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CM के गृह जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल, पहाड़ी इलाकों के लोग 'भगवान भरोसे' - झारखंड समाचार

जमशेदपुर से सटे बोड़ाम प्रखंड में रहनेवाले लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही है. उनका कहना कि यहां न तो अस्पताल है और न ही डॉक्टर मजबूरन कई लोग इलाज के अभाव में दम तोड़ देते हैं.

गांव की तस्वीर
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Published : Jul 13, 2019, 10:06 AM IST

जमशेदपुर: जिले का बोड़ाम प्रखंड प्रकृति की गोद में बसा है. यहां कई मनमोहक नजारा देखने को मिलता है. बावजूद इसके इस इलाके के लोग स्वास्थ्य सुविधा से मरहूम हैं. ईटीवी भारत की टीम ने जब इलाके का जायजा लिया तो वहां के लोगों ने अपनी परेशानी बताई और सरकार से इस ध्यान देने की अपील की.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रति एक हजार नागरिकों पर 2 चिकित्सक होने चाहिए. पूर्वी सिंहभूम में जनसंख्या के हिसाब से स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या कम है, 22 लाख की आबादी वाले पूर्वी सिंहभूम में 9 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र,18 प्राथमिकी स्वास्थ्य केंद्र और 244 हेल्थ सब सेंटर हैं. जबकि 4145 की जनसंख्या पर एक स्वास्थ्य केंद्र होने चाहिए. स्वास्थ्य विभाग के रूरल हेल्थ स्टैटिसकटिक्स के अनुसार पांच हजार जनसंख्या वाले क्षेत्र में 2.54 किलोमीटर पर और चार कस्बों के अनुरूप एक हेल्थ सब सेंटर होना चाहिए.

ये भी पढ़ें- 15 जुलाई से रांची से चलेगी बाबा धाम स्पेशल ट्रेन, नहीं होगी भक्तों को परेशानी

प्राइवेट अस्पताल का रुख करने को मजबूर

इस इलाके में स्वास्थ्य केंद्र नहीं होने के कारण पहाड़ी लोगों को स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाती है. सुदूर क्षेत्र के ग्रामीणों को बीमार होने पर दूसरे प्राइवेट अस्पताल का रुख करना पड़ता है. गांव में रहने वाली महिलाओं ने बताया आपात समय में पहाड़ के उस पार जाना पड़ता है.तिरुलडीह पंचायत में रहने वाले स्थानीय युवक ने बताया थोड़ी सी तबीयत खराब होने के बाद दस किलोमीटर दूर स्टील सिटी जाना पड़ता है. यहां से यातायात के लिए गाड़ियों की सुविधा भी नहीं है. मुंसा पंचायत में कभी-कभार डॉक्टर आते हैं. आपात स्थिति में आंगनबाड़ी सेविका के पास ही इलाज के लिए जाना पड़ता है.

'जल्द मिलेगा इनको लाभ'

सिविल सर्जन ने बताया पहाड़ी क्षेत्र के लोगों के लिए स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के संबंध में सरकार की योजना है. कोर कमेटी के पूर्व निर्धारित दिशा निर्देश के अनुसार तीन हजार जनसंख्या वाले क्षेत्र में सब सेंटर होने चाहिए जो हमारे जिले में है.

ये भी पढ़ें- पूर्व मंत्री दुलाल भुइयां की याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई, लोअर कोर्ट के फैसले पर स्टे लगाने की मांग​​​​​​​

बहरहाल आर्थिक रूप से कमज़ोर गरीबों के लिए ना तो कोई मसीहा है और ना ही जान बचाने वाले डॉक्टर हैं. क्योंकि इनका कसूर है ये पहाड़ी इलाकों में निवास करते हैं. सालों से नेताओं के भाषण इनके उद्धार के लिए होते हैं लेकिन नेताओं का ही उद्धार होता है.

जमशेदपुर: जिले का बोड़ाम प्रखंड प्रकृति की गोद में बसा है. यहां कई मनमोहक नजारा देखने को मिलता है. बावजूद इसके इस इलाके के लोग स्वास्थ्य सुविधा से मरहूम हैं. ईटीवी भारत की टीम ने जब इलाके का जायजा लिया तो वहां के लोगों ने अपनी परेशानी बताई और सरकार से इस ध्यान देने की अपील की.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रति एक हजार नागरिकों पर 2 चिकित्सक होने चाहिए. पूर्वी सिंहभूम में जनसंख्या के हिसाब से स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या कम है, 22 लाख की आबादी वाले पूर्वी सिंहभूम में 9 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र,18 प्राथमिकी स्वास्थ्य केंद्र और 244 हेल्थ सब सेंटर हैं. जबकि 4145 की जनसंख्या पर एक स्वास्थ्य केंद्र होने चाहिए. स्वास्थ्य विभाग के रूरल हेल्थ स्टैटिसकटिक्स के अनुसार पांच हजार जनसंख्या वाले क्षेत्र में 2.54 किलोमीटर पर और चार कस्बों के अनुरूप एक हेल्थ सब सेंटर होना चाहिए.

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प्राइवेट अस्पताल का रुख करने को मजबूर

इस इलाके में स्वास्थ्य केंद्र नहीं होने के कारण पहाड़ी लोगों को स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाती है. सुदूर क्षेत्र के ग्रामीणों को बीमार होने पर दूसरे प्राइवेट अस्पताल का रुख करना पड़ता है. गांव में रहने वाली महिलाओं ने बताया आपात समय में पहाड़ के उस पार जाना पड़ता है.तिरुलडीह पंचायत में रहने वाले स्थानीय युवक ने बताया थोड़ी सी तबीयत खराब होने के बाद दस किलोमीटर दूर स्टील सिटी जाना पड़ता है. यहां से यातायात के लिए गाड़ियों की सुविधा भी नहीं है. मुंसा पंचायत में कभी-कभार डॉक्टर आते हैं. आपात स्थिति में आंगनबाड़ी सेविका के पास ही इलाज के लिए जाना पड़ता है.

