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झारखंड विधानसभा चुनाव 2019: कैसे होता है विधानसभा चुनाव, कौन कर सकता है मतदान

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Published : Nov 8, 2019, 6:07 AM IST

भारत का संविधान देश के हर नागरिक को अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार देता है. विधानसभा चुनाव के जरिए विधायक चुने जाते हैं जो राज्य सरकार का गठन करते हैं. विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया को समझने के लिए वीडियो देखिए.

झारखंड विधानसभा चुनाव 2019

रांचीः भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. 26 जनवरी1950 को जब भारत गणतांत्रिक देश बन रहा था, उसी के एक दिन पहले 25 जनवरी 1950 को निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव के लिए भारत निर्वाचन आयोग का गठन किया गया. भारत का संविधान इस देश के हर नागरिक को अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार देता है. पहले मत पत्र के जरिए मतदान किया जाता था लेकिन बदलते वक्त के साथ ये तरीका थोड़ा बदल गया है और अब ईवीएम के जरिए वोट डालते हैं. केंद्र की सरकार चुनने के लिए लोकसभा चुनाव और राज्यों की सरकार चुनने के लिए विधानसभा चुनाव कराए जाते हैं. चुनावों की ये प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से होती है. मतदाता सूची का प्रकाशन एक जरूरी चुनाव पूर्व प्रक्रिया है.

वीडियो में देखिए पूरी जानकारी

निर्वाचन आयोग सबसे पहले चुनाव की तारीखों का ऐलान करता है और इसी के साथ आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है. चुनाव के नोटिफिकेशन में उम्मीदवारों के नामांकन, नाम वापसी, स्क्रूटनी, मतदान और मतगणना की तारीख का जिक्र होता है. राजनीतिक दल अपने उम्मीदवार तय करते हैं और वे उम्मीदवार लोगों से अपने पक्ष में वोट की अपील करते हैं. चुनाव प्रचार मतदान के 48 घंटे पहले खत्म हो जाता है. मतदान के लिए हर विधानसभा क्षेत्र में कई पोलिंग बूथ बनाए जाते हैं, जहां आप मान्य दस्तावेज के साथ जाकर अपना प्रतिनिधि चुन सकते हैं. मतदान का समय खत्म होने के बाद ईवीएम को भारी सुरक्षा के बीच स्ट्रांग रूम में रखा जाता है.

ये भी पढ़ें-झारखंड विधानसभा चुनाव 2019: आपने निभाई जिम्मेदारी तो नपेंगे आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले

मतगणना के दिन ईवीएम से मतों की गिनती की जाती है. सबसे ज्यादा वोट हासिल कर जीतने वाले उम्मीदवार अपने विधानसभा के विधायक बन जाते हैं. चुने हुए विधायक राज्य सरकार का गठन करते हैं. इसके लिए सबसे अधिक सीटें हासिल करने वाली पार्टी या गठबंधन को राज्यपाल द्वारा नई सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जाता है. किसी भी पार्टी या गठबंधन को सदन में अपना बहुमत साबित करना होता है जो कुल सीटों के आधे से एक ज्यादा होता है. जैसे झारखंड में 81 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होता है और सरकार बनाने के लिए पार्टी या गठबंधन को न्यूनतम 41 सीटों पर जीत हासिल करनी पड़ती है.

झारखंड विधानसभा चुनाव 2019
कौन कर सकता है मतदान

मतदान करना आपका मौलिक कर्तव्य
संविधान के अनुसार कोई भी भारतीय नागरिक जिसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक है, वो मतदान कर सकता है. मतदान करना नागरिक का मौलिक कर्तव्य भी है. इसके लिए उसे अपने क्षेत्र के मतदाता सूची में अपना नाम शामिल करवाना पड़ता है. आमतौर पर, उम्मीदवारों के नामांकन की अंतिम तिथि से एक सप्ताह पहले तक मतदाता पंजीकरण के लिए अनुमति दी गई है. जिस विधानसभा क्षेत्र में आपका नाम जोड़ा गया है, आप उसी विधानसभा क्षेत्र में अपना मतदान कर सकते हैं. मतदान के लिए चुनाव आयोग द्वारा मान्य 12 दस्तावेजों में से कोई एक साथ ले जाना जरूरी है.

