जमशेदपुर: जिले का बोड़ाम प्रखंड प्रकृति की गोद में बसा है. यहां कई मनमोहक नजारा देखने को मिलता है. बावजूद इसके इस इलाके के लोग स्वास्थ्य सुविधा से मरहूम हैं. ईटीवी भारत की टीम ने जब इलाके का जायजा लिया तो वहां के लोगों ने अपनी परेशानी बताई और सरकार से इस ध्यान देने की अपील की.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रति एक हजार नागरिकों पर 2 चिकित्सक होने चाहिए. पूर्वी सिंहभूम में जनसंख्या के हिसाब से स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या कम है, 22 लाख की आबादी वाले पूर्वी सिंहभूम में 9 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र,18 प्राथमिकी स्वास्थ्य केंद्र और 244 हेल्थ सब सेंटर हैं. जबकि 4145 की जनसंख्या पर एक स्वास्थ्य केंद्र होने चाहिए. स्वास्थ्य विभाग के रूरल हेल्थ स्टैटिसकटिक्स के अनुसार पांच हजार जनसंख्या वाले क्षेत्र में 2.54 किलोमीटर पर और चार कस्बों के अनुरूप एक हेल्थ सब सेंटर होना चाहिए.
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प्राइवेट अस्पताल का रुख करने को मजबूर
इस इलाके में स्वास्थ्य केंद्र नहीं होने के कारण पहाड़ी लोगों को स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाती है. सुदूर क्षेत्र के ग्रामीणों को बीमार होने पर दूसरे प्राइवेट अस्पताल का रुख करना पड़ता है. गांव में रहने वाली महिलाओं ने बताया आपात समय में पहाड़ के उस पार जाना पड़ता है.तिरुलडीह पंचायत में रहने वाले स्थानीय युवक ने बताया थोड़ी सी तबीयत खराब होने के बाद दस किलोमीटर दूर स्टील सिटी जाना पड़ता है. यहां से यातायात के लिए गाड़ियों की सुविधा भी नहीं है. मुंसा पंचायत में कभी-कभार डॉक्टर आते हैं. आपात स्थिति में आंगनबाड़ी सेविका के पास ही इलाज के लिए जाना पड़ता है.
'जल्द मिलेगा इनको लाभ'
सिविल सर्जन ने बताया पहाड़ी क्षेत्र के लोगों के लिए स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के संबंध में सरकार की योजना है. कोर कमेटी के पूर्व निर्धारित दिशा निर्देश के अनुसार तीन हजार जनसंख्या वाले क्षेत्र में सब सेंटर होने चाहिए जो हमारे जिले में है.
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बहरहाल आर्थिक रूप से कमज़ोर गरीबों के लिए ना तो कोई मसीहा है और ना ही जान बचाने वाले डॉक्टर हैं. क्योंकि इनका कसूर है ये पहाड़ी इलाकों में निवास करते हैं. सालों से नेताओं के भाषण इनके उद्धार के लिए होते हैं लेकिन नेताओं का ही उद्धार होता है.