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जरेडा में 170 करोड़ अनियमितता मामले में ACB ने दर्ज की FIR, पूर्व निदेशक निरंजन कुमार सहित 4 बनाए गए आरोपी

जरेडा में 170 करोड़ रुपये की अनियमितता मामले में एसीबी की टीम ने एफआईआर दर्ज की है. अनियमितता के मामले में पूर्व निदेशक निरंजन कुमार, पूर्व प्रोजेक्ट मैनेजर अरविंद कुमार, बलदेव प्रसाद और इलेक्ट्रॉनिक एक्जीक्यूटिव इंजीनियर राम सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर की गई है.

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Published : Dec 21, 2020, 8:42 PM IST

ACB registers FIR in Jareda irregularity case
जरेडा में अनियमितता का मामला

रांची: जरेडा में 170 करोड़ की अनियमितता के मामले में पूर्व निदेशक निरंजन कुमार, पूर्व प्रोजेक्ट मैनेजर अरविंद कुमार, बलदेव प्रसाद और इलेक्ट्रॉनिक एक्जीक्यूटिव इंजीनियर राम सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर की गई है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश के बाद जरेडा में 170 करोड़ की अनियमितता, पद के दुरुपयोग के मामले में एसीबी को जांच के आदेश दिए गए थे. जांच में निरंजन कुमार समेत तीन अधिकारियों की भूमिका आयी थी, जिसके बाद एसीबी ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग निगरानी विभाग से की थी. विभाग से अनुमति मिलने के बाद तीनों पदाधिकारियों के खिलाफ सोमवार को एफआईआर दर्ज की गई.

ये भी पढ़ें: भाजपा में शामिल होने के बाद पहली बार गोड्डा पहुंचे बाबूलाल मरांडी, बदले-बदले से आए नजर

क्या है विभाग का आदेश

निगरानी विभाग के आदेश के बाद एसीबी डीएसपी सादिक अनवर रिजवी को केस का अनुसंधानक बनाया गया है. विभाग ने आदेश दिया है कि मामले की जांच में तीनों आरोपित पदाधिकारियों को पक्ष रखने का पूरा मौका दिया जाए. वहीं, जांच के क्रम में जरेडा व ऊर्जा निगम की विभागीय जांच की पहलुओं को भी शामिल किया जाए. एसीबी की पीई जांच में यह बात सामने आयी थी कि अधिकारियों ने शर्त पूरा नहीं करने वाली कंपनी को काम दिया था. कंपनी के द्वारा एक ऐसी कंपनी को काम दिया गया था जो मैन्यूफैक्चरिंग का काम नहीं करती थी, लेकिन उसे मैन्यूफैक्चरिंग का काम दिया गया. एसीबी ने जब मामले की तहकीकात की थी तब पता चला था कि कंपनी के द्वारा मैन्यूफैक्चरिंग नहीं किया जाता था. इस बात की पुष्टि कंपनी के सलाना रिटर्न की जांच से भी हुई. टेंडर देने में एसीबी ने राम सिंह की भूमिका गलत पायी गयी थी.

कंपनी के साइलेंट पार्टनर बन कर काम करते थे अफसर

जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ था कि जरेडा और ऊर्जा निगम में कई अधिकारियों ने अपने ही लोगों के नाम से कंपनी खोल रही थी. इन कंपनियों को ही काम भी आवंटित किया जाता था. कई कंपनियों में अधिकारियों के साइलेंट पार्टनर होने की बात भी सामने आयी थी. गौरतलब है कि जरेडा के पूर्व निदेशक निरजन कुमार के खिलाफ एसीबी की जांच का आदेश मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दिया था. पीई दर्ज कर एसीबी ने मामले की जांच शुरू की थी, जिसके बाद निरंजन कुमार समेत अन्य अधिकारियों की भूमिका गलत पायी गई थी.

कैसी-कैसी अनियमितता आयी थी सामने

इंडियन पोस्ट एंड टीसी एकाउंट्स एंड फाइनांस सर्विस के अधिकारी निरंजन कुमार के खिलाफ अपने वेतन की निकासी अवैध रुप से करने और सरकार के विभिन्न खातों से लगभग 170 करोड़ का भुगतान करने, विदेश भ्रमण करने, अपनी संपत्ति विवरण में अपनी पत्नी के नाम से अर्जित सम्पति की जानकारी नहीं देने का आरोप लगा था. निरंजन कुमार इंडियन पोस्ट एंड टीसी एकाउंट्स एंड फाइनेंस सर्विस के 1990 बैच के अधिकारी हैं. भारत संचार निगम लिमिटेड उनका मूल विभाग है. निरंजन कुमार को एक दिसंबर 2005 को झारखंड सरकार ने प्रतिनियुक्ति पर बुलाया था तब वह वित्त विभाग में स्पेशल सेक्रेटरी बनाये गए थे.

