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हजारीबाग का ऐसा अस्पताल जहां मौत के बाद ग्रामीण लगाते हैं शिलापट्ट - बरही अनुमंडल के अस्पताल में इलाज नहीं

हजारीबाग में ऐसा भी अस्पताल है जहां मरीजों का इलाज नहीं होता. इस अस्पताल में लगभग 2 दर्जन गांवों के मृतकों के नाम के शिलापट्ट लगे हुए हैं.

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Published : Dec 10, 2020, 4:52 PM IST

Updated : Dec 10, 2020, 6:32 PM IST

हजारीबाग: जिले के बरही अनुमंडल के बुंडु गांव में एक ऐसा अस्पताल है, जहां लोग परिजनों की मौत के बाद उनकी याद में शिलापट्ट लगाते हैं. इस अस्पताल को करीब 4 साल पहले बनाया गया था, लेकिन यहां इलाज नहीं होता. ऐसे में मरीजों की मौत होने पर परिजन उसके नाम का शिलापट्ट लगा देते हैं.

देखिए पूरी खबर

यहां एक-दो नहीं बल्कि 2 दर्जन से अधिक शिलापट्ट लगा हुए है. पहले जहां इसकी संख्या इक्का-दुक्का थी लेकिन धीरे-धीरे अस्पताल के चारों ओर शिलापट्ट लगने शुरू हो गए हैं. इसे देखकर ऐसा लगता है जैसे कि ये अस्पताल नहीं बल्कि कोई कब्रगाह हो.

ये भी पढे़ं: बाबूलाल मरांडी के मामले पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई, अदालत ने मांगा विधानसभा से जवाब

अस्पताल शुरू करने की मांग

गांव के मुखिया प्रतिनिधि विजय यादव ने बताया कि ग्रामीणों में इस अस्पताल को लेकर नाराजगी थी. इसी वजह से उन्होंने यहां पर शिलापट्ट लगाया है हालांकि जल्द ही शिलापट्टों को हटाने का काम किया जाएगा. उनका कहना है कि करीब 4 साल पहले गांव में अस्पताल तो बन गया लेकिन बिजली और पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है. उन्होंने ईटीवी भारत के जरिए सरकार से अपील की है कि इस अस्पताल को सारी सुविधा से लैस कर इसकी जल्द शुरुआत करें.

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बरही अनुमंडल का उपस्वास्थ्य केंद्र

25 लाख की लागत से निर्माण

हजारीबाग जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलो दूर सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र में सरकार ने यह अस्पताल इस लिए बनाया था कि गांव के लोगों को परेशानी न हो और उन्हें समुचित स्वास्थ्य लाभ दिया जा सके. साल 2016 में 25 लाख रुपए की लागत से इसके लिए दो मंजिला भवन बनाया गया. हालांकि इसके बाद न तो सुविधाएं मिली और न ही चिकित्सकों की नियुक्ति हो सकी. सरकार इसे ठंडे बस्ते में डालकर भूल गई.

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अस्पताल में शिलापट्ट

क्या कहते हैं विधायक

बरही विधायक उमाशंकर अकेला भी इस बात को लेकर आश्चर्यचकित हैं कि कैसे अस्पताल परिसर की चारदीवारी मृतकों के नाम से भर गई. उन्होंने कहा कि वे ग्रामीणों से इन शिलापट्टों को हटाने का अनुरोध करेंगे. इसके साथ ही साथ सरकार से भी बात करेंगे कि यहां अस्पताल जल्द शुरू किया जा सके.

अब इसे गांधीगिरी कहें या ग्रामीणों की नाराजगी लेकिन ये अपने आप में अनूठा मामला है. अगर यह अस्पताल समय रहते शुरू हो जाता तो शायद यह स्थिति नहीं बनती.

हजारीबाग: जिले के बरही अनुमंडल के बुंडु गांव में एक ऐसा अस्पताल है, जहां लोग परिजनों की मौत के बाद उनकी याद में शिलापट्ट लगाते हैं. इस अस्पताल को करीब 4 साल पहले बनाया गया था, लेकिन यहां इलाज नहीं होता. ऐसे में मरीजों की मौत होने पर परिजन उसके नाम का शिलापट्ट लगा देते हैं.

देखिए पूरी खबर

यहां एक-दो नहीं बल्कि 2 दर्जन से अधिक शिलापट्ट लगा हुए है. पहले जहां इसकी संख्या इक्का-दुक्का थी लेकिन धीरे-धीरे अस्पताल के चारों ओर शिलापट्ट लगने शुरू हो गए हैं. इसे देखकर ऐसा लगता है जैसे कि ये अस्पताल नहीं बल्कि कोई कब्रगाह हो.

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अस्पताल शुरू करने की मांग

गांव के मुखिया प्रतिनिधि विजय यादव ने बताया कि ग्रामीणों में इस अस्पताल को लेकर नाराजगी थी. इसी वजह से उन्होंने यहां पर शिलापट्ट लगाया है हालांकि जल्द ही शिलापट्टों को हटाने का काम किया जाएगा. उनका कहना है कि करीब 4 साल पहले गांव में अस्पताल तो बन गया लेकिन बिजली और पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है. उन्होंने ईटीवी भारत के जरिए सरकार से अपील की है कि इस अस्पताल को सारी सुविधा से लैस कर इसकी जल्द शुरुआत करें.

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बरही अनुमंडल का उपस्वास्थ्य केंद्र

25 लाख की लागत से निर्माण

हजारीबाग जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलो दूर सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र में सरकार ने यह अस्पताल इस लिए बनाया था कि गांव के लोगों को परेशानी न हो और उन्हें समुचित स्वास्थ्य लाभ दिया जा सके. साल 2016 में 25 लाख रुपए की लागत से इसके लिए दो मंजिला भवन बनाया गया. हालांकि इसके बाद न तो सुविधाएं मिली और न ही चिकित्सकों की नियुक्ति हो सकी. सरकार इसे ठंडे बस्ते में डालकर भूल गई.

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अस्पताल में शिलापट्ट

क्या कहते हैं विधायक

बरही विधायक उमाशंकर अकेला भी इस बात को लेकर आश्चर्यचकित हैं कि कैसे अस्पताल परिसर की चारदीवारी मृतकों के नाम से भर गई. उन्होंने कहा कि वे ग्रामीणों से इन शिलापट्टों को हटाने का अनुरोध करेंगे. इसके साथ ही साथ सरकार से भी बात करेंगे कि यहां अस्पताल जल्द शुरू किया जा सके.

अब इसे गांधीगिरी कहें या ग्रामीणों की नाराजगी लेकिन ये अपने आप में अनूठा मामला है. अगर यह अस्पताल समय रहते शुरू हो जाता तो शायद यह स्थिति नहीं बनती.

Last Updated : Dec 10, 2020, 6:32 PM IST
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