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मिथिलांचल के साथ-साथ बिहार के अन्य जिलों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं देवघर, जानें वजह - BABA DHAM DEOGHAR

मिथिलांचल के अलावा बिहार के अन्य जिलों से भी देवघर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है.

Baba Dham
श्रद्धालुओं का जत्था (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 19, 2025, 3:38 PM IST

देवघर: बसंत पंचमी के बाद देवघर में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने लगती है. आमतौर पर बसंत पंचमी के बाद मिथिला से आने वाले श्रद्धालु बड़ी संख्या में देवघर पहुंचते हैं. लेकिन अब यह ट्रेंड बदलता दिख रहा है. इस साल मिथिला क्षेत्र के श्रद्धालुओं के साथ-साथ बिहार के जमुई और नवादा जैसे इलाकों से भी रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु देवघर पहुंच रहे हैं.

दरअसल, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन भगवान भोलेनाथ का तिलक होता है और फिर उसके बाद विवाह यानी शिवरात्रि की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. इसलिए बसंत पंचमी से लेकर शिवरात्रि तक रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दरबार में पहुंचते हैं. इनमें से ज्यादातर श्रद्धालु मिथिला क्षेत्र के होते हैं क्योंकि मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि भगवान भोलेनाथ का ससुराल मिथिला क्षेत्र में है.

बाबा धाम पहुंचा जमुई के श्रद्धालुओं का जत्था (ईटीवी भारत)

इसलिए उनके ससुराल से लोग आकर भगवान भोलेनाथ को तिलक करते हैं. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से बिहार के मिथिला क्षेत्र से ही नहीं बल्कि अन्य क्षेत्रों से भी लोग बाबा धाम पहुंचकर भगवान भोलेनाथ के तिलक समारोह से लेकर विवाह समारोह तक के लिए देवघर में पूजा-अर्चना कर रहे हैं.

हजारों की संख्या में लोग पहुंच रहे बाबा धाम

इस वर्ष भी मिथिला क्षेत्र के साथ-साथ बिहार के जमुई और नवादा जैसे क्षेत्रों से भी रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु देवघर पहुंच रहे हैं. सभी श्रद्धालु बैधनाथ धाम मंदिर और बासुकीनाथ मंदिर में भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाकर अपने बेहतर भविष्य की कामना करते हैं.

इन दिनों देवघर में जमुई से आए श्रद्धालुओं के एक जत्थे की खूब चर्चा हो रही है. जमुई जिले के सोनो प्रखंड से आए श्रद्धालुओं ने बताया कि यह जत्था अपने ब्रह्म बाबा स्थान से शुरू होकर सुल्तानगंज से जल भरकर देवघर के बैधनाथ धाम पहुंचा है. यहां से यह यात्रा सीधे बाबा बासुकीनाथ पर समाप्त होती है. जमुई से आने वाले श्रद्धालुओं का जत्था हरि कीर्तन करते हुए पैदल रथ यात्रा निकालता है. इस जत्थे में करीब पंद्रह सौ से दो हजार लोग शामिल हैं.

सात साल पहले शुरू हुई थी रथ यात्रा

जमुई से जत्थे में पूजा करने आए नागेश्वर यादव और कालू यादव ने बताया कि पिछले सात वर्षों से यह रथ यात्रा निकाली जा रही है. जमुई से रथ यात्रा लेकर देवघर पहुंचे जत्थे में शामिल श्रद्धालु कारू यादव ने बताया कि सात वर्ष पूर्व जब उनके पूर्वज इस रथ के साथ पहली बार देवघर पहुंचे थे, तो उन्होंने अपने गांव वालों से अपील की थी कि जो गरीब लोग देशभर में तीर्थ यात्रा करने में असमर्थ हैं, वे दस दिनों तक चलने वाली इस रथ यात्रा में शामिल होंगे तो उन्हें आशीर्वाद अवश्य मिलेगा.

दो हजार लोग हुए जत्थे में शामिल

श्रद्धालु कारू यादव ने बताया कि जिस तरह सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, पूर्णिया, दरभंगा, मधुबनी सीतामढ़ी जैसे जिलों से लोग आकर बसंत पंचमी पर जलाभिषेक करते हैं, उसी तरह अगर जमुई जिले से भी लोग आकर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करेंगे तो उन्हें उम्मीद है कि भगवान के आशीर्वाद से पूरे क्षेत्र का विकास अवश्य होगा. इसी सोच के साथ जमुई जिले से लोग पिछले सात वर्षों से आ रहे हैं, लेकिन इस वर्ष करीब दो हजार लोग इस जत्थे में शामिल हुए हैं. जिससे उम्मीद है कि आने वाले समय में जमुई के अलावा नवादा, लखीसराय जैसे क्षेत्रों से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी.

