रांचीः झारखंड हाई कोर्ट के वेकेशन कोर्ट में शाह ब्रदर्स से जुड़े एक मामले में नियमों का पालन किए बिना मामले की सुनवाई करने का आरोप से संबंधित याचिका पर सुनवाई हुई. सरकार की ओर से अदालत में जवाब पेश किया गया. अदालत ने सरकार के जवाब पर विस्तृत सुनवाई के लिए 21 अक्टूबर की तिथि निर्धारित की है. इस बीच सभी पक्षों को सरकार के जवाब पर अपना प्रत्युत्तर पेश करने का निर्देश दिया है. झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री सरयू राय ने भी इस मामले को कई बार उठाया है..
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जस्टिस आर मुखोपाध्याय और जस्टिस एके चौधरी की अदालत मे इस मामले पर सुनवाई हुई. अदालत के पूर्व आदेश के आलोक में राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश किया गया, जवाब की प्रति सभी पक्षों को नहीं दिया गया था. जिस पर सभी पक्षों ने अदालत से जवाब की प्रति उपलब्ध करवाने का आग्रह किया. सरकार की ओर से कहा गया कि उन्हें जवाब की प्रति दे दी जाएगी. अदालत ने सरकार के जवाब पर विस्तृत सुनवाई के लिए 21 अक्टूबर की तिथि निर्धारित की है. इस बीच सभी पक्षों को सरकार के जवाब पर अपना प्रत्युत्तर पेश करने का निर्देश दिया है.
प्रार्थियों का कहना है कि वेकेशन कोर्ट में अत्यंत जरूरी मामलों की सुनवाई किए जाने का ही प्रावधान किया गया था. आम तौर पर वेकेशन कोर्ट में आपारधिक और जमानत याचिकाओं पर सुनवाई होती है. उन सिविल मामलों की सुनवाई की जाती है, जिसमें तत्काल आदेश दिया जाना जरूरी है. शाह ब्रदर्स की माइनिंग लीज सरकार ने रद्द कर दिया था. यह मामला ग्रीष्मकालीन अवकाश के पहले भी सूचीबद्ध था और उस पर सुनवाई भी हो रही थी. लेकिन ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान वेकेशन बेंच में यह मामला मेंशन किया गया. इसमें सहमति भी मिल गयी और सुनवाई भी कर ली गयी.
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शाह ब्रदर्स ने याचिका दायर कर लीज नवीनीकरण करने और खनन के दौरान जमा खनिज पदार्थों के ले जाने की अनुमति मांगी थी. शाह ब्रदर्स की ओर से बताया गया था कि सरकार ने लीज रद्द करने का जो नोटिस दिया है उसमें उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं मिला है. वेकेशन कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के बाद यह मामला सरकार के पास फिर से विचार करने के लिए भेज दिया और इस पर उचित निर्णय लेने का निर्देश दिया. प्रार्थी का आरोप है कि इस आदेश के बाद सरकार ने भी खनिज ले जाने की छूट प्रदान की. प्रार्थी ने अदालत से एकलपीठ के आदेश और इसके बाद सरकार की ओर से की गयी कार्रवाई पर रोक लगाने का आग्रह किया है.