लोकतंत्र में जितने अधिकार नागरिकों को मिलते हैं, उनमें सबसे बड़ा अधिकार है मतदान का अधिकार. ये अधिकार जितना बड़ा है, उतना ही जिम्मेदारी भरा है. कई लोग तो वोटिंग के दिन मिली छुट्टी का फायदा उठाकर पिकनिक मनाने चले जाते हैं. कुछ लोग आलस की वजह से वोट नहीं डालते. कई लोग ये सोच कर वोट नहीं करते कि सभी नेता भ्रष्ट हैं, कोई जीते, कोई हारे, क्या फर्क पड़ता है. वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जो उम्मीदवार के गुण न देखकर धर्म और जाति के आधार पर वोट देते हैं. लेकिन आपका एक वोट आने वाले पांच साल में प्रदेश की दशा और दिशा तय कर सकता है इसलिए सभी को अपनी इस जिम्मेदारी का निर्वाह जिम्मेदारीपूर्वक करना चाहिए.

ये भी पढ़ें-झारखंड विधानसभा चुनाव 2019: मतदाता सूची में नाम कैसे जुड़वाएं

आपको यदि लगता है कि सभी उम्मीदवार आयोग्य हैं तो चुनाव आयोग ने मतदाताओं को अपना मत न देने का भी पूरा अधिकार दिया है. आप ईवीएम में नोटा बटन दबाकर अपना मतदान कर सकते हैं, जिसका मतलब है None of the above यानी इनमें से कोई नहीं.

हालांकि जनप्रतिनिधि कानून 1951 की धारा 62(5) के तहत जेल में बंद होने या सजायाफ्ता होने पर आप मतदान नहीं कर सकते. इसके साथ ही अगर किसी व्यक्ति के चुनाव क्षेत्र में आने से कानून व्यवस्था खराब होने की आशंका हो तो जिला प्रशासन ऐसे व्यक्ति को मतदान से रोक सकता है.

रांचीः भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. 26 जनवरी1950 को जब भारत गणतांत्रिक देश बन रहा था, उसी के एक दिन पहले 25 जनवरी 1950 को निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव के लिए भारत निर्वाचन आयोग का गठन किया गया. भारत का संविधान इस देश के हर नागरिक को अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार देता है. पहले मत पत्र के जरिए मतदान किया जाता था लेकिन बदलते वक्त के साथ ये तरीका थोड़ा बदल गया है और अब ईवीएम के जरिए वोट डालते हैं. केंद्र की सरकार चुनने के लिए लोकसभा चुनाव और राज्यों की सरकार चुनने के लिए विधानसभा चुनाव कराए जाते हैं. चुनावों की ये प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से होती है. मतदाता सूची का प्रकाशन एक जरूरी चुनाव पूर्व प्रक्रिया है.

वीडियो में देखिए पूरी जानकारी

निर्वाचन आयोग सबसे पहले चुनाव की तारीखों का ऐलान करता है और इसी के साथ आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है. चुनाव के नोटिफिकेशन में उम्मीदवारों के नामांकन, नाम वापसी, स्क्रूटनी, मतदान और मतगणना की तारीख का जिक्र होता है. राजनीतिक दल अपने उम्मीदवार तय करते हैं और वे उम्मीदवार लोगों से अपने पक्ष में वोट की अपील करते हैं. चुनाव प्रचार मतदान के 48 घंटे पहले खत्म हो जाता है. मतदान के लिए हर विधानसभा क्षेत्र में कई पोलिंग बूथ बनाए जाते हैं, जहां आप मान्य दस्तावेज के साथ जाकर अपना प्रतिनिधि चुन सकते हैं. मतदान का समय खत्म होने के बाद ईवीएम को भारी सुरक्षा के बीच स्ट्रांग रूम में रखा जाता है.

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मतगणना के दिन ईवीएम से मतों की गिनती की जाती है. सबसे ज्यादा वोट हासिल कर जीतने वाले उम्मीदवार अपने विधानसभा के विधायक बन जाते हैं. चुने हुए विधायक राज्य सरकार का गठन करते हैं. इसके लिए सबसे अधिक सीटें हासिल करने वाली पार्टी या गठबंधन को राज्यपाल द्वारा नई सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जाता है. किसी भी पार्टी या गठबंधन को सदन में अपना बहुमत साबित करना होता है जो कुल सीटों के आधे से एक ज्यादा होता है. जैसे झारखंड में 81 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होता है और सरकार बनाने के लिए पार्टी या गठबंधन को न्यूनतम 41 सीटों पर जीत हासिल करनी पड़ती है.

