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Mushroom Cultivation in Hazaribag: स्वरोजगार से महिलाएं हो रहीं आत्मनिर्भर

हर मां चाहती है कि उसके बच्चे को अच्छी शिक्षा मिले. लेकिन गरीबी और लाचारी मां के रास्ते में रोड़ा बन जाती है. ऐसे में हजारीबाग के सुदूरवर्ती मरहंद गांव की महिलाओं ने अपने घर-परिवार के भरण-पोषण के लिए Mushroom Cultivation से खुद को रोजगार से जोड़ लिया. इससे आज वो आत्मनिर्भर हो रही हैं.

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मशरूम की खेती
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Published : Nov 26, 2021, 7:45 PM IST

Updated : Nov 26, 2021, 8:14 PM IST

हजारीबागः जिला के सुदूरवर्ती मरहंद गांव की महिलाएं एकजुट होकर आमदनी को कैसे बढ़ाएं और अपने घर के बच्चों को अच्छा परवरिश दें इसे लेकर चर्चा कर रही हैं. सुदूरवर्ती कटकमदाग प्रखंड के मरहंद गांव की महिलाएं बेहद गरीब परिवार से आती हैं. जिनके घर में उनके परिवार वाले मजदूरी कर घर चलाते हैं. लेकिन अब महिलाएं भी चाहती हैं कि वो भी रोजगार से जुड़कर आमदनी करें. साथ ही अपने घर परिवार को चलाने में अपनी भी भागीदारी सुनिश्चित करें.

इसे भी पढ़ें- महिलाओं को बनाया जा रहा सशक्त, दिया जा रहा मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण

ऐसे में महिलाओं ने Mushroom Cultivation करने का विचार बनाया. महिलाएं कहती हैं कि घर में हम लोगों को बहुत ही काम रहता है. घर के लोग मजदूरी करने सुबह निकल जाते हैं. खाना बनाने बच्चों को तैयार करने में बहुत ही समय लग जाता है. इस कारण वो लोग काम नहीं कर पाते हैं. Mushroom Cultivation Training ली तो पता चला कि बहुत कम समय में वो इसे उपजा सकते हैं. सबने एक समूह बनाकर इसकी खेती शुरू की और आज 40 किलो के आसपास मशरूम वो बेच चुकी हैं. इससे जो पैसा आता है उसे आपस में बांटते हैं. उसी पैसों से घर भी चलता है. कई महिलाएं अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ा भी पा रही हैं. ये सारा पैसा अपने बच्चों के भविष्य को संवारने में खर्च कर रही हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
एक अन्य महिला बताती हैं कि सब्जी समेत अन्य फसल की खेती करने में बहुत समय लगता है. ये भी खतरा रहता है कि मौसम के कारण फसल बर्बाद ना हो जाए. इसके अलावा पूंजी के अभाव में फसल बर्बाद होने से वो आर्थिक तंगी के शिकार हो जाएंगे. लेकिन मशरूम की खेती में बर्बाद होने का खतरा बेहद कम होता है और इसकी मांग सालों भर रहती है. ऐसे भी KGVK और HDFC Bank के द्वारा परिवर्तन कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इसके जरिए महिलाओं को मदद मिली और वो इस व्यवसाय में जुड़ गईं.
mushroom cultivation women of Hazaribag became self-sufficient
लोकगीत गाती महिलाएं
महिलाओं ने अपने समूह का नाम Jyoti Sakhi Mandal रखा है. नाम के अनुरूप सखी मंडल आसपास के लोगों में ज्योति भी बिखेरने का काम कर रही हैं. गांव की महिलाएं एक जगह जुटती हैं तो अपना मन बहलाने के लिए गीत भी गाती हैं. यह वही गीत है जो विलुप्त होती जा रही है. महिलाओं का मन लगे इसलिए गीत गाती हैं और अपनी फसल को तैयार भी करती है. पहले तो कुछ महिलाओं ने शुरुआत की बाद में धीरे-धीरे इनके सदस्यों की संख्या बढ़ती चली गई और आज लगभग 12 महिलाएं मशरूम की खेती कर रही हैं.

इसे भी पढ़ें- आत्मनिर्भर होती बेटियांः बटन मशरूम का उत्पादन कर छात्राओं ने पेश की मिसाल

इसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि महिलाएं जैविक खाद का उपयोग मशरूम की खेती में कर रही है. उन्हें उत्पाद बेचने के लिए बाजार जाने की जरूरत नहीं होती है वो अपने और आसपास के गांव के लोगों को मशरूम बेचकर पैसा कमा रही हैं. उनका कहना है कि mushroom 200 rupees per kg तक दाम मिल जाता है.

mushroom cultivation women of Hazaribag became self-sufficient
मशरूम की खेती करती महिलाएं
प्रयास करने से सफलता मिलती है और समस्या का समाधान भी होता है. महिलाएं पहले गरीबी के कारण परेशान थीं. बच्चे को अच्छा शिक्षा भी नहीं दे पा रही थीं. लेकिन आज मशरूम की खेती ने उनके चेहरे में मुस्कान ला दिया है. ये अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए भी तैयार हैं. जरूरत है ऐसी महिलाओं को और भी अधिक प्रोत्साहित करने की जिससे वो अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सके.

