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चतरा दक्षिण वन प्रमंडल में करोड़ों का घोटाला, ACB ने शुरू की जांच - चतरा दक्षिण वन प्रभाग में अनियमितता

वन विभाग ने मंत्रिमंडल निगरानी विभाग को जानकारी दी थी कि वित्तीय वर्ष 2012-13 में दक्षिणी वन प्रमंडल के चतरा में एक करोड़ आठ लाख का एक ट्रांजेक्शन किया गया था. इस मामले में तत्कालीन वन क्षेत्र पदाधिकारी सुरेंद्र ओझा की भूमिका पायी गई थी. तब बैंकिंग सिस्टम अलर्ट के जरिए सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा के संज्ञान में पूरा मामला सामने आया था.

ACB is investigating irregularities in Chatra South Forest Division
चतरा दक्षिण वन प्रमंडल में करोड़ों का घोटाला
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Published : Mar 13, 2021, 2:06 AM IST

Updated : Mar 13, 2021, 4:05 AM IST

रांची: झारखंड में वन विभाग में अनियमितता की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो ने शुरू कर दी है. वन विभाग में विभागीय जांच के बाद योजना के निष्पादन नहीं होने के बावजूद पैसे की निकासी, सामग्रियों की खरीद में करोड़ों की अनियमितता का मामला पाया गया था. मामला सामने आने के बाद विभाग ने पूरे मामले में जांच के लिए मंत्रिमंडल, सचिवालय और निगरानी विभाग को पत्र लिखा था. निगरानी विभाग से आदेश मिलने के बाद एसीबी ने पीई दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है. पूरा मामला साल 2012-13 का है. आय से अधिक संपत्ति के मामले में वन विभाग के अफसरों की भूमिका की भी जांच होगी.


ये भी पढ़ें- यह भी पढ़ें: कागज पर महिला को घोषित किया मृत, दफ्तरों में अधिकारियों से कह रही-'देखिये साहब मैं जिंदा हूं'

राज्य भर में घोटाले का अंदेशा

वन विभाग ने मंत्रिमंडल निगरानी विभाग को जानकारी दी थी कि वित्तीय वर्ष 2012-13 में दक्षिणी वन प्रमंडल के चतरा में एक करोड़ आठ लाख का एक ट्रांजेक्शन किया गया था. इस मामले में तत्कालीन वन क्षेत्र पदाधिकारी सुरेंद्र ओझा की भूमिका पायी गई थी. तब बैंकिंग सिस्टम अलर्ट के जरिए सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा के संज्ञान में पूरा मामला सामने आया था. तब मामले की जांच में यह बात सामने आयी थी कि सेवानिवृत्ति के बाद भी वन विभाग के पैसों को निजी खाते में रखा गया. इसके साथ ही व्यक्तिगत खाते से राशि का आवंटन किया गया. वन विभाग ने आशंका जतायी कि चतरा के अलावा दूसरे वन प्रमंडलों में भी पदाधिकारियों ने ऐसी गड़बड़ी की होगी.

बड़े स्तर पर जांच का सरकार ने दिया आदेश

गौरतलब है कि पूरे मामले समीक्षा सरकार के स्तर पर पहले ही की जा चुकी है. समीक्षा के बाद सरकार ने फैसला लिया कि दक्षिणी वन प्रमंडल में 2012-13 में जितने भी कार्य हुए उससे संबंधित वन प्रमंडल पदाधिकारी, वन क्षेत्र पदाधिकारी, वनपाल, वनरक्षी समेत सारे कर्मी जो योजनाओं के क्रियान्वयन में शामिल थे उनकी जांच हो. इसके साथ ही श्रमिकों को भुगतान हुआ तो उसके मास्टर रोल का सत्यापन करें, सामग्री का क्रय हुआ या नहीं, क्रय की प्रक्रिया, भुगतान, जमीन पर योजनाएं उतरी या नहीं, अद्यतन कार्य की क्या स्थिति है, सभी विषयों पर जांच हो. इसके साथ ही मंत्रिमंडल निगरानी के आदेश के बाद अब इस मामले से जुड़े सभी पदाधिकारियों, कर्मियों के आय के स्रोतों की जांच होगी. आय से किसी भी कर्मी या पदाधिकारी की संपत्ति अधिक पायी जाती है, तो इस मामले में एसीबी जांच के बाद अलग से कार्रवाई करेगी.

रांची: झारखंड में वन विभाग में अनियमितता की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो ने शुरू कर दी है. वन विभाग में विभागीय जांच के बाद योजना के निष्पादन नहीं होने के बावजूद पैसे की निकासी, सामग्रियों की खरीद में करोड़ों की अनियमितता का मामला पाया गया था. मामला सामने आने के बाद विभाग ने पूरे मामले में जांच के लिए मंत्रिमंडल, सचिवालय और निगरानी विभाग को पत्र लिखा था. निगरानी विभाग से आदेश मिलने के बाद एसीबी ने पीई दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है. पूरा मामला साल 2012-13 का है. आय से अधिक संपत्ति के मामले में वन विभाग के अफसरों की भूमिका की भी जांच होगी.


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राज्य भर में घोटाले का अंदेशा

वन विभाग ने मंत्रिमंडल निगरानी विभाग को जानकारी दी थी कि वित्तीय वर्ष 2012-13 में दक्षिणी वन प्रमंडल के चतरा में एक करोड़ आठ लाख का एक ट्रांजेक्शन किया गया था. इस मामले में तत्कालीन वन क्षेत्र पदाधिकारी सुरेंद्र ओझा की भूमिका पायी गई थी. तब बैंकिंग सिस्टम अलर्ट के जरिए सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा के संज्ञान में पूरा मामला सामने आया था. तब मामले की जांच में यह बात सामने आयी थी कि सेवानिवृत्ति के बाद भी वन विभाग के पैसों को निजी खाते में रखा गया. इसके साथ ही व्यक्तिगत खाते से राशि का आवंटन किया गया. वन विभाग ने आशंका जतायी कि चतरा के अलावा दूसरे वन प्रमंडलों में भी पदाधिकारियों ने ऐसी गड़बड़ी की होगी.

बड़े स्तर पर जांच का सरकार ने दिया आदेश

गौरतलब है कि पूरे मामले समीक्षा सरकार के स्तर पर पहले ही की जा चुकी है. समीक्षा के बाद सरकार ने फैसला लिया कि दक्षिणी वन प्रमंडल में 2012-13 में जितने भी कार्य हुए उससे संबंधित वन प्रमंडल पदाधिकारी, वन क्षेत्र पदाधिकारी, वनपाल, वनरक्षी समेत सारे कर्मी जो योजनाओं के क्रियान्वयन में शामिल थे उनकी जांच हो. इसके साथ ही श्रमिकों को भुगतान हुआ तो उसके मास्टर रोल का सत्यापन करें, सामग्री का क्रय हुआ या नहीं, क्रय की प्रक्रिया, भुगतान, जमीन पर योजनाएं उतरी या नहीं, अद्यतन कार्य की क्या स्थिति है, सभी विषयों पर जांच हो. इसके साथ ही मंत्रिमंडल निगरानी के आदेश के बाद अब इस मामले से जुड़े सभी पदाधिकारियों, कर्मियों के आय के स्रोतों की जांच होगी. आय से किसी भी कर्मी या पदाधिकारी की संपत्ति अधिक पायी जाती है, तो इस मामले में एसीबी जांच के बाद अलग से कार्रवाई करेगी.

Last Updated : Mar 13, 2021, 4:05 AM IST
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