हजारीबाग: उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के मुख्यालय हजारीबाग जिले का प्रमुख सब्जी और अनाज उत्पादक प्रखंड बड़कागांव की पहचान वहां की गुड़ से भी है. यहां का गुड़ राज्य के साथ-साथ देश के अन्य स्थानों तक भी पहुंचता है. यहां के गुड़ की खुशबू और बेहतरीन स्वाद के कारण दूर-दूर से लोग और व्यापारी गुड़ खरीदने यहां पहुंचते हैं. आज आपको हम दिखाते हैं कैसे यह गुड़ बनता है.
कैसे बनाते हैं गुड़
गुड़ जिसे गांव में आज भी मीठा कहा जाता है, लेकिन यह बनता कैसे है और हमारे बाजारों तक कैसे पहुंचता है यह सभी को जानने की जिज्ञासा रही है. गुड़ का निर्माण गांव के ग्रामीण अपने हाथों से करते हैं. जिसके लिए उन्हें कड़ी मेहनत भी करनी पड़ती है. किसान पहले खेतों में गन्ना की खेती करते हैं और जाड़े के वक्त गन्ने की कटाई होती है. कटाई करने के बाद किसान उसे अपने घर या फिर खेत में ही गुड़ बनाने का काम करते हैं. पहले इसके रस को मशीन से निकाला जाता है और फिर बड़े कढ़ाई में उसे गर्म किया जाता है. बड़े चूल्हे में भाट बनाने के बाद अन्य प्रक्रियाओं से गुजरते हुए यहां ढेला गुड़ का निर्माण होता है. इसे करने के लिए किसानों को काफी मेहनत भी करनी पड़ती है.
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'गुड़ निर्माण में किसानों को सब्सिडी मिलनी चाहिए'
क्षेत्र का कौलसारन गुड़ के लिए कुटीर उद्योग के रूप में भी चर्चित है. किसान अपनी मेहनत से यहां गन्ने से गुड़ तैयार करते हैं. हालांकि उन्हें सरकारी लाभ नहीं मिल रहा है. किसी भी तरह की सब्सिडी नहीं मिलने के कारण किसानों में निराशा भी है. लेकिन अपनी मेहनत से गन्ने की खेती करने में जुटे हुए हैं. किसानों को इस बार नई सरकार से उम्मीद भी है कि वह किसानों के लिए कुछ वैसा करेंगे कि यह गुड़ का उद्योग और अधिक बढ़े और किसानों को मदद मिल सके. किसानों का मानना है कि यदि सरकार सहयोग करें तो उत्पादन में बड़कागांव पूरे भारत में पहला स्थान पा सकता है. किसानों का मानना है कि गुड़ निर्माण में किसानों को सब्सिडी मिलनी चाहिए.
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गुड़ की मीठी स्वाद बड़कागांव की पहचान
बड़कागांव हाल के दिनों में कोयला उत्पादन के लिए पूरे देश में जाना जा रहा है. लेकिन गुड़ की मीठी स्वाद बड़कागांव की पहचान है. जरूरत है इस लघु उद्योग को संरक्षित और प्रोत्साहित करने की, ताकि किसानों को लाभ मिल सके और वह अपना जीवन स्तर ऊंचा कर सकें.