झारखंड विधानसभा चुनाव 2019
कौन कर सकता है मतदान

मतदान करना आपका मौलिक कर्तव्य
संविधान के अनुसार कोई भी भारतीय नागरिक जिसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक है, वो मतदान कर सकता है. मतदान करना नागरिक का मौलिक कर्तव्य भी है. इसके लिए उसे अपने क्षेत्र के मतदाता सूची में अपना नाम शामिल करवाना पड़ता है. आमतौर पर, उम्मीदवारों के नामांकन की अंतिम तिथि से एक सप्ताह पहले तक मतदाता पंजीकरण के लिए अनुमति दी गई है. जिस विधानसभा क्षेत्र में आपका नाम जोड़ा गया है, आप उसी विधानसभा क्षेत्र में अपना मतदान कर सकते हैं. मतदान के लिए चुनाव आयोग द्वारा मान्य 12 दस्तावेजों में से कोई एक साथ ले जाना जरूरी है.

लोकतंत्र में जितने अधिकार नागरिकों को मिलते हैं, उनमें सबसे बड़ा अधिकार है मतदान का अधिकार. ये अधिकार जितना बड़ा है, उतना ही जिम्मेदारी भरा है. कई लोग तो वोटिंग के दिन मिली छुट्टी का फायदा उठाकर पिकनिक मनाने चले जाते हैं. कुछ लोग आलस की वजह से वोट नहीं डालते. कई लोग ये सोच कर वोट नहीं करते कि सभी नेता भ्रष्ट हैं, कोई जीते, कोई हारे, क्या फर्क पड़ता है. वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जो उम्मीदवार के गुण न देखकर धर्म और जाति के आधार पर वोट देते हैं. लेकिन आपका एक वोट आने वाले पांच साल में प्रदेश की दशा और दिशा तय कर सकता है इसलिए सभी को अपनी इस जिम्मेदारी का निर्वाह जिम्मेदारीपूर्वक करना चाहिए.

ये भी पढ़ें-झारखंड विधानसभा चुनाव 2019: मतदाता सूची में नाम कैसे जुड़वाएं

आपको यदि लगता है कि सभी उम्मीदवार आयोग्य हैं तो चुनाव आयोग ने मतदाताओं को अपना मत न देने का भी पूरा अधिकार दिया है. आप ईवीएम में नोटा बटन दबाकर अपना मतदान कर सकते हैं, जिसका मतलब है None of the above यानी इनमें से कोई नहीं.

हालांकि जनप्रतिनिधि कानून 1951 की धारा 62(5) के तहत जेल में बंद होने या सजायाफ्ता होने पर आप मतदान नहीं कर सकते. इसके साथ ही अगर किसी व्यक्ति के चुनाव क्षेत्र में आने से कानून व्यवस्था खराब होने की आशंका हो तो जिला प्रशासन ऐसे व्यक्ति को मतदान से रोक सकता है.

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झारखंड विधानसभा चुनाव 2019: कैसे होता है विधानसभा चुनाव, कौन कर सकता है मतदान

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भारत का संविधान देश के हर नागरिक को अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार देता है. विधानसभा चुनाव के जरिए विधायक चुने जाते हैं जो राज्य सरकार का गठन करते हैं. विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया को समझने के लिए वीडियो देखिए.





रांचीः भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. 26 जनवरी1950 को जब भारत गणतांत्रिक देश बन रहा था, उसी के एक दिन पहले 25 जनवरी 1950 को निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव के लिए भारत निर्वाचन आयोग का गठन किया गया. भारत का संविधान इस देश के हर नागरिक को अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार देता है. पहले मत पत्र के जरिए मतदान किया जाता था लेकिन बदलते वक्त के साथ ये तरीका थोड़ा बदल गया है और अब ईवीएम के जरिए वोट डालते हैं. केंद्र की सरकार चुनने के लिए लोकसभा चुनाव और राज्यों की सरकार चुनने के लिए विधानसभा चुनाव कराए जाते हैं.  चुनावों की ये प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से होती है. मतदाता सूची का प्रकाशन एक जरूरी चुनाव पूर्व प्रक्रिया है. 



