पलामू: साल 2019 में झारखंड के सौ स्थानों पर डिजिटल डिस्पेंसरी (Digital dispensary in Jharkhand) खोला गया, ताकि गरीब मरीजों का बेहतर इलाज हो सके. डिस्पेंसरी पहुंचने वाले मरीजों को हैदराबाद और अन्य जगहों के बड़े डॉक्टरों से ऑनलाइन सलाह लेकर रोजाना सैकड़ों मरीजों का इलाज किया जा रहा था. लेकिन यह डिस्पेसरी पांच अगस्त से बंद हो गया है. इससे गरीब मरीजों के साथ साथ डिस्पेंसरी में कार्यरत कर्मियों की परेशानी बढ़ गई है.
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डिस्पेंसरी में कार्यरत कर्मचारी ने बताया कि प्रत्येक डिस्पेंसरी में एक लैब टेक्नीशियन, कंप्यूटर ऑपरेटर और एक महिला कर्मचारी नियुक्त किए गए थे. इन कर्मियों को पांच साल के अनुबंध पर प्रतिनियुक्त किया गया है. इसके बाद नवीनीकरण किया जाना था. लेकिन साढ़े तीन साल में ही डिस्पेंसरी बंद करने का नोटिस भेज दिया गया है. इससे सैकड़ों कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं. इसके साथ ही प्रतिदिन इलाज के लिए आने वाले सैकड़ों मरीजों की परेशानी बढ़ गई है.
कर्मचारी ने बताया कि जिले में पांच जगहों पर डिस्पेंसरी केंद्र हैं. इसमें हैदरनगर, कोणवाई, पोलपोल, रामगढ़ और रेहला शामिल हैं. हैदरनगर केंद्र से इलाज करा रहे मरीज दयानंद पासवान ने बताया कि ऑनलाइन के जरिये चिकित्सक इलाज कर रहे थे. उन्होंने कहा कि कहा कि मुफ्त में इलाज के साथ साथ दावा व जांच का भी पैसा नहीं देना पड़ता था. उन्होंने कहा कि पिछले 10 दिनों से केंद्र का चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन इलाज नहीं हो रहा है.
हैदरनगर डिजिटल डिस्पेंसरी के इंचार्ज रविंद्र कुमार ने बताया कि डिस्पेंसरी बंद कर दिया गया है. इसके साथ ही वेतन बंद करने का भी पत्र मिला है. उन्होंने कहा कि पांच साल के लिए रखा गया था. लेकिन साढ़े तीन साल में ही सेवा समाप्त कर दी गई. इससे रोजगार की समस्या बन गई है. कर्मचारी सीता कुमारी ने बताया कि डिजिटल डिस्पेंसरी में नियुक्ति होने से अपने परिवार का भरण पोषण करती थी. उन्होंने कहा कि अचानक केंद्र बंद होने से परेशानी बढ़ गई है.