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शाह ब्रदर्स माइनिंग केसः सरकार ने झारखंड हाई कोर्ट में पेश किया जवाब - शाह ब्रदर्स माइनिंग केस की सुनवाई

झारखंड हाई कोर्ट में शाह ब्रदर्स माइनिंग से जुड़े एक मामले पर सुनवाई हुई. इस दौरान राज्य सरकार की ओर से अदालत में जवाब पेश किया गया.

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झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Oct 4, 2021, 9:30 PM IST

रांचीः झारखंड हाई कोर्ट के वेकेशन कोर्ट में शाह ब्रदर्स से जुड़े एक मामले में नियमों का पालन किए बिना मामले की सुनवाई करने का आरोप से संबंधित याचिका पर सुनवाई हुई. सरकार की ओर से अदालत में जवाब पेश किया गया. अदालत ने सरकार के जवाब पर विस्तृत सुनवाई के लिए 21 अक्टूबर की तिथि निर्धारित की है. इस बीच सभी पक्षों को सरकार के जवाब पर अपना प्रत्युत्तर पेश करने का निर्देश दिया है. झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री सरयू राय ने भी इस मामले को कई बार उठाया है..

इसे भी पढ़ें- शाह ब्रदर्स की याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई, 12 हफ्ते के भीतर सरकार को नया आदेश पारित करने का आदेश

जस्टिस आर मुखोपाध्याय और जस्टिस एके चौधरी की अदालत मे इस मामले पर सुनवाई हुई. अदालत के पूर्व आदेश के आलोक में राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश किया गया, जवाब की प्रति सभी पक्षों को नहीं दिया गया था. जिस पर सभी पक्षों ने अदालत से जवाब की प्रति उपलब्ध करवाने का आग्रह किया. सरकार की ओर से कहा गया कि उन्हें जवाब की प्रति दे दी जाएगी. अदालत ने सरकार के जवाब पर विस्तृत सुनवाई के लिए 21 अक्टूबर की तिथि निर्धारित की है. इस बीच सभी पक्षों को सरकार के जवाब पर अपना प्रत्युत्तर पेश करने का निर्देश दिया है.

जानकारी देते अधिवक्ता
वेकेशन कोर्ट में सुनवाई में नियमों का पालन नहीं किए जाने की शिकायत करते हुए हाई कोर्ट के अधिवक्ता राम सुभग सिंह और इस मामले में भूमि अधिग्रहण विस्थापन एवं पुनर्वास किसान समिति की ओर से जनहित याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि शाह ब्रदर्स की लीज से संबंधित मामलों में वेकेशन कोर्ट में सुनवाई के दौरान नियमों का पालन नहीं किया गया है. इसलिए इस मामले में एकलपीठ के आदेश और इस आदेश के बाद सरकार द्वारा की गयी कार्रवाई पर रोक लगा देनी चाहिए.


प्रार्थियों का कहना है कि वेकेशन कोर्ट में अत्यंत जरूरी मामलों की सुनवाई किए जाने का ही प्रावधान किया गया था. आम तौर पर वेकेशन कोर्ट में आपारधिक और जमानत याचिकाओं पर सुनवाई होती है. उन सिविल मामलों की सुनवाई की जाती है, जिसमें तत्काल आदेश दिया जाना जरूरी है. शाह ब्रदर्स की माइनिंग लीज सरकार ने रद्द कर दिया था. यह मामला ग्रीष्मकालीन अवकाश के पहले भी सूचीबद्ध था और उस पर सुनवाई भी हो रही थी. लेकिन ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान वेकेशन बेंच में यह मामला मेंशन किया गया. इसमें सहमति भी मिल गयी और सुनवाई भी कर ली गयी.

इसे भी पढ़ें- अवैध उत्खनन पर विधायक सरयू राय के निशाने पर शाह ब्रदर्सः कहा- सरकार कुछ नहीं करेगी तो जाएंगे सुप्रीम कोर्ट

शाह ब्रदर्स ने याचिका दायर कर लीज नवीनीकरण करने और खनन के दौरान जमा खनिज पदार्थों के ले जाने की अनुमति मांगी थी. शाह ब्रदर्स की ओर से बताया गया था कि सरकार ने लीज रद्द करने का जो नोटिस दिया है उसमें उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं मिला है. वेकेशन कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के बाद यह मामला सरकार के पास फिर से विचार करने के लिए भेज दिया और इस पर उचित निर्णय लेने का निर्देश दिया. प्रार्थी का आरोप है कि इस आदेश के बाद सरकार ने भी खनिज ले जाने की छूट प्रदान की. प्रार्थी ने अदालत से एकलपीठ के आदेश और इसके बाद सरकार की ओर से की गयी कार्रवाई पर रोक लगाने का आग्रह किया है.

