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लॉकडाउन में 'अन्नपूर्णा' बनकर भोजन करा रही केंद्र की महिलाएं, सरकार ने दिए 6.25 करोड़ रुपए

वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से पैदा हुए संकट कालीन हालात में राज्य सरकार की सबसे पहली प्राथमिकता गरीबों और रोज कमाने खाने वाले लोगों तक दो वक्त का निवाला पहुंचाना है. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ग्रामीण स्तर के स्थानीय निकायों के प्रमुख, उप प्रमुख, पंचायत समिति के सदस्य और वार्ड सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से पत्र लिखा है, जिसमें पूरा ध्यान लोगों तक कच्चा और पक्का अनाज पहुंचाने पर है.

6.25 crores spent on the food of poor in jharkhand
अन्नपूर्णा
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Published : Apr 6, 2020, 4:21 PM IST

Updated : Apr 6, 2020, 5:45 PM IST

रांची: वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से पैदा हुए संकट कालीन हालात में राज्य सरकार की सबसे पहली प्राथमिकता गरीबों और रोज कमाने खाने वाले लोगों तक दो वक्त का निवाला पहुंचाना है. इसके लिए एक तरफ राज्य सरकार ने वैसे लोगों को मुफ्त भोजन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. वहीं दूसरी तरफ दाल-भात केंद्रों की संख्या बढ़ा दी गई है.

देखिए स्पेशल स्टोरी

अतिरिक्त 400 से अधिक दाल-भात केंद्र

इसे ऐसे समझा जा सकता है कि पहले से चल रहे मुख्यमंत्री दाल-भात केंद्र के अलावा राज्य सरकार ने 400 से अधिक दाल-भात केंद्र खोलने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही थाना स्तर पर लोगों को भोजन मुहैया कराया जा रहा है. इसके अलावा प्रदेश में मुख्यमंत्री दीदी किचन की स्थापना की गई है. इन किचन के संचालन के लिए राज्य सरकार ने लगभग 6.25 करोड़ रुपए भी सैंक्शन किए हैं.

इतना ही नहीं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ग्रामीण स्तर के स्थानीय निकायों के प्रमुख, उप प्रमुख, पंचायत समिति के सदस्य और वार्ड सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से पत्र लिखा है, जिसमें पूरा ध्यान लोगों तक कच्चा और पक्का अनाज पहुंचाने पर है. ऐसा ही पत्र सभी जिलों में स्थानीय प्रशासन को भी लिखा गया है. एक अनुमानित आंकड़े के अनुसार राज्य में 4500 से अधिक ऐसे केंद्र हैं, जहां से भोजन लोगों तक पहुंच रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि फिलहाल लोगों तक यह भोजन मुफ्त दिया जा रहा है.

क्या कहते हैं भोजन देने वाले केंद्रों के आंकड़े

प्रदेश के हर जिले में में 3586 मुख्यमंत्री दीदी किचन स्थापित किए गए हैं. उनमें गिरिडीह में सबसे अधिक 350 और सबसे कम लोहरदगा जिले में 59 हैं. रविवार को इन दीदी किचन के माध्यम से 1.22 लाख से अधिक लोगों को खाना खिलाने का दावा किया गया है. वहीं, राज्य के खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने लॉकडाउन के मद्देनजर गरीबों के भोजन के लिए राज्य में कुल 498 विशेष दाल-भात केंद्र के लिए 3.25 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं.

ये विशेष दाल भात केंद्र मई 2020 तक गरीबों को मुफ्त भोजन कराएंगे. वहीं, विभाग ने थाना स्तर पर खुले राज्य के 342 अतिरिक्त दाल-भात केंद्र के लिए 2 करोड़ 99 लाख रुपए स्वीकृत किए हैं. थाना स्तर पर खुले इन अतिरिक्त दाल-भात केंद्र की संख्या पूर्वी सिंहभूम जिले और धनबाद जिले में सबसे अधिक है. वहां 35-35 थानों में ऐसे दाल भात केंद्र चल रहे हैं, जबकि साहिबगंज में केवल 2 थाना स्तर के अतिरिक्त दाल-भात केंद्र क्रियाशील है. इन केंद्रों में संबंधित जिला आपूर्ति पदाधिकारी द्वारा अनाज उपलब्ध कराया जा रहा है, जबकि हर दाल-भात केंद्र को इंधन मसाला और सब्जी के मद में 10 हजार उपलब्ध कराया जा रहा है.