यह भी पढ़ें:

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देवघर में शिवरात्रि को लेकर पुलिस की विशेष तैयारी, अतिरिक्त पुलिस फोर्स की शहर में होगी तैनाती

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दरअसल, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन भगवान भोलेनाथ का तिलक होता है और फिर उसके बाद विवाह यानी शिवरात्रि की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. इसलिए बसंत पंचमी से लेकर शिवरात्रि तक रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दरबार में पहुंचते हैं. इनमें से ज्यादातर श्रद्धालु मिथिला क्षेत्र के होते हैं क्योंकि मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि भगवान भोलेनाथ का ससुराल मिथिला क्षेत्र में है.

बाबा धाम पहुंचा जमुई के श्रद्धालुओं का जत्था (ईटीवी भारत)

इसलिए उनके ससुराल से लोग आकर भगवान भोलेनाथ को तिलक करते हैं. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से बिहार के मिथिला क्षेत्र से ही नहीं बल्कि अन्य क्षेत्रों से भी लोग बाबा धाम पहुंचकर भगवान भोलेनाथ के तिलक समारोह से लेकर विवाह समारोह तक के लिए देवघर में पूजा-अर्चना कर रहे हैं.

हजारों की संख्या में लोग पहुंच रहे बाबा धाम

इस वर्ष भी मिथिला क्षेत्र के साथ-साथ बिहार के जमुई और नवादा जैसे क्षेत्रों से भी रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु देवघर पहुंच रहे हैं. सभी श्रद्धालु बैधनाथ धाम मंदिर और बासुकीनाथ मंदिर में भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाकर अपने बेहतर भविष्य की कामना करते हैं.

इन दिनों देवघर में जमुई से आए श्रद्धालुओं के एक जत्थे की खूब चर्चा हो रही है. जमुई जिले के सोनो प्रखंड से आए श्रद्धालुओं ने बताया कि यह जत्था अपने ब्रह्म बाबा स्थान से शुरू होकर सुल्तानगंज से जल भरकर देवघर के बैधनाथ धाम पहुंचा है. यहां से यह यात्रा सीधे बाबा बासुकीनाथ पर समाप्त होती है. जमुई से आने वाले श्रद्धालुओं का जत्था हरि कीर्तन करते हुए पैदल रथ यात्रा निकालता है. इस जत्थे में करीब पंद्रह सौ से दो हजार लोग शामिल हैं.

सात साल पहले शुरू हुई थी रथ यात्रा

जमुई से जत्थे में पूजा करने आए नागेश्वर यादव और कालू यादव ने बताया कि पिछले सात वर्षों से यह रथ यात्रा निकाली जा रही है. जमुई से रथ यात्रा लेकर देवघर पहुंचे जत्थे में शामिल श्रद्धालु कारू यादव ने बताया कि सात वर्ष पूर्व जब उनके पूर्वज इस रथ के साथ पहली बार देवघर पहुंचे थे, तो उन्होंने अपने गांव वालों से अपील की थी कि जो गरीब लोग देशभर में तीर्थ यात्रा करने में असमर्थ हैं, वे दस दिनों तक चलने वाली इस रथ यात्रा में शामिल होंगे तो उन्हें आशीर्वाद अवश्य मिलेगा.

दो हजार लोग हुए जत्थे में शामिल

श्रद्धालु कारू यादव ने बताया कि जिस तरह सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, पूर्णिया, दरभंगा, मधुबनी सीतामढ़ी जैसे जिलों से लोग आकर बसंत पंचमी पर जलाभिषेक करते हैं, उसी तरह अगर जमुई जिले से भी लोग आकर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करेंगे तो उन्हें उम्मीद है कि भगवान के आशीर्वाद से पूरे क्षेत्र का विकास अवश्य होगा. इसी सोच के साथ जमुई जिले से लोग पिछले सात वर्षों से आ रहे हैं, लेकिन इस वर्ष करीब दो हजार लोग इस जत्थे में शामिल हुए हैं. जिससे उम्मीद है कि आने वाले समय में जमुई के अलावा नवादा, लखीसराय जैसे क्षेत्रों से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी.

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