हजारीबाग: महापर्व छठ (Chhath Puja) पूरे धूमधाम से मनाया जा रहा है. घाट पर आज अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर सुख शांति वैभव की कामना छठ व्रतियों ने की. हजारीबाग में भी छठ पर्व को लेकर उत्साह चरम सीमा पर है. इस बार संक्रमण के कारण अधिकांश लोगों ने घर पर ही अर्घ्य देकर भगवान भास्कर की उपासना की.
पुराणों में बताया गया है कि भगवान सूर्य की पूजा करने और हर रोज अर्घ्य देने से ना केवल स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है बल्कि उनको प्रणाम करने से सभी देवताओं को भी प्रणाम हो जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि कार्तिक के पवित्र महीने में सूर्य को अर्घ्य देने से पूरे साल सूर्योपासना का फल प्राप्त होता है. इस महीने की षष्ठी तिथि को अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य देने से सुख-संपदा की भी प्राप्ति होती है. हजारीबाग में भी अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य दिया गया. लेकिन इस बार घर पर ही घाट बना कर अर्घ देने वालों की संख्या में वृद्धि देखी गई.
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कोरोना संक्रमण के कारण लोग सामाजिक दूरी भी बना रहे हैं लेकिन पूजा भी नियम से कर रहे हैं. ऐसे में घर पर ही लोगों ने घाट बना कर पूजा करने पर विशेष रूप से जोर दिया. कई लोगों ने घर पर कृत्रिम जलाश्य बनाकर गंगाजल डालकर सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया. तो कई लोगों ने बालू से घाट बनाया और फिर सूर्य भगवान कि उपासना की. लोगों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के कारण इस बार उन्होंने घर में ही अर्घ्य दिया है. वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि उन लोग के पूर्वज घर पर ही अर्घ्य देते आए हैं और वे उस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं.
सरकार ने आदेश भी निर्गत किया कि लोग जलाशय में जाकर अर्घ्य दे सकते हैं. लेकिन सावधानी बरतने के लिए भी अपील की. जिस तरह से हजारीबाग में घर पर अर्घ्य देने वालो कि संख्या में वृद्धि हुई है कोरोना काल में इसे अच्छी परंपरा माना जा सकता है. क्योंकि छठ महापर्व में नियम और शुद्धता महत्वपूर्ण होता है. घर पर अर्घ देने से नियम का पालन भी अच्छे तरीके से भी होता है.