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उज्ज्वला योजना पर महंगाई की मार, घरों में धुएं वाले चूल्हे ने फिर की एंट्री!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी योजना में एक उज्जवला योजना है. जिसकी शुरुआत 2016 में की गई. लेकिन सिर्फ पांच साल में ही इस योजना ने दम तोड़ना शुरू कर दिया है. एक बार फिर महिलाएं धुएं वाले चूल्हें पर खाना बना रही हैं.

Ujjwala scheme Beneficiaries are unable to refill gas cylinde
Ujjwala scheme Beneficiaries are unable to refill gas cylinde
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Published : Dec 18, 2021, 5:38 PM IST

Updated : Dec 18, 2021, 6:12 PM IST

हजारीबाग: पीएम मोदी ने पांच साल पहले उज्जवला (Ujjwala scheme) की शुरुआत हुई थी. तब पीएम मोदी ने इस योजना को एक ऐसी योजना बताया था जिससे गरीब महिलाओं को लकड़ी-उपले के धुएं में खाना बनाने से आजादी मिलने वाली बताया था. लेकिन इसके पांच साल गुजर जाने के बाद ये योजना दम तोड़ रही है. बढ़ते एलपीजी के दाम ने महिलाओं को एक बार फिर से धुएं वाले चूल्हे पर खाना बनाने पर मजबूर कर दिया है.

नहीं मिली धुएं से आजादी
बढ़ती महंगाई ने उज्जवला योजना में पलीता लगा दिया है और पीएम मोदी का सपना धुएं में उड़ गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़े ही तामझाम से इस योजना की शुरुआत की थी. इसे महिलाओं को धुएं से आजादी की बात कही गई थी. मोदी सरकार इस योजना को आज भी अपनी बड़ी कामयाबी मे से एक मानती है. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. इस योजना के सिर्फ पांच सालों में ही दम तोड़ दिया है. गैस के बढ़ते दाम और घटती सब्सिडी ने लोगों को परेशान कर दिया है. ऐसे में जिन गरीब परिवारों को उज्जवला योजना का लाभ दिया गया था वे गैस सिलेंडर दोबारा नहीं भरवा पा रहे हैं. जिन लोगों ने बड़े ही खुशी के साथ उज्जवला योजना के तहत लाभ लिया था. अब गैस सिलेंडर उनके घर में शोभा की वस्तु बनकर रह गया है और महिलाएं फिर से लकड़ी, कोयला और उपला (गोइंठा) पर खाना बनाती दिख रहीं हैं.

देखें वीडियो

ये भी पढ़ें: उज्जवला 2.0 : गैस सिलेंडर सस्ते नहीं हुए तो रसोई में उठता रहेगा लकड़ी का धुआं

बढ़ती महंगाई ने बढ़ाई मुसीबत

बढ़ती महंगाई ने आर्थिक रूप से कमजोर गैस उपभोक्ताओं के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है. उज्ज्वला योजना के अधिकांश उपभोक्ताओं ने सिलेंडर में गैस भरवाना बंद कर लकड़ी, गोंइठा या कोयला की ओर बढ़ चले हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार एलपीजी की मूल्य वृद्धि से निम्न और मध्यम वर्ग की गृहस्थी बिगड़ रही है. हजारीबाग के सदर प्रखंड के गोदखर गांव कि महिलाओं का कहना है कि उन लोगों का परिवार 1500 रुपए में चलता है. ऐसे में सिर्फ गैस के लिए ही 1000 रुपए दें तो फिर उनका घर कैसे चलेगा. जहां एक तरफ खाद्य पदार्थों का कीमत बढ़ता जा रहा है, रोजगार की कमी है. तो दूसरी ओर सरकार गैस की कीमतों में बढ़ोतरी करती जा रही है. इसलीए उन्होंने गैस पर खाना बनाना बंद कर दिया.

