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शरद पूर्णिमा और कोजागरी लखी पूजा आज, बंगाली समाज धूमधाम से कर रहा मां की आराधना - जामताड़ा में लखी पूजा

हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है. शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की विशेष पूजा कोजागरी लखी पूजा की जाती है. हजारीबाग, जामताड़ा, सरायकेला और खरसावां के साथ-साथ पूरे झारखंड में आज लोग मां लक्ष्मी की पूजा कर रहे हैं.

sharad purnima and kojagari lakhi puja
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Published : Oct 20, 2021, 10:04 PM IST

Updated : Oct 20, 2021, 10:14 PM IST

हजारीबाग: हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है. बंगाली समुदाय आज के दिन लक्ष्मी पूजा जिसे विशेष रूप से कोजागरी लखी पूजा के नाम से मनाते हैं. बंगाली समाज मां की प्रतिमा मंडप में स्थापित करते हैं और घर में विशेष पूजा की जाती है.


आम तौर पर दीपावली के दिन देश में लक्ष्मी पूजा की जाती है. इस दिन गणेश और लक्ष्मी की पूजा की जाती है. लेकिन शरद पूर्णिमा के दिन बंगाली समाज लक्ष्मी पूजा मनाते हैं. जिसे लखी पूजा भी कहा जाता है. इस दिन लक्ष्मी के साथ-साथ नारायण की पूजा की जाती है. हजारीबाग में भी बंगाली दुर्गा स्थान में धूमधाम के साथ आज लक्ष्मी पूजा मनाई जा रही है. जहां पूर्णमासी का चांद देखने के बाद पूजा शुरू की जाती है. शाम होते ही बंगाली समुदाय के साथ-साथ अन्य समुदाय के लोगों ने भी मंडप पहुंचकर विशेष पूजा अर्चना की.

देखें वीडियो

दुर्गा बाड़ी कमेटी के सदस्यों ने बताया कि इस मौके पर भगवती लक्ष्मी को विशेष भोग लगाया जाता है. घरों पर विशेष व्यंजन बनाया जाता है और घी के दीप जलाए जाते हैं. घर के किसी कोने में आज अंधेरा नहीं रखा जाता है. ऐसी मान्यता की मां लक्ष्मी रात में भ्रमण करते हुए घर पहुंचती हैं. जहां रोशनी होती है वहां निवास करती हैं. साथ ही साथ समिति का यह भी कहना है कि दुर्गा पूजा के दिन वे लोग मां का विसर्जन करते हैं. पूर्णमासी के दिन लक्ष्मी माता का आहृवान किया जाता है और उनसे आशीर्वाद लिया जाता है. शरद पूर्णिमा आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है. इस तिथि को शरद पूर्णिमा भी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होती है. इसी वजह से आसमान से अमृत की बूंदें बरसती हैं.

ये भी पढ़ें: इस मंदिर में आधी रात को मूर्तियां करती हैं आपस में बातें, जानें अद्भुत रहस्य

जामताड़ा में मां की आराधना

जामताड़ा में लखी पूजा काफी श्रद्धा के साथ मनाया गया. विभिन्न मंदिरों और लक्ष्मी मंदिरों में मां काफी संख्या में श्रद्धालुओं पहुंचे और पूजा अर्चना की. जामताड़ा के हटिया परिसर स्थित लक्ष्मी मंदिर और जामताड़ा रेलवे स्टेशन परिसर में मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना की गई.

सरायकेला में भी लोग कर रहे मां लक्ष्मी की पूजा

सरायकेला, खरसावां, कुचाई और आसपास के क्षेत्रों में धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की धूम है. यहां लक्ष्मी पूजा के लिए बड़ी संख्या में भक्त मंदिर पहुंचे. इसके अलावा खरसावां और कुचाई के विभिन्न क्षेत्रों में करीब 100 स्थानों पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना की जा रही है. पुरोहितों ने माता की प्रतिमा के समक्ष हवन पूजन किया. मां लक्ष्मी पंडाल और मंदिरों में पूजा के लिए सुबह से ही भक्त सोशल डिस्टेंस बनाते हुए पूजा के लिए पहुंचे थे. इस दौरान भक्तों ने माता के दरबार में प्रसाद चढ़ाया और मन्नत पूरी होने पर भी चढ़ावा चढ़ाया. कई गांवों में मां लक्ष्मी की आकर्षक प्रतिाम स्थापित की गई है. घरों में भी धान का पौधा रख कर मां लक्ष्मी की पूजा की गई. मौके पर महिलाओं ने व्रत रख कर मां लक्ष्मी से सुख, शांति, समृद्धि की कामना की.