रांचीः झारखंड हाई कोर्ट के वेकेशन कोर्ट में शाह ब्रदर्स से जुड़े एक मामले में नियमों का पालन किए बिना मामले की सुनवाई करने का आरोप से संबंधित याचिका पर सुनवाई हुई. सरकार की ओर से अदालत में जवाब पेश किया गया. अदालत ने सरकार के जवाब पर विस्तृत सुनवाई के लिए 21 अक्टूबर की तिथि निर्धारित की है. इस बीच सभी पक्षों को सरकार के जवाब पर अपना प्रत्युत्तर पेश करने का निर्देश दिया है. झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री सरयू राय ने भी इस मामले को कई बार उठाया है..

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जस्टिस आर मुखोपाध्याय और जस्टिस एके चौधरी की अदालत मे इस मामले पर सुनवाई हुई. अदालत के पूर्व आदेश के आलोक में राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश किया गया, जवाब की प्रति सभी पक्षों को नहीं दिया गया था. जिस पर सभी पक्षों ने अदालत से जवाब की प्रति उपलब्ध करवाने का आग्रह किया. सरकार की ओर से कहा गया कि उन्हें जवाब की प्रति दे दी जाएगी. अदालत ने सरकार के जवाब पर विस्तृत सुनवाई के लिए 21 अक्टूबर की तिथि निर्धारित की है. इस बीच सभी पक्षों को सरकार के जवाब पर अपना प्रत्युत्तर पेश करने का निर्देश दिया है.

जानकारी देते अधिवक्ता
वेकेशन कोर्ट में सुनवाई में नियमों का पालन नहीं किए जाने की शिकायत करते हुए हाई कोर्ट के अधिवक्ता राम सुभग सिंह और इस मामले में भूमि अधिग्रहण विस्थापन एवं पुनर्वास किसान समिति की ओर से जनहित याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि शाह ब्रदर्स की लीज से संबंधित मामलों में वेकेशन कोर्ट में सुनवाई के दौरान नियमों का पालन नहीं किया गया है. इसलिए इस मामले में एकलपीठ के आदेश और इस आदेश के बाद सरकार द्वारा की गयी कार्रवाई पर रोक लगा देनी चाहिए.


प्रार्थियों का कहना है कि वेकेशन कोर्ट में अत्यंत जरूरी मामलों की सुनवाई किए जाने का ही प्रावधान किया गया था. आम तौर पर वेकेशन कोर्ट में आपारधिक और जमानत याचिकाओं पर सुनवाई होती है. उन सिविल मामलों की सुनवाई की जाती है, जिसमें तत्काल आदेश दिया जाना जरूरी है. शाह ब्रदर्स की माइनिंग लीज सरकार ने रद्द कर दिया था. यह मामला ग्रीष्मकालीन अवकाश के पहले भी सूचीबद्ध था और उस पर सुनवाई भी हो रही थी. लेकिन ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान वेकेशन बेंच में यह मामला मेंशन किया गया. इसमें सहमति भी मिल गयी और सुनवाई भी कर ली गयी.

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शाह ब्रदर्स ने याचिका दायर कर लीज नवीनीकरण करने और खनन के दौरान जमा खनिज पदार्थों के ले जाने की अनुमति मांगी थी. शाह ब्रदर्स की ओर से बताया गया था कि सरकार ने लीज रद्द करने का जो नोटिस दिया है उसमें उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं मिला है. वेकेशन कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के बाद यह मामला सरकार के पास फिर से विचार करने के लिए भेज दिया और इस पर उचित निर्णय लेने का निर्देश दिया. प्रार्थी का आरोप है कि इस आदेश के बाद सरकार ने भी खनिज ले जाने की छूट प्रदान की. प्रार्थी ने अदालत से एकलपीठ के आदेश और इसके बाद सरकार की ओर से की गयी कार्रवाई पर रोक लगाने का आग्रह किया है.

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