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लौहनगरी में साइबर सुरक्षा बेहाल, तकनीक और एक्सपर्ट्स की कमी

वर्ष 2018 में जमशेदपुर स्थित बिष्टुपुर में पहला साइबर क्राइम थाना खोला गया था. साइबर थाना में आधुनिक उपकरणों से लैस लैब की व्यवस्था अब तक नहीं हो पाई है. साइबर थाने में मौजूदा अधिकारियों के पास एक्सपर्ट, बेहतर विकल्प, वाहन की सुविधा, अन्य राज्यों में जाने की अनुमति, पुलिस बलों की संख्या में कमी के कारण बार-बार जूझना पड़ता है.

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जमशेदपुर साइबर थाना
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Published : Oct 15, 2020, 8:58 PM IST

जमशेदपुर: झारखंड भर में तेजी से बढ़ रहे साइबर अपराधों को रोकने के लिए महानगरों की तर्ज पर जमशेदपुर में रांची जोन के आईजी नवीन कुमार सिंह ने वर्ष 2018 में साइबर थाने का शुभारंभ किया था. जमशेदपुर स्थित बिष्टुपुर में पहला साइबर क्राइम थाना खोला गया था. साइबर थाना के खुल जाने से साइबर क्राइम के मामलों को सुलझाने में पुलिस को मदद मिल रही है, लेकिन साइबर थाना में आधुनिक उपकरणों से लैस लैब की व्यवस्था अब तक नहीं हो पाई है. जिसके कारण साइबर अपराधियों तक पुलिस दबिश नहीं कर पाती है.

देखें स्पेशल स्टोरी

एक्सपर्ट्स की कमी
साइबर थाने में मौजूदा अधिकारियों के पास एक्सपर्ट, बेहतर विकल्प, वाहन की सुविधा, अन्य राज्यों में जाने की अनुमति, पुलिस बलों की संख्या में कमी के कारण बार-बार जूझना पड़ता है. पिछले कुछ समय में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिसमें एटीएम कार्डधारियों को फोन करके शातिर लोगों ने उनसे पासवर्ड हासिल किया और उनके बैंक खातों से गाढ़ी कमाई पर हाथ साफ कर दिया. सोशल साइट्स पर आपत्तिजनक तस्वीर डाल कर युवतियों को बदनाम करने की साजिश, फेसबुक के माध्यम से पैसे की मांग करना इन दिनों ऐसे कई मामले साइबर थाने में दर्ज किए गए हैं. इनमें से कई मामलों में पुलिस के हाथ अभी भी खाली हैं. इसकी बड़ी वजह एक्सपर्ट्स की कमी मानी जाती है.

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काम करता कर्मी


कई काम अधूरे रह गए
वर्ष 2018 में आईजी नवीन कुमार ने बताया था कि बिष्टुपुर स्थित साइबर थाना में आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से आरोपी पकड़कर कठघरे में खड़े किए जा सकेंगे. ऐसे में साइबर अपराध पर अंकुश लगाया जा सकेगा. झारखंड में बढ़ते मामलों की जांच के लिए ही अलग से साइबर क्राइम थाना शुरू किया गया है. अब झारखंड पुलिस टेलीकॉम सेक्टर की भी मदद साइबर क्राइम के मामले को सुलझाने में लेगी. दो वर्ष बीत जाने के बाद भी साइबर थाना तकनीकी समस्याओं से जूझ रहा है.

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जमशेदपुर साइबर थाना

ये भी पढ़ें- बीएआरसी का बड़ा फैसला, टीआरपी रेटिंग्स पर तीन महीने तक लगी रोक


कुशल कर्मचारियों की कमी

बिष्टुपुर स्थित साइबर थाना में तकनीकी रूप से सक्षम अधिकारियों की कमी है. कई अधिकारियों के पास साइबर, नई टेक्नोलॉजी का अभाव जिसके कारण साइबर क्राइम करने वाले अपराधी पुलिस के हाथ नहीं आ पाते हैं. जिला पुलिस कॉल ट्रैकिंग, बाहर आने जाने की सुविधा भी पुलिस जवान को नहीं मिल पाती है.

कई मामले अब तक अधूरे

साइबर थाने में वर्ष 2018 में कुल 115 नए मामले सामने आए थे. वर्ष 2019 में दो सौ से ज्यादा मामले, वर्ष 2020 में 123 मामले जिनमें पैसे की निकासी, वर्चुअल छेड़खानी के कई मामले हैं. जिसमें अपराधियों की तलाश पुलिस नहीं कर पाई है.

ये भी पढ़ें- जोजिला टनल का निर्माण शुरू, कारगिल को कश्मीर से जोड़ेगी सुरंग


हाई प्रोफाइल केस
शहर से संचालित साइबर ठगी के अंतरराज्यीय गिरोह के मुख्य सरगना महेश पोद्दार की गिरफ्तारी के लिए बिष्टुपुर साइबर थाना की टीम मुंबई और कोलकाता में उसकी तलाश कर खाली हाथ लौट आयी. मोबाइल टावर लगाने के लिए प्रोसेसिंग फीस और अन्य खर्च के नाम पर कोलकाता से एक युवती का फोन आया. युवती ने बताया कि कोलकाता स्थित सॉल्ट लेक में टावर का कार्यालय है. टावर लगाने के लिए पहले 35 हजार रुपए देने होंगे. जिसके बाद टावर लगाया जाएगा. पीड़ित महिला ने पैसे देने के लिए हामी भर दी. जिसके बाद महिला ने एक महीने में 75 लाख रुपए दे दिए.

