में लगातार कैम्प कर रहे है। जांच का दायरा धीरे धीरे बड़े अधिकारियों तक पंहुच रहा है। एफएसएल की टीम ने गुरुवार को बकोरिया के भलवही घाटी स्थित घटनास्थल का जायजा लिया। इस दौरान सीबीआई और एफएसएल के डायरेक्टर एनबी वर्धन ने पूरी घटना का नाट्य रूपांतरण किया । इस पूरी जांच के दौरान जो बातें सामने आ रही है उसके अनुसार मुठभेड़ से जुड़े कई अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती है। सीबीआई ने हाई कोर्ट के आदेश के बाद 19 नवंबर 2018 को दिल्ली में मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी। बकोरिया मुठभेड़ केस नंबर RC SI 2018 S 2018 दर्ज किया गया था जिसका जांच अधिकारी सीबीआई के डीएसपी केके सिंह को बनाया गया है।


Body:प्राथमिकी करवाने वाला टूट गया सीबीआई अधिकारियों के समक्ष, बड़े अधिकारियों का बयान है महत्वपूर्ण

बकोरिया मुठभेड़ मामले में मेदिनीनगर सदर थाना में प्राथमिकी दर्ज करवाने वाला दरोगा मोहम्मद रुस्तम सीबीआई अधिकारियों के समक्ष टूट गया। मोहम्मद रुस्तम अपने बयान और प्राथमिकी से मुकर गया है उसने सीबीआई को बताया है कि वरीय अधिकारियों के कहने पर उसने प्राथमिकी पर हस्ताक्षर किया है। मोहम्मद रुस्तम मुठभेड़ के वक्त सतबरवा के ओपी प्रभारी थे। बकोरिया घटना से जुड़े एक और महत्त्वपूर्ण अधिकारी दरोगा हरीश पाठक बागी बना हुआ है। हरीश पाठक घटना के वक्त मेदिनीनगर सदर थाना थे, हरीश पाठक के निगरानी में ही प्राथमिकी और सभी शवों का पोस्टमार्टम हुआ था। हरीश पाठक, मोहम्मद रुस्तम और लातेहार मनिका के तत्कालीन थाना प्रभारी गुलाम रब्बानी का बयान सीबीआई ने लिया है। बयान में सभी ने वरीय अधिकारियों के कहे अनुसार करने की बात कही है। अभी तक सीबीआई घटना के दौरान पलामू के एसपी, डीआईजी, आईजी और अभियान में शामिल कोबरा के अधिकारियों का बयान नही लिया है।


Conclusion:क्या है बकोरिया मुठभेड़ की घटना

09 जून 2015 को पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र के बकोरिया के भलवही घाटी में कथित तौर पर सुरक्षाबल और माओवादियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। उस दौरान पुलिस और सुदक्षाबलो ने दावा किया था कि 12 माओवादी इसमें मारे गए थे। मारे गए 12 में कुख्यात माओवादी कमांडर आरके यादव उर्फ डॉक्टर उर्फ अनुराग, उसका बेटा ,भतीजा शामिल थे। इस घटना में चार नाबालिग भी मारे गए थे। मारे गए लोगो मे लातेहार मानिका के पारा शिक्षक उदय यादव और उसका भाई नीरज यादव भी शामिल थे। उस वक्त दावा किया गया था सभी 12 लोग एक स्कोर्पियो में थे और सभी मुठभेड़ में मारे गए। मुठभेड़ पर सवाल उठने के बाद मामले में सीआईडी जांच हुई । मामले में मारे गए पारा शिक्षक उदय यादव के पिता जवाहर यादव ने हाई कोर्ट में रिट दायर किया रहा। मामले में रांची हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया तंग।
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