रांचीः Bacon Factory Ranchi कभी अपने उत्पाद RANBAC के लिए देश दुनिया में मशहूर हुआ करती थी. यहां के Processed Pork Kababs, सलामी सॉसेस यहां से सिर्फ नार्थ ईस्ट तक भेजे जाते थे. इतना ही नहीं यहां के उत्पाद विदेशों में भी भेजे जाते थे. किसी जमाने में इसी फैक्ट्री के गेस्ट हाउस में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव को पशुपालन घोटाला के मामले में अस्थायी जेल बनाकर रखा गया था. आज ये फैक्ट्री बंद होकर बदहाली के आंसू भले बहा रही हो लेकिन पशुपालन विभाग की फाइलों ये फैक्ट्री आज भी चल रही है.
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पशुपालन विभाग की फाइलों के मुताबिक बेकन फैक्ट्री चल रही है. यहां कई लाखों की सैलरी के साथ 04 डॉक्टर, जिसमें महाप्रबंधक से लेकर क्रय और विक्रय अधिकारी तक हैं. वो वर्षों से लगातार तैनात हैं. हर दिन बंद बेकन फैक्ट्री के कैंपस में ये डॉक्टर और अधिकारी कर्मचारी आते हैं, दिन गुजरते हैं और फिर घर चले जाते हैं. यह और बात है कि इस बंद पड़े बेकन फैक्ट्री में सेवा दे रहे कर्मचारियों, डॉक्टरों के वेतन पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च होते हैं. इसलिए इसे बेकन नहीं वेतन फैक्ट्री कहा जाने लगा है.
पहले इस फैक्ट्री से पूर्वोत्तर भारत के 7 राज्य असम, मेघालय, मणिपुर, सिक्किम, मिजोरम, त्रिपुरा और अरूणाचल प्रदेश तक रेडी टू ईट सूकर मांस व्यंजन की आपूर्ति की जाती थी. इन 7 राज्यों के अलावा यहां तैयार की गई Packaged Ready to Eat Bacon पड़ोसी देश भूटान और नेपाल तक निर्यात किया जाता था. यह फैक्ट्री लगातार मुनाफे में रहा. लेकिन वर्ष 1996 के जनवरी महीने के बाद से यहां उत्पादन शून्य है. यह फैक्ट्री वर्तमान में जीर्ण-शीर्ण अवस्था में आ चुका है.
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Bacon बन गया वेतन फैक्ट्री
राज्य विभाजन के बाद से ही लगभग सभी पशुपालन मंत्री और सचिव इसे शुरू करने के लिए निरीक्षण कर कार्रवाई करने का प्रयास किया. इसको लेकर आज तक प्रयास जारी है, इसके बावजूद भी पता नहीं कौन-सी मजबूरी है कि इसे चालू नहीं किया जा रहा है. यह बड़ा ही आश्चर्यजनक है कि वर्ष 1996 से फैक्ट्री के बंद रहने के बावजूद यहां महाप्रबंधक सहित पशु चिकित्सकों के स्वीकृत छह पदों पर लगातार पशु चिकित्सकों का पदस्थापन भी होते रहा है. जहां सभी पदाधिकारी पूरे दिन बैठकर गुजार देते हैं. वर्तमान में इसे बेकन फैक्ट्री ना कहकर वेतन फैक्ट्री कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी.
बेकन फैक्ट्री को शुरू करने की सरकार कर रही कोशिश
वर्तमान सचिव अबू बकर सिदिकी और कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग ने इसे शुरू करने की पहल शुरू की है. इसको लेकर राज्य के कृषि एवं पशुपालन मंत्री बादल पत्रलेख कहते हैं कि सरकार बेकन फैक्ट्री की पुरानी गरिमा को लौटाएगी. इसके लिए शीघ्र इसे चालू करने की कार्रवाई के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है.
क्यों बंद हो गयी बेकन फैक्ट्री
लोग बताते हैं कि 1996 में इस प्लांट में मामूली गड़बड़ी आ गयी थी. जिसे ठीक करने में महज 05-10 हजार रुपये खर्च होता. लेकिन उस समय चारा घोटाला का मामला की जद में ये फैक्ट्री आगयी. जिसकी वजह से ये हुआ कि कोई अधिकारी कारखाने की इस गड़बड़ी को ठीक कराना उचित नहीं समझा और स्वर्णिम बेकम फैक्टरी बंद हो गया.