निर्वाचन आयोग सबसे पहले चुनाव की तारीखों का ऐलान करता है और इसी के साथ आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है. चुनाव के नोटिफिकेशन में उम्मीदवारों के नामांकन, नाम वापसी, स्क्रूटनी, मतदान और मतगणना की तारीख का जिक्र होता है. राजनीतिक दल अपने उम्मीदवार तय करते हैं और वे उम्मीदवार लोगों से अपने पक्ष में वोट की अपील करते हैं. चुनाव प्रचार मतदान के 48 घंटे पहले खत्म हो जाता है. मतदान के लिए हर विधानसभा क्षेत्र में कई पोलिंग बूथ बनाए जाते हैं, जहां आप मान्य दस्तावेज के साथ जाकर अपना प्रतिनिधि चुन सकते हैं. मतदान का समय खत्म होने के बाद ईवीएम को भारी सुरक्षा के बीच स्ट्रांग रूम में रखा जाता है. 



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मतगणना के दिन ईवीएम से मतों की गिनती की जाती है. सबसे ज्यादा वोट हासिल कर जीतने वाले उम्मीदवार अपने विधानसभा के विधायक बन जाते हैं. चुने हुए विधायक राज्य सरकार का गठन करते हैं. इसके लिए सबसे अधिक सीटें हासिल करने वाली पार्टी या गठबंधन को राज्यपाल द्वारा नई सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जाता है. किसी भी पार्टी या गठबंधन को सदन में अपना बहुमत साबित करना होता है जो कुल सीटों के आधे से एक ज्यादा होता है. जैसे झारखंड में 81 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होता है और सरकार बनाने के लिए पार्टी या गठबंधन को न्यूनतम 41 सीटों पर जीत हासिल करनी पड़ती है.



मतदान करना आपका मौलिक कर्तव्य

संविधान के अनुसार कोई भी भारतीय नागरिक जिसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक है, वो मतदान कर सकता है. मतदान करना नागरिक का मौलिक कर्तव्य भी है. इसके लिए उसे अपने क्षेत्र के मतदाता सूची में अपना नाम शामिल करवाना पड़ता है. आमतौर पर, उम्मीदवारों के नामांकन की अंतिम तिथि से एक सप्ताह पहले तक मतदाता पंजीकरण के लिए अनुमति दी गई है. जिस विधानसभा क्षेत्र में आपका नाम जोड़ा गया है, आप उसी विधानसभा क्षेत्र में अपना मतदान कर सकते हैं. मतदान के लिए चुनाव आयोग द्वारा मान्य 12 दस्तावेजों में से कोई एक साथ ले जाना जरूरी है.

 

लोकतंत्र में जितने अधिकार नागरिकों को मिलते हैं, उनमें सबसे बड़ा अधिकार है मतदान का अधिकार. ये अधिकार जितना बड़ा है, उतना ही जिम्मेदारी भरा है. कई लोग तो वोटिंग के दिन मिली छुट्टी का फायदा उठाकर पिकनिक मनाने चले जाते हैं. कुछ लोग आलस की वजह से वोट नहीं डालते. कई लोग ये सोच कर वोट नहीं करते कि सभी नेता भ्रष्ट हैं, कोई जीते, कोई हारे, क्या फर्क पड़ता है. वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जो उम्मीदवार के गुण न देखकर धर्म और जाति के आधार पर वोट देते हैं. लेकिन आपका एक वोट आने वाले पांच साल में प्रदेश की दशा और दिशा तय कर सकता है इसलिए सभी को अपनी इस जिम्मेदारी का निर्वाह जिम्मेदारीपूर्वक करना चाहिए.



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आपको यदि लगता है कि सभी उम्मीदवार आयोग्य हैं तो चुनाव आयोग ने मतदाताओं को अपना मत न देने का भी पूरा अधिकार दिया है. आप ईवीएम में नोटा बटन दबाकर अपना मतदान कर सकते हैं, जिसका मतलब है None of the above यानी इनमें से कोई नहीं.



हालांकि जनप्रतिनिधि कानून 1951 की धारा 62(5) के तहत जेल में बंद होने या सजायाफ्ता होने पर आप मतदान नहीं कर सकते. इसके साथ ही अगर किसी व्यक्ति के चुनाव क्षेत्र में आने से कानून व्यवस्था खराब होने की आशंका हो तो जिला प्रशासन ऐसे व्यक्ति को मतदान से रोक सकता है.


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