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आंगनबाड़ी सेविका और सहायिकाओं की नहीं सुन रही सरकार, पिछले 5 महीनों से नहीं मिले हैं पैसे - Jamshedpur News

जमशेदपुर में पिछले 5 महीनों से आंगनबाड़ी सेविका और सहायिकाओं को पैसे नहीं दिये गये हैं. इसको लेकर आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका फिर से आंदोलन कर सकती हैं.

आंगनबाड़ी सेविका और सहायिकाओं की नहीं सुन रही सरकार
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Published : Jun 25, 2019, 10:48 PM IST

जमशेदपुर: मनरेगा मजदूरों से भी कम वेतन पाने वाली आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका एक बार फिर अपने वेतन और स्थायीकरण के मुद्दे को लेकर बड़ी संख्या में आंदोलित दिख रही हैं. मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र के पूर्वी सिंहभूम के आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका को कई महीनों से मानदेय नहीं मिला है. पांच साल तक के बच्चों के पोषाआहर भी नहीं मिल रहे हैं.

वीडियो में देखें पूरी खबर

सेविका व सहायिका का कहना है राज्य सरकार के द्वारा सिर्फ आश्वासन ही मिलता है. समाज कल्याण विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक आंगनबाड़ी केंद्रों से एक लाख 98 हज़ार लाभुक जुड़े हैं. जिले के 1722 आंगनबाड़ी केंद्रों में 1690 सेविका और 1639 सहायिका कार्यरत हैं. गर्भवती महिलाओं को मदद देना, कन्यादान योजना और उज्जवला योजना का प्रचार करना, मलेरिया की दवाई देना, जनगणना में ड्यूटी निभाना, आधार कार्ड बनवाना, राशन कार्ड बनवाना, यानी काम कई मगर वेतन महज 5 हजार 900 रुपए.

पिछले पांच महीनों से इनको मानदेय नहीं मिला है. पोषाआहर की राशि अक्टूबर 2018 से अब तक नहीं मिली है. दुकान वाले भी सामान देने से अब इनकार करते हैं. मानदेय व पोषाआहर की राशि अब तक नहीं मिली है. अधिकारियों से कई बार आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका इसके लिए गुहार लगा चुकी हैं. हालांकि इनकी सुनने वाला कोई नहीं है.

समाज कल्याण पदाधिकारी का कहना है पोटका और बोड़ाम प्रखंड में राशि नहीं भेजी गई है. मई तक की आवंटन राशि पारित हो चुकी है.कई जगहों से वाउचर प्राप्त नहीं होने के कारण राशि नहीं भेजी गई है. सेविका व सहायिका की राशि उनके खाते में भेज दी जाएगी.

जमशेदपुर: मनरेगा मजदूरों से भी कम वेतन पाने वाली आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका एक बार फिर अपने वेतन और स्थायीकरण के मुद्दे को लेकर बड़ी संख्या में आंदोलित दिख रही हैं. मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र के पूर्वी सिंहभूम के आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका को कई महीनों से मानदेय नहीं मिला है. पांच साल तक के बच्चों के पोषाआहर भी नहीं मिल रहे हैं.

वीडियो में देखें पूरी खबर

सेविका व सहायिका का कहना है राज्य सरकार के द्वारा सिर्फ आश्वासन ही मिलता है. समाज कल्याण विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक आंगनबाड़ी केंद्रों से एक लाख 98 हज़ार लाभुक जुड़े हैं. जिले के 1722 आंगनबाड़ी केंद्रों में 1690 सेविका और 1639 सहायिका कार्यरत हैं. गर्भवती महिलाओं को मदद देना, कन्यादान योजना और उज्जवला योजना का प्रचार करना, मलेरिया की दवाई देना, जनगणना में ड्यूटी निभाना, आधार कार्ड बनवाना, राशन कार्ड बनवाना, यानी काम कई मगर वेतन महज 5 हजार 900 रुपए.

पिछले पांच महीनों से इनको मानदेय नहीं मिला है. पोषाआहर की राशि अक्टूबर 2018 से अब तक नहीं मिली है. दुकान वाले भी सामान देने से अब इनकार करते हैं. मानदेय व पोषाआहर की राशि अब तक नहीं मिली है. अधिकारियों से कई बार आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका इसके लिए गुहार लगा चुकी हैं. हालांकि इनकी सुनने वाला कोई नहीं है.

