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हेमंत सरकार को नहीं है झारखंडी जनता की चिंता, महाधिवक्ता हाई कोर्ट में नहीं रख पाए अपना पक्ष: बाबूलाल मरांडी

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री सह बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हेमंत सरकार को झारखंड की जनता की किसी भी प्रकार की कोई चिंता नहीं है. सरकार के महाधिवक्ता हाई कोर्ट में मजबूती के साथ अपना पक्ष नहीं रख पाए जिसके कारण 18000 शिक्षकों की नियुक्ति रद्द कर दी गई.

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बाबूलाल मरांडी
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Published : Sep 22, 2020, 3:01 PM IST

रांची: बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने सत्र के अंतिम दिन सदन के बाहर मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि हेमंत सरकार को झारखंड की जनता की किसी भी प्रकार की कोई चिंता नहीं है. सरकार के महाधिवक्ता हाई कोर्ट में मजबूती के साथ अपना पक्ष नहीं रख पाए जिसके कारण 18000 शिक्षकों की नियुक्ति रद्द कर दी गई.

बाबूलाल मरांडी का बयान

आर्टिकल 16 और 3 में उल्लेख है कि अगर राज्य सरकार चाहे तो स्टेट या फिर कोई पर्टिकुलर क्षेत्र को कुछ वर्षों के लिए रिजर्व कर सकता है सदन के अंदर भी इस मुद्दे को लेकर मैं बोलना चाहा लेकिन मुझे बोलने की अनुमति नहीं दी गई. बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सरकार को बताना चाहिए झारखंड हाई कोर्ट के द्वारा आए फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे या नहीं भारत के संविधान में प्रावधान है कि शेड्यूल एरिया को शत प्रतिशत आरक्षण किया जा सकता है और उसे पार्लियामेंट भी कानून भी बनाया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- सदन के बाहर पक्ष-विपक्ष का प्रदर्शन, दोनों ने एक-दूसरे पर साधा निशाना

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इन तमाम मुद्दों को लेकर सदन के अंदर जवाब देना चाहिए कि 13 जिले को आरक्षित जिले घोषित करना और 11 जिले को अनारक्षित घोषित करना कहां से गलत है. अगर किसी क्षेत्र में गरीब आदिवासियों को नौकरी दी जाती है तो कहां तक गलत है.

रांची: बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने सत्र के अंतिम दिन सदन के बाहर मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि हेमंत सरकार को झारखंड की जनता की किसी भी प्रकार की कोई चिंता नहीं है. सरकार के महाधिवक्ता हाई कोर्ट में मजबूती के साथ अपना पक्ष नहीं रख पाए जिसके कारण 18000 शिक्षकों की नियुक्ति रद्द कर दी गई.

बाबूलाल मरांडी का बयान

आर्टिकल 16 और 3 में उल्लेख है कि अगर राज्य सरकार चाहे तो स्टेट या फिर कोई पर्टिकुलर क्षेत्र को कुछ वर्षों के लिए रिजर्व कर सकता है सदन के अंदर भी इस मुद्दे को लेकर मैं बोलना चाहा लेकिन मुझे बोलने की अनुमति नहीं दी गई. बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सरकार को बताना चाहिए झारखंड हाई कोर्ट के द्वारा आए फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे या नहीं भारत के संविधान में प्रावधान है कि शेड्यूल एरिया को शत प्रतिशत आरक्षण किया जा सकता है और उसे पार्लियामेंट भी कानून भी बनाया जा सकता है.

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उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इन तमाम मुद्दों को लेकर सदन के अंदर जवाब देना चाहिए कि 13 जिले को आरक्षित जिले घोषित करना और 11 जिले को अनारक्षित घोषित करना कहां से गलत है. अगर किसी क्षेत्र में गरीब आदिवासियों को नौकरी दी जाती है तो कहां तक गलत है.

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