हजारीबागः जिला के सुदूरवर्ती मरहंद गांव की महिलाएं एकजुट होकर आमदनी को कैसे बढ़ाएं और अपने घर के बच्चों को अच्छा परवरिश दें इसे लेकर चर्चा कर रही हैं. सुदूरवर्ती कटकमदाग प्रखंड के मरहंद गांव की महिलाएं बेहद गरीब परिवार से आती हैं. जिनके घर में उनके परिवार वाले मजदूरी कर घर चलाते हैं. लेकिन अब महिलाएं भी चाहती हैं कि वो भी रोजगार से जुड़कर आमदनी करें. साथ ही अपने घर परिवार को चलाने में अपनी भी भागीदारी सुनिश्चित करें.

इसे भी पढ़ें- महिलाओं को बनाया जा रहा सशक्त, दिया जा रहा मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण

ऐसे में महिलाओं ने Mushroom Cultivation करने का विचार बनाया. महिलाएं कहती हैं कि घर में हम लोगों को बहुत ही काम रहता है. घर के लोग मजदूरी करने सुबह निकल जाते हैं. खाना बनाने बच्चों को तैयार करने में बहुत ही समय लग जाता है. इस कारण वो लोग काम नहीं कर पाते हैं. Mushroom Cultivation Training ली तो पता चला कि बहुत कम समय में वो इसे उपजा सकते हैं. सबने एक समूह बनाकर इसकी खेती शुरू की और आज 40 किलो के आसपास मशरूम वो बेच चुकी हैं. इससे जो पैसा आता है उसे आपस में बांटते हैं. उसी पैसों से घर भी चलता है. कई महिलाएं अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ा भी पा रही हैं. ये सारा पैसा अपने बच्चों के भविष्य को संवारने में खर्च कर रही हैं.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
एक अन्य महिला बताती हैं कि सब्जी समेत अन्य फसल की खेती करने में बहुत समय लगता है. ये भी खतरा रहता है कि मौसम के कारण फसल बर्बाद ना हो जाए. इसके अलावा पूंजी के अभाव में फसल बर्बाद होने से वो आर्थिक तंगी के शिकार हो जाएंगे. लेकिन मशरूम की खेती में बर्बाद होने का खतरा बेहद कम होता है और इसकी मांग सालों भर रहती है. ऐसे भी KGVK और HDFC Bank के द्वारा परिवर्तन कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इसके जरिए महिलाओं को मदद मिली और वो इस व्यवसाय में जुड़ गईं.
mushroom cultivation women of Hazaribag became self-sufficient
लोकगीत गाती महिलाएं
महिलाओं ने अपने समूह का नाम Jyoti Sakhi Mandal रखा है. नाम के अनुरूप सखी मंडल आसपास के लोगों में ज्योति भी बिखेरने का काम कर रही हैं. गांव की महिलाएं एक जगह जुटती हैं तो अपना मन बहलाने के लिए गीत भी गाती हैं. यह वही गीत है जो विलुप्त होती जा रही है. महिलाओं का मन लगे इसलिए गीत गाती हैं और अपनी फसल को तैयार भी करती है. पहले तो कुछ महिलाओं ने शुरुआत की बाद में धीरे-धीरे इनके सदस्यों की संख्या बढ़ती चली गई और आज लगभग 12 महिलाएं मशरूम की खेती कर रही हैं.

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इसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि महिलाएं जैविक खाद का उपयोग मशरूम की खेती में कर रही है. उन्हें उत्पाद बेचने के लिए बाजार जाने की जरूरत नहीं होती है वो अपने और आसपास के गांव के लोगों को मशरूम बेचकर पैसा कमा रही हैं. उनका कहना है कि mushroom 200 rupees per kg तक दाम मिल जाता है.

mushroom cultivation women of Hazaribag became self-sufficient
मशरूम की खेती करती महिलाएं
प्रयास करने से सफलता मिलती है और समस्या का समाधान भी होता है. महिलाएं पहले गरीबी के कारण परेशान थीं. बच्चे को अच्छा शिक्षा भी नहीं दे पा रही थीं. लेकिन आज मशरूम की खेती ने उनके चेहरे में मुस्कान ला दिया है. ये अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए भी तैयार हैं. जरूरत है ऐसी महिलाओं को और भी अधिक प्रोत्साहित करने की जिससे वो अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सके.
Last Updated : Nov 26, 2021, 8:14 PM IST
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