10 लाख से अधिक रोज कमाने वाले

पूर्व मंत्री सरयू राय ने कहा कि जमशेदपुर जिले में वह खुद अपने प्रयास से लोगों को भोजन व्यवस्था करवा रहे हैं. इसके साथ ही जिला प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे राहत कार्य की मॉनिटरिंग के लिए भी कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास है कि लोगों को दो वक्त का खाना मिले, लेकिन उसके लिए सबसे जरूरी स्टेट लेवल पर एक मॉनिटरिंग सेल का गठन होना है. उन्होंने कहा कि ऐसे मॉनिटरिंग सेल के गठन पर ही चीजें स्पष्ट होंगे कि वास्तव में भोजन गरीबों तक पहुंच रहा है या नहीं. राज्य में 10 लाख से अधिक रोज कमाने खाने वाले है.

ये भी पढ़ें: देवघरः पीएम मोदी के आह्वान पर दीप जलाकर दिखाई एकता, मनाया गया दीपोत्सव

ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन से जुड़े भुनेश्वर केवट कहते हैं कि अनुमानित तौर पर राज्य में 10 लाख से अधिक लोग ऐसे हैं जो रोज कमाते और खाते हैं. केवल राजधानी के एक इलाके की बात करें तो हरमू के आसपास इनकी संख्या हजारों में है. लॉकडाउन की वजह से उनके सामने भोजन का संकट हो गया है. हालांकि, राज्य सरकार दावा तो कर रही है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में तस्वीर अलग है. उन्होंने कहा कि इस बाबत उन्होंने मुख्यमंत्री को भी पत्र भेजा है. केंद्र सरकार ने भी वेलफेयर बोर्ड के पास जमा 52 हजार करोड़ के 20% की राशि इन लोगों के राशन के लिए खर्च करने को कहा है. वहीं, भोजन के अधिकार से जुड़े सिराज दत्ता ने दावा किया कि अभी भी वैसे लोग जिन्हें राशन कार्ड नहीं मिला है, अनाज नहीं ले पा रहे हैं. राज्य सरकार की घोषणा के बावजूद पलामू के कुछ इलाकों में स्थिति अभी भी वैसी ही बनी हुई है.

रांची: वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से पैदा हुए संकट कालीन हालात में राज्य सरकार की सबसे पहली प्राथमिकता गरीबों और रोज कमाने खाने वाले लोगों तक दो वक्त का निवाला पहुंचाना है. इसके लिए एक तरफ राज्य सरकार ने वैसे लोगों को मुफ्त भोजन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. वहीं दूसरी तरफ दाल-भात केंद्रों की संख्या बढ़ा दी गई है.

देखिए स्पेशल स्टोरी

अतिरिक्त 400 से अधिक दाल-भात केंद्र

इसे ऐसे समझा जा सकता है कि पहले से चल रहे मुख्यमंत्री दाल-भात केंद्र के अलावा राज्य सरकार ने 400 से अधिक दाल-भात केंद्र खोलने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही थाना स्तर पर लोगों को भोजन मुहैया कराया जा रहा है. इसके अलावा प्रदेश में मुख्यमंत्री दीदी किचन की स्थापना की गई है. इन किचन के संचालन के लिए राज्य सरकार ने लगभग 6.25 करोड़ रुपए भी सैंक्शन किए हैं.

इतना ही नहीं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ग्रामीण स्तर के स्थानीय निकायों के प्रमुख, उप प्रमुख, पंचायत समिति के सदस्य और वार्ड सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से पत्र लिखा है, जिसमें पूरा ध्यान लोगों तक कच्चा और पक्का अनाज पहुंचाने पर है. ऐसा ही पत्र सभी जिलों में स्थानीय प्रशासन को भी लिखा गया है. एक अनुमानित आंकड़े के अनुसार राज्य में 4500 से अधिक ऐसे केंद्र हैं, जहां से भोजन लोगों तक पहुंच रहा है. सबसे बड़ी बात यह है कि फिलहाल लोगों तक यह भोजन मुफ्त दिया जा रहा है.

