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ग्रामीण विकास विभाग के अनुदान मांगों पर मिली मंजूरी, भाकपा माले विधायक ने लिया कटौती प्रस्ताव वापस

ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि मनरेगा केंद्र सरकार की योजना है और मौजूदा सरकार ने मनरेगा की न्यूनतम मजदूरी 272 रुपए करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने बात रखी है और प्रधानमंत्री ने भी इस मुद्दे पर सकारात्मक रवैया अपनाया है.

Rural Development Department
मंत्री आलमगीर आलम
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Published : Mar 12, 2020, 8:00 PM IST

रांची: झारखंड विधानसभा के मौजूदा बजट सत्र के दौरान ग्रामीण विकास विभाग की अनुदान मांगों पर बहस के बाद उसे स्वीकृत कर दिया गया. गुरुवार को सेकंड हाफ में अनुदान मांगों पर भाकपा माले के विधायक विनोद सिंह ने कटौती प्रस्ताव पेश किया. अपने प्रस्ताव के समर्थन में सिंह ने कहा कि राज्य में मनरेगा की मजदूरी अन्य राज्यों की तुलना में सबसे कम है.

मंत्री आलमगीर आलम का बयान

उन्होंने कहा कि सरकार को मनरेगा की न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाने की दिशा में कदम उठाना चाहिए. इसके साथ ही पथ निर्माण विभाग में हुए कथित घोटालों की जांच के लिए एसआईटी का गठन करना चाहिए. वहीं, प्रदीप यादव ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार की कई ऐसी योजनाएं हैं जो अभी तक जमीन पर नहीं उतरी हैं. उन्होंने कहा कि मनरेगा और प्रधानमंत्री आवास योजना में 70% तक की लूट होती है. उन्होंने कहा कि मनरेगा के जॉब कार्ड बिचौलियों के पास रहते हैं और डीबीटी होने वाली राशि बैंकर्स के माध्यम से उन तक पहुंच जाती है.

कटौती प्रस्ताव के विरोध में बोलते हुए लोबिन हेंब्रम ने कहा कि मौजूदा सरकार सब के बारे में सोच रही है. गिरिडीह से विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा कि दरअसल पूर्ववर्ती सरकार में अनुबंध कर्मियों के नाम पर संसाधनों को केंद्रित करने का प्रयास किया जा रहा था. उन्होंने कहा कि उन अनुबंध कर्मियों को 14वें वित्त आयोग के बाद 15वें वित्त आयोग में समायोजित किया जाना चाहिए. नहीं तो बेरोजगारों की बड़ी फौज खड़ी हो जाएगी. बीजेपी के भानु प्रताप शाही ने कहा कि सरकार ने मनरेगा की न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है.

सरकार ने दिया जवाब

वहीं, सरकार की तरफ से जवाब देते हुए ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि मनरेगा केंद्र सरकार की योजना है और मौजूदा सरकार ने मनरेगा की न्यूनतम मजदूरी 272 रुपए करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राज्य सरकार ने बात रखी है और प्रधानमंत्री ने भी इस मुद्दे पर सकारात्मक रवैया अपनाया है. उन्होंने बजट और मेनिफेस्टो को अलग-अलग नजरिया से देखा जाना चाहिए. आलम ने कहा कि अभी उनकी सरकार को महज 2 महीने हुए हैं और 58 महीने का कार्यकाल में अभी भी बाकी है.

उन्होंने कहा कि गांव के लोगों से पौधों का रोपण कराया जाएगा. वहीं, उन्होंने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था में भी अधिकार दिए जाने को लेकर भी सरकार संवेदनशील है. उन्होंने कहा कि बजट के अनुरूप ही सरकार काम करेगी और अनुबंध कर्मियों के समायोजन पर भी सरकार गंभीर है. आलम ने कहा कि सदस्यों ने जो भी विचार और सुझाव दिए हैं उसको लेकर सरकार गंभीर है और उस पर काम होगा.

ये भी पढ़ें: डीवीसी कमांड एरिया में बिजली संकट पर पक्ष-विपक्ष ने उठाई आवाज, सरकार ने दिया आश्वासन

ग्रामीण इलाकों की सड़कों का निर्माण है प्राथमिकता

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में वैसी सड़कों पर सरकार का विशेष फोकस रहेगा जो जिला मुख्यालय या ब्लॉक मुख्यालय को जोड़ने वाली है. इसके साथ ही जो सड़क लंबे समय से रिपेयर नहीं हुई हैं उन्हें भी सरकार प्राथमिकता के आधार पर निर्मित करेगी. सरकार के जवाब के बाद भाकपा माले विधायक में अपना कटौती प्रस्ताव वापस ले लिया और सदन में ग्रामीण विकास विभाग के 69,35,84,75000 रुपए के अनुदान मांगों को स्वीकृति मिली.