समाज कल्याण पदाधिकारी का कहना है पोटका और बोड़ाम प्रखंड में राशि नहीं भेजी गई है. मई तक की आवंटन राशि पारित हो चुकी है.कई जगहों से वाउचर प्राप्त नहीं होने के कारण राशि नहीं भेजी गई है. सेविका व सहायिका की राशि उनके खाते में भेज दी जाएगी.

Intro:एंकर--मनरेगा मजदूरों से भी कम वेतन पाने वाली आंगनबाड़ी सेविका व सहायिका एक बार फिर अपने वेतन और स्थायीकरण के मुद्दे को लेकर बड़ी संख्या में आंदोलित हुई दिख रही है.
मुख्यमंत्री के गृह छेत्र के पूर्वी सिंहभूम के आंगनबाड़ी सेविका व सहायिका को कई महीनों से मानदेय नहीं मिला है.पाँच साल तक के बच्चों के पोषाआहर भी नहीं मिल रहे हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों में खाने के लालत पड़ने लगे हैं.पेश है एक रिपोर्ट।


Body:वीओ1--यह तस्वीर है लौहनगरी के आंगनबाड़ी सेविका व सहायिका की जो कह रही है पहले वादाख़िलाफ़ी अब विरोध को भी राज्य सरकार दबाने लगे हैं. इन्हें पिछले कई महीनों से मानदेय नहीं मिला है. सेविका व सहायिका का कहना है राज्य सरकार के द्वारा सिर्फ आश्वासन ही मिलता है।समाज कल्याण विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक एक लाख 98 हज़ार लाभुक जुड़े हैं आंगनबाड़ी केंद्रों से।जिले के 1722 आंगनबाड़ी केंद्रों में 1690 सेविका और 1639 सहायिका कार्यरत है.
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के जिम्मे कौन से काम?
गर्भवती महिलाओं को मदद देना, कन्यादान योजना और उज्जवला योजना का प्रचार करना, मलेरिया की दवाई देना जनगणना में ड्यूटी निभाना,आधार कार्ड बनवाना, राशन कार्ड बनवाना, यानी काम कई मगर वेतन महज 5900 रुपए इन्हें दिया जाता है।पिछले पाँच महीनों से मानदेय नहीं मिला है.पोषाआहर की राशि अकटुबर 2018 से अब तक नहीं मिली है.दुकान वाले भी सामान देने से अब इनकार करते हैं.मानदेय व पोषाआहर की राशि अब तक नहीं मिली है.अधिकारियों से कई बार इसके लिए गुहार लगा चुके है.इस बार सरकार को कटघरे में खड़ा करेंगे. सरकार हमें हर बार अनदेखा करती है।
बाइट-- बिंदु रानी (आंगनबाड़ी सेविका)
बाइट--आशा लता(आंगनबाड़ी सेविका)
वीओ2--आंगनबाड़ी सेविका बच्चों को माँ की तरह सेवा देती है.वहीं अपने हक़ व अधिकार के लिए वर्ष 2018 में पाँच दिनों तक ये सेविकाएँ राज्य के मुख्यमंत्री आवास के समीप एग्रिको मैदान में डंटी रही थी.एक बार फ़िर आंदोलन का रास्ता अख़्तियार की है. समय पर वेतन नहीं मिलने पर जाहिर है सेविका और सहायिका को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.समाज कल्याण पदाधिकारी का कहना है पोटका और बोड़ाम प्रखंड में राशि भेजी नहीं गई है.मई तक के आवंटन राशि पारित हो चुके हैं.कई जगहों से वाउचर प्राप्त नहीं होने के कारण राशि नहीं भेजी गई है.सेविका व सहायिका की राशि आज उनके खाते में भेज दी जाएगी।
बाइट-- सिमा कुमारी उदयपुरी(महिला समाज कल्याण) पदाधिकारी






Conclusion: खुले आसमान के नीचे और बढ़ती तपिश में सेविका व सहायिका हर दिन अपने मानदेय के लिए सरकारी बाबुओं से मिलने आती है. बहरहाल राज्य सरकार ने पिछले पाँच वर्षों में 400 करोड़ रुपए खर्च किए विज्ञापन में.लेकिन इनकी माँग अब तक पूरी नहीं हुई है।
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