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इंसानियत भूले एंबुलेंस चालक, कोरोना संक्रमित मरीजों से वसूल रहे मनमाना किराया

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Published : May 1, 2021, 7:20 PM IST

Updated : May 10, 2021, 5:47 PM IST

होम आइसोलेशन के दौरान संक्रमित मरीज का ऑक्सीजन लेवल कम होने के कारण सबसे पहले एंबुलेंस की जरूरत पड़ रही है. ताकि अस्पताल पहुंचे और ऑक्सीजन दिया जा सके. इस बीच तमाम निजी एंबुलेंस चालक लोगों से मनमाना किराया वसूल रहे हैं.

Ambulance drivers charge more money for Corona infected patients in hazaribag
संक्रमित मरीजों से वसूल रहे मनमाना किराया

हजारीबाग: कोविड-19 के चलते परेशान तीमारदारों की निजी एंबुलेंस चालक मुसीबत बढ़ाने से बाज नहीं आ रहे हैं. ये तीमारदारों से मनमाना किराये की मांग कर रहे हैं. इससे बीमारों को अस्पताल ले जाने के लिए चिंतित तीमारदार परेशान हैं.

देखें स्पेशल खबर


एक तीमारदार ने बताया कि एंबुलेंस वाले बहुत अधिक पैसे की मांग करते हैं. गरीब के लिए पैसा देना मुश्किल होता है. ऐसे में खुद से ही मरीज पहुंचाने के लिए ऑटो या दूसरे साधनों का इस्तेमाल करते हैं. उनका कहना है कि ये वैसे ही मरीज के लिए है जिनकी स्थिति गंभीर नहीं है. लेकिन एंबुलेंस वाले की मनमानी बहुत ही अधिक देखने को मिल रही है. इधर निजी एंबुलेंस चालकों का कहना है कि उन लोगों के लिए मरीज को समय पर अस्पताल पहुंचाना चुनौती से कम नहीं है. जैसे ही उनको फोन आता है, तो वो फौरन मरीज के पास पहुंच जाते हैं.

ये भी पढ़ें- ये 7 अभ्यास और 2 प्राणायाम के जरिये शरीर में बढ़ा सकते हैं ऑक्सीजन, कोरोना से लड़ने में मिलेगी मदद

एंबुलेंस चालक वसूलते हैं मनमाना किराया

हजारीबाग निवासी सिटु कुमार ने बताया कि कई ऐसे एंबुलेंस चालक हैं जो मनमाना पैसा वसूल रहे हैं. सरकार और जिला प्रशासन को इन लोगों की नकेल कसनी चाहिए. उनका यह भी कहना है कि हाल के दिनों में कुछ एंबुलेंस चालकों ने मरीज को रांची पहुंचाने के लिए 10 हजार रुपया तक लिया है जो सरासर गलत है.



कुछ लोग बने मददगार

हजारीबाग में मुर्दा कल्याण समिति भी अपनी एंबुलेंस चलाती है. यह सेवा संक्रमित मरीजों के शव को ढोने के लिए दी जाती है. समिति का कहना है कि मरीजों से सामान्य शुल्क लिया जाता है. वहीं, जो गरीब है उन्हें समिति निशुल्क सेवा भी प्रदान करती है. मुर्दा कल्याण समिति पिछले कई सालों से यह कार्य करती आ रही है. अब जिला प्रशासन ने संक्रमित मरीज के मौत के बाद शव का अंतिम संस्कार करने की जिम्मेदारी भी सौंपी है.

एंबुलेंस और ट्रांसपोर्ट टीम दुरुस्त करने के लिए टीम

हजारीबाग में एंबुलेंस और ट्रांसपोर्ट टीम दुरुस्त करने के लिए अलग टीम बनाई गई है. इसके नोडल पदाधिकारी एसडीओ अरविंद कुमार बनाए गए हैं. टीम में नोडल पदाधिकारी को सहयोग करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी रविशंकर और 108 एंबुलेंस सेवा के जिला प्रबंधक धर्मेंद्र कुमार को शामिल किया गया है. टीम सभी सरकारी एंबुलेंस और निजी एंबुलेंस चालकों के साथ समन्वय स्थापित कर आवश्यकतानुसार कोविड-19 से संक्रमित व्यक्तियों को एंबुलेंस उपलब्ध कराने और संक्रमित की मौत के बाद शव को अंतिम संस्कार करने के लिए कोनार पुल श्मशान घाट पहुंचाने की व्यवस्था का पर्यवेक्षण करेंगे.

