हजारीबाग: जिले को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए न जाने कितनी बार सरकार और स्थानीय जिला प्रशासन के द्वारा प्रयास किया गया. कई बार सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर बैठक हुई, योजना भी बनी लेकिन उदासीनता की वजह से धरातल पर नहीं उतरी.
सरकारी और प्रशासनिक उदासीनता
आलम यह रहा कि हजारीबाग के रेलवे स्टेशन के पास नगर निगम खाली पड़े स्थान में कूड़ा सालों से डंप करता जा रहा है. ऐसे में रेलवे स्टेशन के पास कूड़े का अंबार लगा हुआ है. कूड़े का अंबार लगने के कारण बीमारी का भी खतरा बढ़ता जा रहा है. लेकिन सरकारी और प्रशासनिक उदासीनता के कारण अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया.
अधिकारी के पास जवाब तक नहीं
आलम तो यह है कि अधिकारी के पास अब जवाब तक नहीं है, लेकिन रोना जरूर है. हजारीबाग सॉलि़ड वेस्ट मैनेजमेंट योजना का कार्य समय पर पूरा होता तो भारत सरकार की स्वच्छ सर्वेक्षण में हजारीबाग शहर का पहला स्थान मिलने की उम्मीद होती.
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट योजना
केंद्र प्रायोजित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट योजना नगर निगम में वर्ष 2006 में आई, लेकिन निगम बोर्ड या किसी अफसर ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. नतीजा योजना आज तक धरातल पर नहीं उतर पाई. यह योजना 19. 83 करोड़ रुपये की थी. जिसमें केंद्र सरकार ने 2007 में पहली किस्त में ढाई करोड़ रुपये नगर निगम को उपलब्ध कराई थी.
दो-दो बार डीपीआर
2.11 करोड़ रुपये से सफाई यंत्र की खरीदारी भी हुई, लेकिन कचड़ा से मुक्त शहर बनाने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट का कोई काम नहीं हुआ. अंतिम 10 साल बाद इस योजना को पूरी तरह से खत्म कर नगर निगम ने दोबारा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट योजना धरातल पर उतारने के लिए फिर से डीपीआर बनाने का काम शुरू किया. एक ही योजना के लिए दो बार डीपीआर बनाई गई और पहले से डेढ़ गुना अधिक करीब 30 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनी. एक ही योजना के लिए दो-दो बार डीपीआर बनाना पड़ा.
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आम जनता परेशान
जिस तरह से हजारीबाग में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट धरातल पर नहीं उतरा. इसके पीछे प्रशासनिक और सरकारी उदासीनता साफ तौर से देखने को मिलता है. लेकिन इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है.