पलामू: एशिया के प्रसिद्ध टाइगर रिजर्व इलाके में बाघों की गिनती का काम शुरू हो गया है. पहले चरण में जहां कर्मियों को ट्रेनिंग दी जा रही है, वहीं दूसरे चरण में ट्रिपिंग कैमरे लगाए जाने की योजना है. इससे पहले 2018 में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने बाघों की संख्या पर रिपोर्ट जारी करते हुए पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में बाघों की मौजदूगी नहीं होने की बात कही थी. हालांकि 2021 के जनवरी में एक बाघिन का शव पलामू टाइगर रिजर्व के बेतला नेशनल पार्क के इलाके से बरामद हुआ था.
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लगाए जांएगे 509 ट्रिपिंग कैमरा
बाघों की गिनती को लेकर पलामू टाइगर रिजर्व के कोर और बफर एरिया में 509 ट्रिपिंग कैमरे लगाए जाएंगे. जिसकी प्रक्रिया अक्टूबर के पहले सप्ताह में शुरू होगी. जिसके लिए 3 सौ से अधिक वन कर्मियों और अधिकारियों की तैनाती की गई है. ट्रिपिंग कैमरा का लोकेशन हर 15 से 20 दिनों में बदल दिया जाएगा. यह सभी कैमरे उच्च क्षमता वाले हैं, जो M- STRIP सिस्टम से ऑनलाइन जुड़े हुए हैं. पलामू टाइगर रिजर्व किला एरिया में उच्च क्षमता वाले ड्रोन से भी निगरानी की जा रही है और बाघों की गिनती में इसकी सहायता ली जा रही है. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष बताते हैं कि बाघों की जनगणना के दौरान ट्रिपिंग कैमरे लगाए जाएंगे, इसकी तैयारी लगभग पूरी कर ली गई है.
बड़ी चुनौती है कैमरा लगाना
पलामू टाइगर रिजर्व इलाके में ट्रिपिंग कैमरा लगाना बड़ी चुनौती है. 2018 में हुए बाघों की काउंटिंग के दौरान पलामू टाइगर रिजर्व के बड़े हिस्से में ट्रिपिंग कैमरे नहीं लगाए जा सके थे. दरअसल पलामू टाइगर रिजर्व से माओवादियों का सबसे सुरक्षित ठिकाना बूढ़ा पहाड़ सटा हुआ है. 2018 की गणना के दौरान इन इलाकों में माओवादियों ने ट्रिपिंग कैमरा लगाने की मनाही कर दी थी. उस दरम्यान भी बाघों की संख्या जानने को लेकर 3 सौ के करीब कैमरे लगाए गए थे. बूढ़ा पहाड़ से सटे हुए इलाकों में पुलिस और सुरक्षाबलों का कैंप भी है. एक्सपर्ट का मानना है कि ट्रिपिंग कैमरे जमीन से दो से तीन फीट के ऊपर तक फोटो लेती है जिस कारण नक्सलियों को परेशानी नहीं होनी चाहिए.
अन्य वन्य जीवों की भी होगी गिनती
बाघों की गिनती के दौरान अन्य वन्यजीवों के संख्या भी मालूम किया जाएगा. ट्रिपिंग कैमरे में दर्ज होने वाले सभी वन्यजीवों को गिनती की जाएगी और सभी का डाटा एम स्ट्रिप सिस्टम में अपलोड किया जाएगा. बाघों की गिनती के दौरान प्राथमिकता के आधार पर बाघों के रिकॉर्ड को दर्ज किया जाएगा.