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बाबूलाल, प्रदीप और बंधु ने दलबदल मामले में मांगा समय, मानसून सत्र में भी खाली रहेगी नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी

झारखंड सचिवालय ने बाबूलाल मरांडी, बंधु तिर्की और प्रदीप यादव को नोटिस देकर 17 सितंबर तक दलबदल मामले के तहत अपना पक्ष रखने को कहा है. इस मामले में तीनों विधायकों ने समय मांगा है.

Babulal Marandi sought time in defection case
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Published : Sep 16, 2020, 9:59 AM IST

रांची: बीजेपी लगातार बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा देने की मांग कर रही है, जबकि झारखंड विधानसभा सचिवालय ने अब तक बाबूलाल मरांडी को बीजेपी विधायक होने की मान्यता नहीं दी है. बल्कि सचिवालय ने नोटिस देकर 17 सितंबर तक दलबदल मामले के तहत बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को अपना पक्ष रखने को कहा है. ऐसे में विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की ने जवाब देने के लिए विधानसभा अध्यक्ष से एक सप्ताह का समय मांगा है तो वहीं बाबूलाल मरांडी ने जवाब देने के लिए 2 सप्ताह का समय मांगा है.

दरअसल, 2019 के विधानसभा चुनाव में बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की ने झारखंड विकास मोर्चा के टिकट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की, लेकिन फिर बाबूलाल मरांडी ने जेवीएम का विलय बीजेपी में कर लिया, जबकि प्रदीप यादव और बंधु तिर्की ने पार्टी का विलय कांग्रेस में करने का दावा किया. इसको लेकर चुनाव आयोग ने तो बाबूलाल मरांडी को बीजेपी के विधायक की मान्यता दे दी, लेकिन प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को निर्दलीय का दर्जा दिया गया है.

झारखंड विधानसभा सचिवालय ने तीनों विधायकों को फिलहाल निर्दलीय विधायकों की श्रेणी में रखा है. इसके साथ ही विधानसभा सचिवालय की ओर से नोटिस देकर जवाब भी मांगा गया है, जिसमें कहा गया है कि उनके खिलाफ दलबदल का मामला बनता है. इस पर तीनों विधायक अपना पक्ष रखें. ऐसे में बाबूलाल मरांडी ने भी विधानसभा सचिवालय को पत्र भेजकर नेता प्रतिपक्ष मामले में अब तक की गई कार्रवाई का ब्यौरा मांगा था, जिसके बाद विधानसभा सचिवालय की ओर से सारे दस्तावेज भेज दिए गए हैं. इसके साथ ही प्रदीप यादव ने भी विधानसभा सचिवालय से अब तक की गई कार्रवाई का ब्यौरा मांगा है.

ये भी पढे़ं: कोल इंडिया ने रखे हमारे राज्य के 30-40 हजार करोड़ रुपये, वसूली के लिए लेंगे कोर्ट की शरण

वहीं, झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र एक बार फिर बिना नेता प्रतिपक्ष के ही होगा. बजट सत्र के दौरान भी नेता प्रतिपक्ष के लिए निर्धारित स्थान खाली रहा था. बीजेपी लगातार बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा देने की मांग कर रही है, लेकिन विधानसभा सचिवालय ने फिलहाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता के फैसले को विचाराधीन बताया है. इस पर सभी पक्षों का जवाब आने के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी.

रांची: बीजेपी लगातार बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा देने की मांग कर रही है, जबकि झारखंड विधानसभा सचिवालय ने अब तक बाबूलाल मरांडी को बीजेपी विधायक होने की मान्यता नहीं दी है. बल्कि सचिवालय ने नोटिस देकर 17 सितंबर तक दलबदल मामले के तहत बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को अपना पक्ष रखने को कहा है. ऐसे में विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की ने जवाब देने के लिए विधानसभा अध्यक्ष से एक सप्ताह का समय मांगा है तो वहीं बाबूलाल मरांडी ने जवाब देने के लिए 2 सप्ताह का समय मांगा है.

दरअसल, 2019 के विधानसभा चुनाव में बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की ने झारखंड विकास मोर्चा के टिकट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की, लेकिन फिर बाबूलाल मरांडी ने जेवीएम का विलय बीजेपी में कर लिया, जबकि प्रदीप यादव और बंधु तिर्की ने पार्टी का विलय कांग्रेस में करने का दावा किया. इसको लेकर चुनाव आयोग ने तो बाबूलाल मरांडी को बीजेपी के विधायक की मान्यता दे दी, लेकिन प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को निर्दलीय का दर्जा दिया गया है.

झारखंड विधानसभा सचिवालय ने तीनों विधायकों को फिलहाल निर्दलीय विधायकों की श्रेणी में रखा है. इसके साथ ही विधानसभा सचिवालय की ओर से नोटिस देकर जवाब भी मांगा गया है, जिसमें कहा गया है कि उनके खिलाफ दलबदल का मामला बनता है. इस पर तीनों विधायक अपना पक्ष रखें. ऐसे में बाबूलाल मरांडी ने भी विधानसभा सचिवालय को पत्र भेजकर नेता प्रतिपक्ष मामले में अब तक की गई कार्रवाई का ब्यौरा मांगा था, जिसके बाद विधानसभा सचिवालय की ओर से सारे दस्तावेज भेज दिए गए हैं. इसके साथ ही प्रदीप यादव ने भी विधानसभा सचिवालय से अब तक की गई कार्रवाई का ब्यौरा मांगा है.

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वहीं, झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र एक बार फिर बिना नेता प्रतिपक्ष के ही होगा. बजट सत्र के दौरान भी नेता प्रतिपक्ष के लिए निर्धारित स्थान खाली रहा था. बीजेपी लगातार बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा देने की मांग कर रही है, लेकिन विधानसभा सचिवालय ने फिलहाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता के फैसले को विचाराधीन बताया है. इस पर सभी पक्षों का जवाब आने के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी.

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