हजारीबाग: हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है. बंगाली समुदाय आज के दिन लक्ष्मी पूजा जिसे विशेष रूप से कोजागरी लखी पूजा के नाम से मनाते हैं. बंगाली समाज मां की प्रतिमा मंडप में स्थापित करते हैं और घर में विशेष पूजा की जाती है.


आम तौर पर दीपावली के दिन देश में लक्ष्मी पूजा की जाती है. इस दिन गणेश और लक्ष्मी की पूजा की जाती है. लेकिन शरद पूर्णिमा के दिन बंगाली समाज लक्ष्मी पूजा मनाते हैं. जिसे लखी पूजा भी कहा जाता है. इस दिन लक्ष्मी के साथ-साथ नारायण की पूजा की जाती है. हजारीबाग में भी बंगाली दुर्गा स्थान में धूमधाम के साथ आज लक्ष्मी पूजा मनाई जा रही है. जहां पूर्णमासी का चांद देखने के बाद पूजा शुरू की जाती है. शाम होते ही बंगाली समुदाय के साथ-साथ अन्य समुदाय के लोगों ने भी मंडप पहुंचकर विशेष पूजा अर्चना की.

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दुर्गा बाड़ी कमेटी के सदस्यों ने बताया कि इस मौके पर भगवती लक्ष्मी को विशेष भोग लगाया जाता है. घरों पर विशेष व्यंजन बनाया जाता है और घी के दीप जलाए जाते हैं. घर के किसी कोने में आज अंधेरा नहीं रखा जाता है. ऐसी मान्यता की मां लक्ष्मी रात में भ्रमण करते हुए घर पहुंचती हैं. जहां रोशनी होती है वहां निवास करती हैं. साथ ही साथ समिति का यह भी कहना है कि दुर्गा पूजा के दिन वे लोग मां का विसर्जन करते हैं. पूर्णमासी के दिन लक्ष्मी माता का आहृवान किया जाता है और उनसे आशीर्वाद लिया जाता है. शरद पूर्णिमा आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है. इस तिथि को शरद पूर्णिमा भी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होती है. इसी वजह से आसमान से अमृत की बूंदें बरसती हैं.

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जामताड़ा में मां की आराधना

जामताड़ा में लखी पूजा काफी श्रद्धा के साथ मनाया गया. विभिन्न मंदिरों और लक्ष्मी मंदिरों में मां काफी संख्या में श्रद्धालुओं पहुंचे और पूजा अर्चना की. जामताड़ा के हटिया परिसर स्थित लक्ष्मी मंदिर और जामताड़ा रेलवे स्टेशन परिसर में मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना की गई.

सरायकेला में भी लोग कर रहे मां लक्ष्मी की पूजा

सरायकेला, खरसावां, कुचाई और आसपास के क्षेत्रों में धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की धूम है. यहां लक्ष्मी पूजा के लिए बड़ी संख्या में भक्त मंदिर पहुंचे. इसके अलावा खरसावां और कुचाई के विभिन्न क्षेत्रों में करीब 100 स्थानों पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना की जा रही है. पुरोहितों ने माता की प्रतिमा के समक्ष हवन पूजन किया. मां लक्ष्मी पंडाल और मंदिरों में पूजा के लिए सुबह से ही भक्त सोशल डिस्टेंस बनाते हुए पूजा के लिए पहुंचे थे. इस दौरान भक्तों ने माता के दरबार में प्रसाद चढ़ाया और मन्नत पूरी होने पर भी चढ़ावा चढ़ाया. कई गांवों में मां लक्ष्मी की आकर्षक प्रतिाम स्थापित की गई है. घरों में भी धान का पौधा रख कर मां लक्ष्मी की पूजा की गई. मौके पर महिलाओं ने व्रत रख कर मां लक्ष्मी से सुख, शांति, समृद्धि की कामना की.

Last Updated : Oct 20, 2021, 10:14 PM IST
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