लाभुक के घर जायजा लेते संवाददादा गौरव प्रकाश


जंगल से लकड़ी लाकर जला रहे चूल्हा
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत सरकार गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों को एलपीजी का कनेक्शन देती है. इस योजना का लाभ केवल महिलाएं उठा सकती हैं. आवेदक महिला की उम्र कम से कम 18 साल होनी चाहिए. साथ ही एक ही घर में इस योजना के तहत कोई अन्य एलपीजी कनेक्शन नहीं होना चाहिए. ऐसे में ग्रामीण कहते हैं कि यह सिर्फ और सिर्फ दिखावे के लिए गैस सिलेंडर है अगर कीमत कम होती तो वे जंगल से लकड़ी ला कर चूल्हा नहीं जलाते.

Ujjwala scheme Beneficiaries are unable to refill gas cylinde
चूल्हा जलाने के लिए लकड़ी लाती महिला

ये भी पढ़ें: सरायकेला में उज्जवला योजना की हकीकत, चूल्हे के धुएं में कट रही महिलाओं की जिंदगी

सरकार को मामले की जानकारी

ऐसा नहीं है कि सरकार को इस मामले की जानकारी नहीं है. हजारीबाग से बीजेपी सांसद और संसदीय वित्त समिति के अध्यक्ष जयंत सिन्हा का कहना है कि सरकार इस मुद्दे पर चिंतन कर रही है. उनका कहना है कि सरकार जल्द ही इसका समाधान निकालेगी.

Ujjwala scheme Beneficiaries are unable to refill gas cylinde
चूल्हा फूंकती महिला



उत्तर प्रदेश से हुई थी उज्जवाला योजना की शुरुआत
महिलाओं को चूल्हे के धुएं से आजादी दिलाने के लिए प्रधानमंत्री ने उज्जवला योजना की शुरुआत उत्तर प्रदेश के बलिया से की थी. पहले चरण मे पांच करोड़ घरों को चूल्हे से आजादी देने का लक्ष्य और फिर 8 करोड़ घरों में उज्ज्वला का सिलेंडर पहुंचाने का टारगेट सरकार ने तय किया था. 5 साल बाद अब दोबारा उत्तर प्रदेश में ही महोबा से गरीब महिलाओं को मुफ्त सिलेंडर देने वाली प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के दूसरे हिस्से की शुरुआत की गई है.जिसमें एक करोड़ अतिरिक्त पीएमयूवाई कनेक्शन (उज्ज्वला 2.0 के तहत) का उद्देश्य कम आय वाले परिवारों को एलपीजी कनेक्शन प्रदान करना है.

हजारीबाग: पीएम मोदी ने पांच साल पहले उज्जवला (Ujjwala scheme) की शुरुआत हुई थी. तब पीएम मोदी ने इस योजना को एक ऐसी योजना बताया था जिससे गरीब महिलाओं को लकड़ी-उपले के धुएं में खाना बनाने से आजादी मिलने वाली बताया था. लेकिन इसके पांच साल गुजर जाने के बाद ये योजना दम तोड़ रही है. बढ़ते एलपीजी के दाम ने महिलाओं को एक बार फिर से धुएं वाले चूल्हे पर खाना बनाने पर मजबूर कर दिया है.

नहीं मिली धुएं से आजादी
बढ़ती महंगाई ने उज्जवला योजना में पलीता लगा दिया है और पीएम मोदी का सपना धुएं में उड़ गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़े ही तामझाम से इस योजना की शुरुआत की थी. इसे महिलाओं को धुएं से आजादी की बात कही गई थी. मोदी सरकार इस योजना को आज भी अपनी बड़ी कामयाबी मे से एक मानती है. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. इस योजना के सिर्फ पांच सालों में ही दम तोड़ दिया है. गैस के बढ़ते दाम और घटती सब्सिडी ने लोगों को परेशान कर दिया है. ऐसे में जिन गरीब परिवारों को उज्जवला योजना का लाभ दिया गया था वे गैस सिलेंडर दोबारा नहीं भरवा पा रहे हैं. जिन लोगों ने बड़े ही खुशी के साथ उज्जवला योजना के तहत लाभ लिया था. अब गैस सिलेंडर उनके घर में शोभा की वस्तु बनकर रह गया है और महिलाएं फिर से लकड़ी, कोयला और उपला (गोइंठा) पर खाना बनाती दिख रहीं हैं.

