पलामूः पूरे भारत में बाघों की गणना का पहला चरण शुरू हो गया है. अधिकारियों को पहले चरण में ट्रेनिंग देने का काम शुरू हो गया है. पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारी पूरे झारखंड के वन विभाग के अधिकारियों को बाघों की गणना को लेकर ट्रेनिंग देंगे.
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देशभर में बाघों की गणना का पहला दौर शुरू हो गया है. झारखंड में बाघों की गणना के लिए पीटीआर के अधिकारी प्रदेश के वन विभाग के अधिकारियों को ट्रेनिंग देंगे. लेकिन प्रशिक्षण से पहले पीटीआर के डायरेक्टर कुमार आशुतोष के नेतृत्व में तीन सदस्यीय दल देहरादून के राजाजी नेशनल पार्क में खुद ट्रेनिंग लेंगे. यह ट्रेनिंग अधिकारियों 26 अगस्त तक किया जाना है.
पीटीआर के डायरेक्टर कुमार आशुतोष ने बताया कि बेतला में पूरे झारखंड के वन विभाग के अधिकारियों को बाघों की गिनती को लेकर ट्रेनिंग दी जाएगी. देहरादून के राजाजी नेशनल पार्क में पीटीआर के अधिकारी गणना को लेकर कई गुर सीखेंगे. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने बाघों की गणना का काम शुरू कर दिया है.
साल 2022 में बाघों की गणना रिपोर्ट होगा प्रकाशित, देश में 50 के करीब टाइगर रिजर्व
साल 2022 में NTCA बाघों की सेंसस का रिपोर्ट जारी करेगा. पूरे देश में 50 के करीब टाइगर रिजर्व हैं, सभी जगहों पर एक साथ बाघों की गणना शुरू हुई है. साल 2018 की सेंसस रिपोर्ट में पलामू टाइगर रिजर्व में एक भी बाघ नहीं बताया गया था. पलामू टाइगर रिजर्व में फरवरी 2020 में एक बाघिन मृत मिली थी. उसके बाद हाल के दिनों में लोहरदगा सीमा पर बाघ की मौजूदगी के सबूत मिले हैं, जिसके बाद पलामू टाइगर रिजर्व अलर्ट हुआ है.
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पलामू टाइगर रिजर्व से ही पहली बार देश में शुरू हुई बाघों की गिनती
देश मे पहली बार सन 1932 में बाघों की गिनती पलामू से ही शुरू हुई थी. पलामू टाइगर रिजर्व 1026 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है जबकि इसका कोर एरिया 226 वर्ग किलोमीटर में हैं. साल 1974 में पूरे देश में बाघों को संरक्षित करने के लिए एक साथ नौ इलाकों में टाइगर प्रोजेक्ट की योजना शुरू की गई थी. पलामू टाइगर रिजर्व उन नौ इलाकों में से एक है जहां बाघों को संरक्षित करने का काम शुरू हुआ था.
साल 1974 में पलामू टाइगर प्रोजेक्ट के इलाके में 50 बाघ बताए गए थे, साल 2005 में जब बाघों की गिनती हुई तो बाघों की संख्या घट कर 38 हो गई. साल 2007 में जब फिर से गिनती हुई तो बताया कि पलामू टाइगर प्रोजेक्ट में 17 बाघ हैं. साल 2009 में वैज्ञानिक तरीके से बाघों की गिनती शुरू हुई तो बताया गया कि यहां सिर्फ आठ बाघ बचे हुए हैं.