रांचीः राज्य में 20 सूत्री कमेटी गठन को लेकर सत्तारूढ़ दलों के अंदर खींचतान जारी है. कई महीनों से इसको लेकर सत्तारूढ़ दलों के बीच समन्वय बनाने की कोशिश की जा रही है. मगर अब तक इस दिशा में सफलता नहीं मिली है. जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी को आधार मानकर शुरू हुआ एक्सरसाइज कामयाब होता हुआ नहीं दिख रहा है. कांग्रेस के अंदर अब तक अंतिम लिस्ट तय नहीं हो पाई है. ऐसे में इस संबंध में सत्तारूढ़ दल झामुमो, कांग्रेस और राजद के बीच कोई फार्मूला अब तक तय नहीं हो पाया है. हालांकि कांग्रेस ने दावा किया है कि नाम तय हो चूके हैं और जल्द ही सत्तारूढ़ दल के नेताओं की बैठक में मुख्यमंत्री की मंजूरी मिल जायेगी.
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कांग्रेस नेता शमशेर आलम ने कहा कि सत्तारूढ़ दलों के बीच इसको लेकर कोई भी विवाद नहीं है. जानकारी के मुताबिक पूर्व में हुए बैठक मेंं सत्तारूढ़ दल द्वारा जो फार्मूला तय किया गया था, उसमें राज्य के सभी 24 जिलों को बांटा गया है. जिसमें सर्वाधिक झारखंड मुक्ति मोर्चा को 13 जिला तो वहीं दूसरे नंबर पर कांग्रेस को 10 और राजद को 1 जिला दिया गया है.
20 सूत्री गठन पर राजनीति शुरू
इधर सत्तारूढ़ दल के अंदर जारी खींचतान के बीच बीजेपी ने बीस सूत्री गठन में हो रही देरी पर तंज कसा है. पूर्व स्पीकर और बीजेपी विधायक सी पी सिंह ने आलोचना करते हुए कहा कि महागठबंधन के अंदर ऑल इज वेल नहीं है. पूर्ण बहुमत की सरकार रहती तो अब तक हो चुका रहता, मगर गठबंधन में कांग्रेस का अलग राग है. वो यदि समर्थन वापस ले लेगी तो सरकार गिर जायेगी. इसलिए गठबंधन की मजबूरी के कारण यह लटका हुआ है. बीजेपी के आरोप पर कांग्रेस, राजद ने सफाई देते हुए गठबंधन के अंदर ऑल इज वेल का दावा किया है. राजद ने हालांकि अब तक बीस सूत्री कमेटी नहीं बनने पर अफसोस जरूर जाहिर किया है. राजद प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेंद्र प्रसाद ने कहा है कि गठबंधन के अंदर बातचीत हुई है मगर अब तक फाइनल रूप नहीं दिया जा सका है.
बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं का होगा 20 सूत्री कमेटी में समावेश
राज्य स्तर से लेकर प्रखंड स्तर तक में 20 सूत्री और निगरानी कमेटी में कुल मिलाकर 5200 कार्यकर्ताओं का समावेश होगा, इसके अलावे सभी दलों के विधायक अपने-अपने क्षेत्र में पदेन सदस्य के रुप में समिति में रहेंगे. कांग्रेस के खाते में जो जिले आने की संभावना है, उसमें पलामू, हजारीबाग ,रामगढ़, कोडरमा, देवघर, गोड्डा, पाकुड़, लोहरदगा शामिल हैं. वहीं राजद के खाते में चतरा शामिल है. धनबाद और रांची में कांग्रेस-झामुमो की संयुक्त भागीदारी रहने की उम्मीद है. खूंटी सहित शेष 13 जिले झामुमो के खाते में होने की संभावना है. ऐसे में सत्तारूढ़ दलों के कार्यकर्ताओं में अपना नाम निश्चित कराने को लेकर होड़ सी मची है.