'जल्द मिलेगा इनको लाभ'

सिविल सर्जन ने बताया पहाड़ी क्षेत्र के लोगों के लिए स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के संबंध में सरकार की योजना है. कोर कमेटी के पूर्व निर्धारित दिशा निर्देश के अनुसार तीन हजार जनसंख्या वाले क्षेत्र में सब सेंटर होने चाहिए जो हमारे जिले में है.

ये भी पढ़ें- पूर्व मंत्री दुलाल भुइयां की याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई, लोअर कोर्ट के फैसले पर स्टे लगाने की मांग​​​​​​​

बहरहाल आर्थिक रूप से कमज़ोर गरीबों के लिए ना तो कोई मसीहा है और ना ही जान बचाने वाले डॉक्टर हैं. क्योंकि इनका कसूर है ये पहाड़ी इलाकों में निवास करते हैं. सालों से नेताओं के भाषण इनके उद्धार के लिए होते हैं लेकिन नेताओं का ही उद्धार होता है.

Intro:एंकर-- बीमार अस्पताल की तीसरी कड़ी में देखिए पूर्वी सिंहभूम के पहाड़ी इलाकों में नहीं है स्वास्थ्य केंद्र.डिमना डैम से छः किलोमीटर की दूरी पर प्रकृति की गोद में बसा बोड़ाम प्रखंड के लायलम पंचायत केंद्र,तिरुलडीह,हेसा,और मुसपड़िया कस्बों के लोग आज भी स्वास्थ्य सुविधा से महरूम हैं।ईटीवी भारत की टीम ने इसका जायजा लिया।


Body:वीओ1--विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रति एक हज़ार नागरिकों पर 2 चिकित्सक होने चाहिए.इसी तरह पूर्वी सिंहभूम में जनसंख्या के अनुसार स्वास्थ्य केंद्र बेहद गड़बड़ है.22लाख की आबादी वाले पूर्वी सिंहभूम में 9 सीएचसी(सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र)18 पीएचसी(प्राथमिकी स्वास्थ्य केंद्र)और 244 हेल्थ सब्सेन्टर है.जबकि 4145 की जनसंख्या पर एक स्वास्थ्य केंद्र होने चाहिए.
स्वास्थ्य विभाग झारखंड सरकार के रूरल हेल्थ स्टैटिसकटिक्स के अनुसार--पाँच हज़ार जनसंख्या वाले छेत्र में 2.54 किलोमीटर पर और चार कस्बों के अनुरूप एक हेल्थ सब्सेन्टर होनी चाहिए.
तीस हजार आबादी वाले छेत्र में एक पीएचसी होनी चाहिए.
बारह लाख की आबादी पर एक सीएचसी होने चाहिए.स्वास्थ्य केंद्र नहीं होने के कारण पहाड़ी लोगों को स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाता है.सुदूर छेत्र के ग्रामीणों को बीमार होने पर दूसरे प्राइवेट अस्पताल का रुख करना पड़ता है.गावँ में रहने वाली महिलाओं ने बताया आपात समय में पहाड़ के उस पार जाना पड़ता है.समस्या है तो क्या करेंगे.ज्यादा तबियत खराब होने पर पहले से गाड़ी की व्यवस्था कर लेते हैं.तिरुलडीह पंचायत में रहने वाले स्थानीय युवक ने बताया थोड़ी सी तबियत ख़राब होने के बाद दस किलोमीटर दूर स्टील सिटी जाना पड़ता है.यहाँ से यातायात के लिए गाड़ियों की सुविधा भी नहीं है.गावँ में स्वास्थ्य केंद्र की सुविधा नहीं होने के कारण सात से आठ किलोमीटर टाटा जाना पड़ता है.सड़क की अव्यवस्था के साथ--साथ आने जाने की व्यवस्था भी नहीं है.मुंसा पंचायत में कभी- कभार डॉक्टर आते हैं.आपात स्थिति में आंगनबाड़ी सेविका के पास ही ईलाज के लिए जाना पड़ता है।
बाइट--हरीश(तिरुलडीह निवासी)
बाइट--स्थानीय युवक(तिरुलडीह निवासी)
बाइट--स्थानीय महिला(लायलम पंचायत निवासी)
वीओ2--पूर्वी सिंहभूम के सिविल सर्जन ने बताया पहाड़ी क्षेत्र के लोगों के लिए स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के संबंध में सरकार की योजना है.कोर कमेटी के पूर्व निर्धारित दिशा निर्देश के अनुसार तीन हज़ार जनसंख्या वाले क्षेत्र में सब सेंटर होने चाहिए. जो हमारे जिले में है।एवं समतल क्षेत्र में पाँच हज़ार की जनसंख्या पर सब्सेन्टर होने चाहिए.लव जोड़ा में स्वास्थ्य केंद्र का संचालन किया जा रहा है।जो बोड़ाम के लोगों को सुविधा दे रही है।
बाइट--डॉक्टर महेश्वर प्रसाद(सिविल सर्जन)



Conclusion:बहरहाल आर्थिक रूप से कमज़ोर गरीबों के लिए ना तो कोई मसीहा है और ना ही जान बचाने वाले डॉक्टर है .क्योंकि इनका कसूर है ये पहाड़ी इलाकों में निवास करते हैं.सालों से नेताओं के भाषण इनके उद्धार के लिए होते हैं.लेकिन नेताओं का ही उद्धार होता है।
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