हजारीबाग: दिव्यांग होने का दर्द वही जान सकता है जिसके हाथ-पैर नहीं हो. इनके चेहरे में मुस्कुराहट लाने की कोशिश लायंस क्लब ने की है. दीपावली के अवसर के पर इन्हें कृत्रिम हाथ-पैर तोहफे के रूप में दिया गया ताकि वे चल सकें और कुछ काम कर सकें. संस्थान ने लगभग 100 दिव्यांग लोगों को कृत्रिम हाथ और पैर दिए. कार्यक्रम का आयोजन विवेकानंद स्कूल सभागार में किया गया. इस अवसर पर लगभग 100 दिव्यांग को कृत्रिम अंग दिया गया. वहीं 100 से अधिक वैसे लोग जो सुन नहीं पाते थे उन्हें सुनने की मशीन दी गई. लायंस क्लब ऑफ हजारीबाग की अध्यक्षा सुधा वर्मा ने कहा कि जब दिव्यांगों को देखती थी कि वह घर में रहते हैं और चाह कर भी बाहर नहीं निकल पाते हैं. ऐसे में उन्होंने यह योजना बनाई और दिव्यांगों को कृत्रिम हाथ पैर दिए.
शिविर में यह बात औसतन देखने को मिली कि जिन व्यक्तियों के हाथ पैर नहीं हैं इसके पीछे का कारण दुर्घटना है. लापरवाही किसी की भी हो लेकिन जो दिव्यांग हुए उनका जीवन बड़ा ही कठिन हो गया है. ऐसे में एक दिव्यांग ने बताया कि बचपन में ही सड़क दुर्घटना में उसकी पैर चली गई थी. इसके बाद बहुत ही परिश्रम करके उन्होंने खुद को स्थापित किया. एक स्कूली छात्रा ने बताया कि स्कूल जाने वक्त एक ट्रक ने उसका पैर कुचल दिया था. जिससे उसका पैर खराब हो गया और पैर काटना पड़ा.
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वहीं, कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाली शिक्षका का कहना है कि जब दिव्यांगों को नजदीक से देखा तो मन बेहद दुखी हो गया. कैसे लोग अपना जीवन यापन कर रहे हैं. यह चुनौती से कम नहीं है. जो व्यक्ति चल नहीं पाते थे जिनका एक हाथ नहीं था उन्हें कृत्रिम अंग दिया गया है. यह सही उपहार है. लोगों को भी कोशिश करनी चाहिए वैसे जरूरतमंदों की मदद करने की जो निशक्त हैं. वहीं झारखंड प्रशासनिक सेवा से सेवानिवृत्त पदाधिकारी भी बताते हैं कि लायंस क्लब के द्वारा जो काम किया गया है यह काबिले तारीफ है.