निरंजन कुमार पर अपने पुराने परिचयों का दुरुपयोग कर जेयूएसएनएल और जरेडा का निदेशक बनने, उस पद हेतु कोई भी तकनीकी अहर्ताएं पूरी नहीं करने, 27 जनवरी 2019 को प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त हो जाने के बाद इनकी प्रतिनियुक्ति अवधि का विस्तार केंद्र सरकार अथवा डीओपीटी में अभी तक प्राप्त नहीं होने से संबंधित शिकायत एसीबी को मिली थी. एसीबी ने साल 2019 में भी निरंजन कुमार के खिलाफ एफआईआर की अनुमति मांगी थी, लेकिन तब सरकार ने जांच की अनुमति नहीं दी थी.

रांची: जरेडा में 170 करोड़ की अनियमितता के मामले में पूर्व निदेशक निरंजन कुमार, पूर्व प्रोजेक्ट मैनेजर अरविंद कुमार, बलदेव प्रसाद और इलेक्ट्रॉनिक एक्जीक्यूटिव इंजीनियर राम सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर की गई है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश के बाद जरेडा में 170 करोड़ की अनियमितता, पद के दुरुपयोग के मामले में एसीबी को जांच के आदेश दिए गए थे. जांच में निरंजन कुमार समेत तीन अधिकारियों की भूमिका आयी थी, जिसके बाद एसीबी ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग निगरानी विभाग से की थी. विभाग से अनुमति मिलने के बाद तीनों पदाधिकारियों के खिलाफ सोमवार को एफआईआर दर्ज की गई.

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क्या है विभाग का आदेश

निगरानी विभाग के आदेश के बाद एसीबी डीएसपी सादिक अनवर रिजवी को केस का अनुसंधानक बनाया गया है. विभाग ने आदेश दिया है कि मामले की जांच में तीनों आरोपित पदाधिकारियों को पक्ष रखने का पूरा मौका दिया जाए. वहीं, जांच के क्रम में जरेडा व ऊर्जा निगम की विभागीय जांच की पहलुओं को भी शामिल किया जाए. एसीबी की पीई जांच में यह बात सामने आयी थी कि अधिकारियों ने शर्त पूरा नहीं करने वाली कंपनी को काम दिया था. कंपनी के द्वारा एक ऐसी कंपनी को काम दिया गया था जो मैन्यूफैक्चरिंग का काम नहीं करती थी, लेकिन उसे मैन्यूफैक्चरिंग का काम दिया गया. एसीबी ने जब मामले की तहकीकात की थी तब पता चला था कि कंपनी के द्वारा मैन्यूफैक्चरिंग नहीं किया जाता था. इस बात की पुष्टि कंपनी के सलाना रिटर्न की जांच से भी हुई. टेंडर देने में एसीबी ने राम सिंह की भूमिका गलत पायी गयी थी.

कंपनी के साइलेंट पार्टनर बन कर काम करते थे अफसर

जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ था कि जरेडा और ऊर्जा निगम में कई अधिकारियों ने अपने ही लोगों के नाम से कंपनी खोल रही थी. इन कंपनियों को ही काम भी आवंटित किया जाता था. कई कंपनियों में अधिकारियों के साइलेंट पार्टनर होने की बात भी सामने आयी थी. गौरतलब है कि जरेडा के पूर्व निदेशक निरजन कुमार के खिलाफ एसीबी की जांच का आदेश मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दिया था. पीई दर्ज कर एसीबी ने मामले की जांच शुरू की थी, जिसके बाद निरंजन कुमार समेत अन्य अधिकारियों की भूमिका गलत पायी गई थी.

कैसी-कैसी अनियमितता आयी थी सामने

इंडियन पोस्ट एंड टीसी एकाउंट्स एंड फाइनांस सर्विस के अधिकारी निरंजन कुमार के खिलाफ अपने वेतन की निकासी अवैध रुप से करने और सरकार के विभिन्न खातों से लगभग 170 करोड़ का भुगतान करने, विदेश भ्रमण करने, अपनी संपत्ति विवरण में अपनी पत्नी के नाम से अर्जित सम्पति की जानकारी नहीं देने का आरोप लगा था. निरंजन कुमार इंडियन पोस्ट एंड टीसी एकाउंट्स एंड फाइनेंस सर्विस के 1990 बैच के अधिकारी हैं. भारत संचार निगम लिमिटेड उनका मूल विभाग है. निरंजन कुमार को एक दिसंबर 2005 को झारखंड सरकार ने प्रतिनियुक्ति पर बुलाया था तब वह वित्त विभाग में स्पेशल सेक्रेटरी बनाये गए थे.

निरंजन कुमार पर अपने पुराने परिचयों का दुरुपयोग कर जेयूएसएनएल और जरेडा का निदेशक बनने, उस पद हेतु कोई भी तकनीकी अहर्ताएं पूरी नहीं करने, 27 जनवरी 2019 को प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त हो जाने के बाद इनकी प्रतिनियुक्ति अवधि का विस्तार केंद्र सरकार अथवा डीओपीटी में अभी तक प्राप्त नहीं होने से संबंधित शिकायत एसीबी को मिली थी. एसीबी ने साल 2019 में भी निरंजन कुमार के खिलाफ एफआईआर की अनुमति मांगी थी, लेकिन तब सरकार ने जांच की अनुमति नहीं दी थी.

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