छह सरकारी एंबुलेंस कर रहीं काम

हजारीबाग में 6 सरकारी एंबुलेंस हैं, जहां 108 नंबर पर फोन करके सेवा ली जा सकती है. यह सेवा निशुल्क है. जरूरत पड़ने पर हजारीबाग मेडिकल कॉलेज से उन्हें रांची रिम्स भी रेफर किया जा सकता है.

हजारीबाग: कोविड-19 के चलते परेशान तीमारदारों की निजी एंबुलेंस चालक मुसीबत बढ़ाने से बाज नहीं आ रहे हैं. ये तीमारदारों से मनमाना किराये की मांग कर रहे हैं. इससे बीमारों को अस्पताल ले जाने के लिए चिंतित तीमारदार परेशान हैं.

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एक तीमारदार ने बताया कि एंबुलेंस वाले बहुत अधिक पैसे की मांग करते हैं. गरीब के लिए पैसा देना मुश्किल होता है. ऐसे में खुद से ही मरीज पहुंचाने के लिए ऑटो या दूसरे साधनों का इस्तेमाल करते हैं. उनका कहना है कि ये वैसे ही मरीज के लिए है जिनकी स्थिति गंभीर नहीं है. लेकिन एंबुलेंस वाले की मनमानी बहुत ही अधिक देखने को मिल रही है. इधर निजी एंबुलेंस चालकों का कहना है कि उन लोगों के लिए मरीज को समय पर अस्पताल पहुंचाना चुनौती से कम नहीं है. जैसे ही उनको फोन आता है, तो वो फौरन मरीज के पास पहुंच जाते हैं.

ये भी पढ़ें- ये 7 अभ्यास और 2 प्राणायाम के जरिये शरीर में बढ़ा सकते हैं ऑक्सीजन, कोरोना से लड़ने में मिलेगी मदद

एंबुलेंस चालक वसूलते हैं मनमाना किराया

हजारीबाग निवासी सिटु कुमार ने बताया कि कई ऐसे एंबुलेंस चालक हैं जो मनमाना पैसा वसूल रहे हैं. सरकार और जिला प्रशासन को इन लोगों की नकेल कसनी चाहिए. उनका यह भी कहना है कि हाल के दिनों में कुछ एंबुलेंस चालकों ने मरीज को रांची पहुंचाने के लिए 10 हजार रुपया तक लिया है जो सरासर गलत है.



कुछ लोग बने मददगार

हजारीबाग में मुर्दा कल्याण समिति भी अपनी एंबुलेंस चलाती है. यह सेवा संक्रमित मरीजों के शव को ढोने के लिए दी जाती है. समिति का कहना है कि मरीजों से सामान्य शुल्क लिया जाता है. वहीं, जो गरीब है उन्हें समिति निशुल्क सेवा भी प्रदान करती है. मुर्दा कल्याण समिति पिछले कई सालों से यह कार्य करती आ रही है. अब जिला प्रशासन ने संक्रमित मरीज के मौत के बाद शव का अंतिम संस्कार करने की जिम्मेदारी भी सौंपी है.

एंबुलेंस और ट्रांसपोर्ट टीम दुरुस्त करने के लिए टीम

हजारीबाग में एंबुलेंस और ट्रांसपोर्ट टीम दुरुस्त करने के लिए अलग टीम बनाई गई है. इसके नोडल पदाधिकारी एसडीओ अरविंद कुमार बनाए गए हैं. टीम में नोडल पदाधिकारी को सहयोग करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी रविशंकर और 108 एंबुलेंस सेवा के जिला प्रबंधक धर्मेंद्र कुमार को शामिल किया गया है. टीम सभी सरकारी एंबुलेंस और निजी एंबुलेंस चालकों के साथ समन्वय स्थापित कर आवश्यकतानुसार कोविड-19 से संक्रमित व्यक्तियों को एंबुलेंस उपलब्ध कराने और संक्रमित की मौत के बाद शव को अंतिम संस्कार करने के लिए कोनार पुल श्मशान घाट पहुंचाने की व्यवस्था का पर्यवेक्षण करेंगे.

छह सरकारी एंबुलेंस कर रहीं काम

हजारीबाग में 6 सरकारी एंबुलेंस हैं, जहां 108 नंबर पर फोन करके सेवा ली जा सकती है. यह सेवा निशुल्क है. जरूरत पड़ने पर हजारीबाग मेडिकल कॉलेज से उन्हें रांची रिम्स भी रेफर किया जा सकता है.

Last Updated : May 10, 2021, 5:47 PM IST
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