पलामूः डेढ़ दशक पहले राज्य सरकार ने चलंत चिकित्सा वाहन योजना की शुरुआत की. इस योजना के तहत ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करानी थी. बीमार लोगों को समुचित इलाज करना था. लेकिन अब चलंत चिकित्सा वाहन थानों में धूल फांक रही है. स्थिति यह है कि पलामू के विभिन्न थानों में चलंत चिकित्सा वाहन वर्षों से खड़ी हैं.
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार इस योजना के तहत पलामू को पांच चलंत चिकित्सा वाहन मिले थे. सभी वाहनों का स्थानीय स्तर पर स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ अनुबंध किया गया था. लेकिन सभी का अनुबंध 2019 में ही खत्म हो गया है. इसके बाद पलामू के छतरपुर, तरहसी, मनातू थाना सहित अन्य थानों में चलंत चिकित्सा वाहन खड़ी है.
चलंत चिकित्सा वाहन एक तरह से चलता फिरता अस्पताल है. इस वाहन में एक्स-रे मशीन से लेकर इलाज से संबंधित कई मशीनें लगी हुई हैं, ताकि मरीज को भर्ती भी किया जा सके. लेकिन साल 2015 से गाड़ियों में डीजल के आवंटन, रखरखाव और स्वास्थ्य कर्मियों की तैनाती को लेकर समस्याएं शुरू हो गई. इसके बाद स्वयंसेवी संस्थाओं ने अपने कदम पीछे किये. इसके साथ ही सरकार भी इन संस्थाओं के अनुबंध नवीनीकरण नहीं किया.
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के डीपीएम दीपक कुमार ने बताया चलंत चिकित्सा वाहनों को ठीक करवा कर एक बार फिर से से शुरू करने की योजना है. वाहनों के माध्यम से लोगों को चिकित्सीय सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी. उन्होंने कहा कि योजना का उद्देश्य है कि वैसे इलाके जंहा स्वास्थ्य स्वाथ्य सुविधा उपलब्ध नहीं है, वहां कैंप लगाकर लोगों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाई जाए.