रांची: झारखंड विधानसभा के मौजूदा बजट सत्र के दौरान ग्रामीण विकास विभाग की अनुदान मांगों पर बहस के बाद उसे स्वीकृत कर दिया गया. गुरुवार को सेकंड हाफ में अनुदान मांगों पर भाकपा माले के विधायक विनोद सिंह ने कटौती प्रस्ताव पेश किया. अपने प्रस्ताव के समर्थन में सिंह ने कहा कि राज्य में मनरेगा की मजदूरी अन्य राज्यों की तुलना में सबसे कम है.

मंत्री आलमगीर आलम का बयान

उन्होंने कहा कि सरकार को मनरेगा की न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाने की दिशा में कदम उठाना चाहिए. इसके साथ ही पथ निर्माण विभाग में हुए कथित घोटालों की जांच के लिए एसआईटी का गठन करना चाहिए. वहीं, प्रदीप यादव ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार की कई ऐसी योजनाएं हैं जो अभी तक जमीन पर नहीं उतरी हैं. उन्होंने कहा कि मनरेगा और प्रधानमंत्री आवास योजना में 70% तक की लूट होती है. उन्होंने कहा कि मनरेगा के जॉब कार्ड बिचौलियों के पास रहते हैं और डीबीटी होने वाली राशि बैंकर्स के माध्यम से उन तक पहुंच जाती है.

कटौती प्रस्ताव के विरोध में बोलते हुए लोबिन हेंब्रम ने कहा कि मौजूदा सरकार सब के बारे में सोच रही है. गिरिडीह से विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने कहा कि दरअसल पूर्ववर्ती सरकार में अनुबंध कर्मियों के नाम पर संसाधनों को केंद्रित करने का प्रयास किया जा रहा था. उन्होंने कहा कि उन अनुबंध कर्मियों को 14वें वित्त आयोग के बाद 15वें वित्त आयोग में समायोजित किया जाना चाहिए. नहीं तो बेरोजगारों की बड़ी फौज खड़ी हो जाएगी. बीजेपी के भानु प्रताप शाही ने कहा कि सरकार ने मनरेगा की न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है.

सरकार ने दिया जवाब

वहीं, सरकार की तरफ से जवाब देते हुए ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि मनरेगा केंद्र सरकार की योजना है और मौजूदा सरकार ने मनरेगा की न्यूनतम मजदूरी 272 रुपए करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राज्य सरकार ने बात रखी है और प्रधानमंत्री ने भी इस मुद्दे पर सकारात्मक रवैया अपनाया है. उन्होंने बजट और मेनिफेस्टो को अलग-अलग नजरिया से देखा जाना चाहिए. आलम ने कहा कि अभी उनकी सरकार को महज 2 महीने हुए हैं और 58 महीने का कार्यकाल में अभी भी बाकी है.

उन्होंने कहा कि गांव के लोगों से पौधों का रोपण कराया जाएगा. वहीं, उन्होंने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था में भी अधिकार दिए जाने को लेकर भी सरकार संवेदनशील है. उन्होंने कहा कि बजट के अनुरूप ही सरकार काम करेगी और अनुबंध कर्मियों के समायोजन पर भी सरकार गंभीर है. आलम ने कहा कि सदस्यों ने जो भी विचार और सुझाव दिए हैं उसको लेकर सरकार गंभीर है और उस पर काम होगा.

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ग्रामीण इलाकों की सड़कों का निर्माण है प्राथमिकता

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में वैसी सड़कों पर सरकार का विशेष फोकस रहेगा जो जिला मुख्यालय या ब्लॉक मुख्यालय को जोड़ने वाली है. इसके साथ ही जो सड़क लंबे समय से रिपेयर नहीं हुई हैं उन्हें भी सरकार प्राथमिकता के आधार पर निर्मित करेगी. सरकार के जवाब के बाद भाकपा माले विधायक में अपना कटौती प्रस्ताव वापस ले लिया और सदन में ग्रामीण विकास विभाग के 69,35,84,75000 रुपए के अनुदान मांगों को स्वीकृति मिली.

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