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यहां बच्चे खतरों से खेलते हुए जाते हैं स्कूल, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

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Published : Jul 13, 2019, 10:47 AM IST

हजारीबाग में बच्चे जान जोखिम में डालकर स्कूल जाने को मजबूर हैं. बरसात के दिनों में धोबिया पहरी पूरी तरह पानी से भर जाती है. यहां पानी का बहाव इतना तेज होता है कि सड़क पार करना किसी खतरे से कम नहीं है. ऐसे में स्कूली बच्चों को मजबूरन अपनी जान जोखिम में डालकर यह सड़क पार करनी पड़ती है.

सड़क पार कर स्कूल जाते बच्चे

हजारीबाग: जिले के बरही विधानसभा क्षेत्र में सरकारी सिस्टम के सुस्त होने के कारण सैकड़ों स्कूली बच्चों को जान का खतरा उठाना पड़ रहा है. बरसात के दिनों में धोबिया पहरी मार्ग में बरसाती पानी का बहाव बढ़ जाता है. जिससे गांव के लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. वहीं, बच्चे भी स्कूल जाने के लिए इस खतरे को उठाने को मजबूर हैं.

वीडियो देखें

एक साल पहले होना था पुलिया का निर्माण

जानकारी के अनुसार, एक साल पहले प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत धोबिया पहरी में पक्की सड़क बननी थी. इस सड़क में एक पुलिया भी बननी थी. लेकिन तकनीकी कमी के कारण वह नहीं बन पाई.

वहीं, पुलिया नहीं बनने के कारण बरसात के समय आधे दर्जन से अधिक गांव का संपर्क मुख्य सड़क से कट जाता है. जिसकी वजह से गांव वालों को मुख्य मार्ग आने के लिए लगभग 12 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. अगर यह सड़क बन जाती तो यह दूरी सिर्फ 2 किलोमीटर में पूरी हो जाती.

ग्रामीणों ने की थी 3 पिलर वाले पुल बनाने की मांग

बरसात के दिनों में पानी का बहाव तेज होने के कारण ग्रामीणों ने 3 पिलर वाले पुल के निर्माण की मांग की थी. लेकिन टेंडर में दो पिलर वाला पुल बनाने की बात कही गई थी, जिस वजह से संवेदक ने यहां काम नहीं किया. सरकार ने भी इस पर दोबारा गौर करना जरूरी नहीं समझा.

बरसात के दिनों में यहां पूरी तरह से पानी भर जाता है और बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर स्कूल जाने को मजबूर हैं. लोगों को उम्मीद है कि सरकार इसपर जल्द ही कार्रवाई करेगी ताकि बच्चों को खतरों से खेल कर स्कूल ना जाने पड़े.

हजारीबाग: जिले के बरही विधानसभा क्षेत्र में सरकारी सिस्टम के सुस्त होने के कारण सैकड़ों स्कूली बच्चों को जान का खतरा उठाना पड़ रहा है. बरसात के दिनों में धोबिया पहरी मार्ग में बरसाती पानी का बहाव बढ़ जाता है. जिससे गांव के लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. वहीं, बच्चे भी स्कूल जाने के लिए इस खतरे को उठाने को मजबूर हैं.

वीडियो देखें

एक साल पहले होना था पुलिया का निर्माण

जानकारी के अनुसार, एक साल पहले प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत धोबिया पहरी में पक्की सड़क बननी थी. इस सड़क में एक पुलिया भी बननी थी. लेकिन तकनीकी कमी के कारण वह नहीं बन पाई.

वहीं, पुलिया नहीं बनने के कारण बरसात के समय आधे दर्जन से अधिक गांव का संपर्क मुख्य सड़क से कट जाता है. जिसकी वजह से गांव वालों को मुख्य मार्ग आने के लिए लगभग 12 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. अगर यह सड़क बन जाती तो यह दूरी सिर्फ 2 किलोमीटर में पूरी हो जाती.

ग्रामीणों ने की थी 3 पिलर वाले पुल बनाने की मांग

बरसात के दिनों में पानी का बहाव तेज होने के कारण ग्रामीणों ने 3 पिलर वाले पुल के निर्माण की मांग की थी. लेकिन टेंडर में दो पिलर वाला पुल बनाने की बात कही गई थी, जिस वजह से संवेदक ने यहां काम नहीं किया. सरकार ने भी इस पर दोबारा गौर करना जरूरी नहीं समझा.

बरसात के दिनों में यहां पूरी तरह से पानी भर जाता है और बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर स्कूल जाने को मजबूर हैं. लोगों को उम्मीद है कि सरकार इसपर जल्द ही कार्रवाई करेगी ताकि बच्चों को खतरों से खेल कर स्कूल ना जाने पड़े.

Intro:हजारीबाग के बरही विधानसभा क्षेत्र में सरकारी सिस्टम के कारण सैकड़ों बच्चे जान जोखिम में डालकर स्कूल जाने को विवश है ।आलम तो यह है कि बरसात के समय आधे दर्जन से अधिक गांव का संपर्क मुख्य सड़क से कट जाता है और लोग विवश होकर सरकार और प्रशासन की ओर टकटकी आंख से देखते रहते हैं कि कभी ना कभी तो उनका गांव में भी पुल बनेगा और वे भी बरसात के समय गांव से बाहर निकल पाएंगे।Body:प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 1 साल पहले बरही के धोबिया पहरी मे पक्की सड़क बननी थी। 3 किलोमीटर लंबी इस सड़क में एक पुलिया भी बनना था ।इसे बनाने की जिम्मेवारी संवेदक सुनील कुमार चौधरी को दी गई थी। लेकिन तकनीकी कारण वश पुलिया नहीं बन पाया और आज सैकड़ों बच्चे जान जोखिम में डालकर स्कूल जाने को विवश है ।

पुलिया नहीं बनने के कारण बेहरा बाद ,भंडारों, तेतरिया पुरहरा आदि समेत कई गांव मुख्य मार्ग से कट गए हैं ।बरसात के वक्त मुख्य मार्ग आने के लिए दूसरे रास्ते से होकर गांव वालों को आना पड़ता है ।जिसके लिए 12 किलोमीटर दूरी तय करनी होती है ।अगर बन जाता तो यह दूरी 2 किलोमीटर में पूरी हो जाती है। पूल के दूसरी ओर एक निजी विद्यालय भी है ।जहां लगभग 200 बच्चे पढ़ते हैं। लेकिन बच्चों को बरसात के समय जान जोखिम में डालकर स्कूल आना होता है । बरसात के समय पुलिया में बरसाती पानी का बहाव बढ़ जाता है। जिसके कारण वहां कई बार घटना भी घटी है। ऐसे में छात्र अपना किताब कॉपी माथे पर रख कर पानी के बहाव को पार करने को लेकर विवश है ।

इस पुलिया में पानी का बहाव बरसात के दिनों में काफी बढ़ जाता है। इस कारण ग्रामीणों ने मांग की थी 3 पिलर वाला पुल यहां बनाया जाए क्योंकि बरसात के दिनों में पानी का बहाव तेज हो जाता है ।लेकिन टेंडर में दो पिलर वाला ही फूल बनाने की बात कही गई थी। इस कारण संवेदक ने यहां काम नहीं किया।लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण अब तक पुल का निर्माण नहीं हो पाया और बच्चे विवश है जान जोखिम में डालकर स्कूल जाने को।Conclusion:जिस तरह बच्चे जान जोखिम में डालकर स्कूल जा रहे हैं यह गंभीर मामला है जरूरत है सरकार को त्वरित कार्रवाई करने की ताकि बड़ी घटना ना घटे
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