जमशेदपुर: झारखंड भर में तेजी से बढ़ रहे साइबर अपराधों को रोकने के लिए महानगरों की तर्ज पर जमशेदपुर में रांची जोन के आईजी नवीन कुमार सिंह ने वर्ष 2018 में साइबर थाने का शुभारंभ किया था. जमशेदपुर स्थित बिष्टुपुर में पहला साइबर क्राइम थाना खोला गया था. साइबर थाना के खुल जाने से साइबर क्राइम के मामलों को सुलझाने में पुलिस को मदद मिल रही है, लेकिन साइबर थाना में आधुनिक उपकरणों से लैस लैब की व्यवस्था अब तक नहीं हो पाई है. जिसके कारण साइबर अपराधियों तक पुलिस दबिश नहीं कर पाती है.

देखें स्पेशल स्टोरी

एक्सपर्ट्स की कमी
साइबर थाने में मौजूदा अधिकारियों के पास एक्सपर्ट, बेहतर विकल्प, वाहन की सुविधा, अन्य राज्यों में जाने की अनुमति, पुलिस बलों की संख्या में कमी के कारण बार-बार जूझना पड़ता है. पिछले कुछ समय में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिसमें एटीएम कार्डधारियों को फोन करके शातिर लोगों ने उनसे पासवर्ड हासिल किया और उनके बैंक खातों से गाढ़ी कमाई पर हाथ साफ कर दिया. सोशल साइट्स पर आपत्तिजनक तस्वीर डाल कर युवतियों को बदनाम करने की साजिश, फेसबुक के माध्यम से पैसे की मांग करना इन दिनों ऐसे कई मामले साइबर थाने में दर्ज किए गए हैं. इनमें से कई मामलों में पुलिस के हाथ अभी भी खाली हैं. इसकी बड़ी वजह एक्सपर्ट्स की कमी मानी जाती है.

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काम करता कर्मी


कई काम अधूरे रह गए
वर्ष 2018 में आईजी नवीन कुमार ने बताया था कि बिष्टुपुर स्थित साइबर थाना में आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से आरोपी पकड़कर कठघरे में खड़े किए जा सकेंगे. ऐसे में साइबर अपराध पर अंकुश लगाया जा सकेगा. झारखंड में बढ़ते मामलों की जांच के लिए ही अलग से साइबर क्राइम थाना शुरू किया गया है. अब झारखंड पुलिस टेलीकॉम सेक्टर की भी मदद साइबर क्राइम के मामले को सुलझाने में लेगी. दो वर्ष बीत जाने के बाद भी साइबर थाना तकनीकी समस्याओं से जूझ रहा है.

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जमशेदपुर साइबर थाना

ये भी पढ़ें- बीएआरसी का बड़ा फैसला, टीआरपी रेटिंग्स पर तीन महीने तक लगी रोक


कुशल कर्मचारियों की कमी

बिष्टुपुर स्थित साइबर थाना में तकनीकी रूप से सक्षम अधिकारियों की कमी है. कई अधिकारियों के पास साइबर, नई टेक्नोलॉजी का अभाव जिसके कारण साइबर क्राइम करने वाले अपराधी पुलिस के हाथ नहीं आ पाते हैं. जिला पुलिस कॉल ट्रैकिंग, बाहर आने जाने की सुविधा भी पुलिस जवान को नहीं मिल पाती है.

कई मामले अब तक अधूरे

साइबर थाने में वर्ष 2018 में कुल 115 नए मामले सामने आए थे. वर्ष 2019 में दो सौ से ज्यादा मामले, वर्ष 2020 में 123 मामले जिनमें पैसे की निकासी, वर्चुअल छेड़खानी के कई मामले हैं. जिसमें अपराधियों की तलाश पुलिस नहीं कर पाई है.

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हाई प्रोफाइल केस
शहर से संचालित साइबर ठगी के अंतरराज्यीय गिरोह के मुख्य सरगना महेश पोद्दार की गिरफ्तारी के लिए बिष्टुपुर साइबर थाना की टीम मुंबई और कोलकाता में उसकी तलाश कर खाली हाथ लौट आयी. मोबाइल टावर लगाने के लिए प्रोसेसिंग फीस और अन्य खर्च के नाम पर कोलकाता से एक युवती का फोन आया. युवती ने बताया कि कोलकाता स्थित सॉल्ट लेक में टावर का कार्यालय है. टावर लगाने के लिए पहले 35 हजार रुपए देने होंगे. जिसके बाद टावर लगाया जाएगा. पीड़ित महिला ने पैसे देने के लिए हामी भर दी. जिसके बाद महिला ने एक महीने में 75 लाख रुपए दे दिए.

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