रांचीः एनआईए ने झारखंड के अपराधियों और नक्सलियों के बीच हथियार सप्लाई करने वाले गिरोह के सदस्यों को रिमांड पर लेकर पूछताछ की है. इस पूछताछ में कई अहम खुलासे हुए हैं. जिसके आधार पर एनआईए की टीम आगे की कार्रवाई करने में जुट गई है.
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मंगलवार को रिमांड की अवधि पूरीः गौरतलब है कि एनआईए ने झारखंड के अपराधियों और नक्सलियों को हथियार की सप्लाई करने वाले गिरोह के सदस्यों को रिमांड पर लिया है. रिमांड पर लिए गए उग्रवादियों को आज रिमांड पूरी होने के बाद जेल भेजा जाएगा. एनआईए ने 18 जनवरी को हथियार तस्करी में गिरफ्तार ऋषि कुमार सिंह, पंकज कुमार सिंह, सीआरपीएफ के सेवानिवृत हवलदार अरूण कुमार सिंह और बीएसएफ के फिरोजपुर कैंप में रहे कोत प्रभारी कार्तिक बेहरा को रिमांड पर लिया था. रिमांड पर लेकर पूछताछ किए जाने के बाद सभी से कई नए तथ्यों की जानकारी एनआईए को मिली है.
कई नए तथ्य आए सामनेः एनआईए सूत्रों के मुताबिक पूछताछ में कई अहम जानकारी मिली है. गिरफ्तार कार्तिक बेहरा ने बीएसएफ के अन्य जवानों की भूमिका के विषय में भी जानकारी दी है. पूछताछ में उसने स्वीकार किया है कि बीते छह सात सालों से वह हथियार और कारतूस की सप्लाई करता था. अब तक पांच से सात हजार कारतूस वह बेच चुका है. वहीं गिरफ्तार हथियार तस्करों ने बताया है कि रांची के अमन साव गिरोह के अलावा बिहार और झारखंड के भी कई बड़े आपराधिक गिरोहों को हथियार की सप्लाई की जाती थी.
ठेकेदार पहुंचाते हैं माओवादियों तक गोलीः कोल्हान और चाईबासा के इलाके में पतिराम मांझी के दस्ते को हथियार की सप्लाई की जाती थी. ठेकेदार संजय सिंह समेत कुछ अन्य ठेकेदार माओवादियों को सारे जरूरी सामान पहुंचाते थे. वहीं लेवी की राशि भी जमा कर पहुंचाई जाती थी. कारतूस और हथियारों की डिलिवरी भी माओवादियों को ठेकेदार ही किया करते थे. गौरतलब है कि पूरे मामले का खुलासा बीते साल नवंबर में झारखंड पुलिस की एटीएस ने किया था. एटीएस ने इस मामले में सारे आरोपियों को गिरफ्तार किया था. लेकिन पारा मिलिट्री और दूसरे राज्यों से तार जुड़ने के बाद एनआईए ने केस को टेकओवर कर जांच शुरू की थी.