पलामू: कोरोना का यह काल ने जीवन और मौत के बीच संघर्ष को जन्म दिया है. इस काल ने अर्थतंत्र को बुरी तरह से प्रभावित किया है. निजी क्षेत्रों में काम करने वाले लोग तंगहाली में हैं. शिक्षा के क्षेत्र में भी कोरोना का व्यापक असर हुआ है. प्राइवेट स्कूल के शिक्षक भुखमरी की कगार पर पंहुच गए हैं. कोरोना काल मे आर्थिक संकट से जूझते हुए भी शिक्षक छात्रों को ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं, लेकिन उन्हें वेतन नहीं मिल पा रहा है. जो शिक्षक प्राइवेट ट्यूशन पढ़ा कर पैसे कमाते थे, वह भी बंद है.
पलामू जैसे जगह पर मान्यता प्राप्त और गैर-मान्यता प्राप्त स्कूलों को जोड़ा जाए तो इनकी संख्या लगभग 270 हो जाती है इनमें करीब 15 बड़े स्कूल हैं. इन स्कूलों से 6,000 से अधिक शिक्षक सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं. जिले में 50 प्रतिशत से अधिक ऐसे शिक्षक हैं, जिनका वेतन 10 हजार रुपये से भी कम हैं. जबकि 10 प्रतिशत के करीब ऐसे शिक्षक हैं. जिनका वेतन 25 हजार रुपये अधिक हैं. वह भुखमरी की कगार पर हैं. उन्हें ना तो समय वेतन मिल पा रहा है और ना ही पूरा.
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पलामू में संत मरियम स्कूल के संचालक अविनाश देव बताते हैं कि अभी स्कूलों के सामने आर्थिक संकट है. जो शिक्षक स्कूल से जुड़े हैं उन्हें वेतन देना भी जरूरी है. इस कोरोनो काल में पूरा वेतन नहीं दे पा रहें हैं, लेकिन शिक्षकों को जीवन यापन के लिए कुछ तो देना ही होगा. शिक्षक के अलावा स्कूल में कई तरह के कर्मी तैनात हैं. सभी को वेतन देना है. छात्रों को ऑनलाइन क्लास भी लेना जरूरी है.
स्कूलों के लिए राहत पैकेज की मांग
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन प्राइवेट स्कूलों के लिए राहत पैकेज की मांग कर रहा है. एसोसिएशन के अध्यक्ष अविनाश वर्मा ने इस मामले में राज्य सरकार को पत्र भी लिखा है. अविनाश वर्मा का कहना है कि वह छोटे स्कूल के संचालक हैं. शिक्षकों को वेतन देना चुनौती बन गई है. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में सभी की हालात खराब है. वह एक तरह से समाज सेवा भी कर रहे हैं. सरकार के पास सभी स्कूलों का रिकॉर्ड है. सरकार को चाहिए कि उनके लिए राहत पैकेज की घोषणा करें.