क्या कहते हैं भोजन देने वाले केंद्रों के आंकड़े

प्रदेश के हर जिले में में 3586 मुख्यमंत्री दीदी किचन स्थापित किए गए हैं. उनमें गिरिडीह में सबसे अधिक 350 और सबसे कम लोहरदगा जिले में 59 हैं. रविवार को इन दीदी किचन के माध्यम से 1.22 लाख से अधिक लोगों को खाना खिलाने का दावा किया गया है. वहीं, राज्य के खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने लॉकडाउन के मद्देनजर गरीबों के भोजन के लिए राज्य में कुल 498 विशेष दाल-भात केंद्र के लिए 3.25 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं.

ये विशेष दाल भात केंद्र मई 2020 तक गरीबों को मुफ्त भोजन कराएंगे. वहीं, विभाग ने थाना स्तर पर खुले राज्य के 342 अतिरिक्त दाल-भात केंद्र के लिए 2 करोड़ 99 लाख रुपए स्वीकृत किए हैं. थाना स्तर पर खुले इन अतिरिक्त दाल-भात केंद्र की संख्या पूर्वी सिंहभूम जिले और धनबाद जिले में सबसे अधिक है. वहां 35-35 थानों में ऐसे दाल भात केंद्र चल रहे हैं, जबकि साहिबगंज में केवल 2 थाना स्तर के अतिरिक्त दाल-भात केंद्र क्रियाशील है. इन केंद्रों में संबंधित जिला आपूर्ति पदाधिकारी द्वारा अनाज उपलब्ध कराया जा रहा है, जबकि हर दाल-भात केंद्र को इंधन मसाला और सब्जी के मद में 10 हजार उपलब्ध कराया जा रहा है.

10 लाख से अधिक रोज कमाने वाले

पूर्व मंत्री सरयू राय ने कहा कि जमशेदपुर जिले में वह खुद अपने प्रयास से लोगों को भोजन व्यवस्था करवा रहे हैं. इसके साथ ही जिला प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे राहत कार्य की मॉनिटरिंग के लिए भी कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास है कि लोगों को दो वक्त का खाना मिले, लेकिन उसके लिए सबसे जरूरी स्टेट लेवल पर एक मॉनिटरिंग सेल का गठन होना है. उन्होंने कहा कि ऐसे मॉनिटरिंग सेल के गठन पर ही चीजें स्पष्ट होंगे कि वास्तव में भोजन गरीबों तक पहुंच रहा है या नहीं. राज्य में 10 लाख से अधिक रोज कमाने खाने वाले है.

ये भी पढ़ें: देवघरः पीएम मोदी के आह्वान पर दीप जलाकर दिखाई एकता, मनाया गया दीपोत्सव

ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन से जुड़े भुनेश्वर केवट कहते हैं कि अनुमानित तौर पर राज्य में 10 लाख से अधिक लोग ऐसे हैं जो रोज कमाते और खाते हैं. केवल राजधानी के एक इलाके की बात करें तो हरमू के आसपास इनकी संख्या हजारों में है. लॉकडाउन की वजह से उनके सामने भोजन का संकट हो गया है. हालांकि, राज्य सरकार दावा तो कर रही है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में तस्वीर अलग है. उन्होंने कहा कि इस बाबत उन्होंने मुख्यमंत्री को भी पत्र भेजा है. केंद्र सरकार ने भी वेलफेयर बोर्ड के पास जमा 52 हजार करोड़ के 20% की राशि इन लोगों के राशन के लिए खर्च करने को कहा है. वहीं, भोजन के अधिकार से जुड़े सिराज दत्ता ने दावा किया कि अभी भी वैसे लोग जिन्हें राशन कार्ड नहीं मिला है, अनाज नहीं ले पा रहे हैं. राज्य सरकार की घोषणा के बावजूद पलामू के कुछ इलाकों में स्थिति अभी भी वैसी ही बनी हुई है.

Last Updated : Apr 6, 2020, 5:45 PM IST
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