देखें वीडियो

ये भी पढ़ें: उज्जवला 2.0 : गैस सिलेंडर सस्ते नहीं हुए तो रसोई में उठता रहेगा लकड़ी का धुआं

बढ़ती महंगाई ने बढ़ाई मुसीबत

बढ़ती महंगाई ने आर्थिक रूप से कमजोर गैस उपभोक्ताओं के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है. उज्ज्वला योजना के अधिकांश उपभोक्ताओं ने सिलेंडर में गैस भरवाना बंद कर लकड़ी, गोंइठा या कोयला की ओर बढ़ चले हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार एलपीजी की मूल्य वृद्धि से निम्न और मध्यम वर्ग की गृहस्थी बिगड़ रही है. हजारीबाग के सदर प्रखंड के गोदखर गांव कि महिलाओं का कहना है कि उन लोगों का परिवार 1500 रुपए में चलता है. ऐसे में सिर्फ गैस के लिए ही 1000 रुपए दें तो फिर उनका घर कैसे चलेगा. जहां एक तरफ खाद्य पदार्थों का कीमत बढ़ता जा रहा है, रोजगार की कमी है. तो दूसरी ओर सरकार गैस की कीमतों में बढ़ोतरी करती जा रही है. इसलीए उन्होंने गैस पर खाना बनाना बंद कर दिया.

लाभुक के घर जायजा लेते संवाददादा गौरव प्रकाश


जंगल से लकड़ी लाकर जला रहे चूल्हा
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत सरकार गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों को एलपीजी का कनेक्शन देती है. इस योजना का लाभ केवल महिलाएं उठा सकती हैं. आवेदक महिला की उम्र कम से कम 18 साल होनी चाहिए. साथ ही एक ही घर में इस योजना के तहत कोई अन्य एलपीजी कनेक्शन नहीं होना चाहिए. ऐसे में ग्रामीण कहते हैं कि यह सिर्फ और सिर्फ दिखावे के लिए गैस सिलेंडर है अगर कीमत कम होती तो वे जंगल से लकड़ी ला कर चूल्हा नहीं जलाते.

Ujjwala scheme Beneficiaries are unable to refill gas cylinde
चूल्हा जलाने के लिए लकड़ी लाती महिला

ये भी पढ़ें: सरायकेला में उज्जवला योजना की हकीकत, चूल्हे के धुएं में कट रही महिलाओं की जिंदगी

सरकार को मामले की जानकारी

ऐसा नहीं है कि सरकार को इस मामले की जानकारी नहीं है. हजारीबाग से बीजेपी सांसद और संसदीय वित्त समिति के अध्यक्ष जयंत सिन्हा का कहना है कि सरकार इस मुद्दे पर चिंतन कर रही है. उनका कहना है कि सरकार जल्द ही इसका समाधान निकालेगी.

Ujjwala scheme Beneficiaries are unable to refill gas cylinde
चूल्हा फूंकती महिला



उत्तर प्रदेश से हुई थी उज्जवाला योजना की शुरुआत
महिलाओं को चूल्हे के धुएं से आजादी दिलाने के लिए प्रधानमंत्री ने उज्जवला योजना की शुरुआत उत्तर प्रदेश के बलिया से की थी. पहले चरण मे पांच करोड़ घरों को चूल्हे से आजादी देने का लक्ष्य और फिर 8 करोड़ घरों में उज्ज्वला का सिलेंडर पहुंचाने का टारगेट सरकार ने तय किया था. 5 साल बाद अब दोबारा उत्तर प्रदेश में ही महोबा से गरीब महिलाओं को मुफ्त सिलेंडर देने वाली प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के दूसरे हिस्से की शुरुआत की गई है.जिसमें एक करोड़ अतिरिक्त पीएमयूवाई कनेक्शन (उज्ज्वला 2.0 के तहत) का उद्देश्य कम आय वाले परिवारों को एलपीजी कनेक्शन प्रदान करना है.

Last Updated : Dec 18, 2021, 6:12 PM IST
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