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पुलिस की तीसरी आंख हुई खराब, क्राइम कंट्रोल करने में हो रही परेशानी - हजारीबाग में क्राइम

CCTV कैमरा हमेशा की अपराधियों को पकड़े में सहायक रहे हैं. हजारीबाग में भी पांच साल पहले क्राइम कंट्रोल करने की मकसद से कई सीसीटीवी कैमरे लगाए गए. लेकिन आज आलम ये है कि इनमें से ज्यादातर कैमरे खराब हो चुके हैं.

cctv camera in hazaribag
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Published : Oct 19, 2021, 4:55 PM IST

Updated : Oct 19, 2021, 5:13 PM IST

हजारीबाग: किसी भी शहर की निगरानी में CCTV कैमरा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इससे क्राइम कंट्रोल करने में काफी सहायता मिलती है. हजारीबाग को भी अपराध मुक्त करने के लिए भी पुलिस सीसीटीवी कैमरे का उपयोग करती है. शहर में 270 से अधिक जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. जिसकी मॉनिटर की भी की जाती है. लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगा कि इनमें से लगभग 250 सीसीटीवी कैमरों ने काम करना बंद कर दिया है.

सीसीटीवी कैमरों को पुलिस की तीसरी आंख भी कहते हैं. लेकिन हजारीबाग में पुलिस की तीसरी आंख खराब हो चुकी है. यानि यहां ज्यादातर सीसीटीवी कैमरे खराब हो चुके हैं. अगर संख्या की बात की जाए तो शहर में 270 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. जिनमें मात्र 20 ही काम कर रहे हैं. ऐसे में पुलिस के लिए अपराध के साथ यातायात नियंत्रण करना भी चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है. त्योहारों का सीजन शुरू हो गया है. इन दिनों में बाजार में लोगों की आवाजाही बढ़ जाती है. अपराधी भी इस दौरान ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं. ऐसे में पुलिस के सामने मुश्किल स्थिति सामने आ सकती है.

देखें वीडियो

ये भी पढ़ें: अचानक बढ़ा दी गई हजारीबाग में सुरक्षा व्यवस्था, सड़कों पर रैफ का फ्लैग मार्च

लंबे समय से सीसीटीवी खराब होने के कारण इसका फायदा अपराधी उठा रहे हैं. दिनदहाड़े वारदात को अंजाम दे रहे हैं. चेन स्निचर खुलेआम स्नेचिंग की घटना को अंजाम दे रहे हैं. महिलाएं घूमने फिरने में भी असुरक्षित महसूस कर रहीं हैं. घटना के जो भी फुटेज पुलिस को चाहिए वह प्राइवेट प्रतिष्ठान से ही मिल रहे हैं. अधिकतर कैमरे रखरखाव के अभाव में जर्जर हो गए. सीसीटीवी कैमरा 5 वर्ष पहले लगाए गए थे. हजारीबाग एसपी भी स्वीकार करते हैं कि अधिकतर सीसीटीवी प्राइवेट वैनडरों के द्वारा लगाए गए थे अब तकनीकी कारणों से बंद पड़े हैं. अब एक कमेटी बनाई गई है ताकि इस समस्या को दूर किया जा सके.


सदर विधायक मनीष जायसवाल ने शहर को सीसीटीवी कैमरा से लैस किया गया था. उन्होंने अपने विधायक फंड से 20 लाख रुपए सीसीटीवी लगाने के लिए जिला प्रशासन को दिए थे. उसी लागत से शहर में सीसीटीवी कैमरे लगाए भी गए थे. बाद में भारत संचार निगम लिमिटेड ने शहर के विभिन्न चौक चौराहों पर लगभग 170 कैमरे लगाए. जिसका करार 1 वर्ष के लिए हुआ था. कैमरे की लागत और मरम्मत के लिए जिला पुलिस प्रशासन को 1 साल के लिए एक करोड़ 20 लाख रुपए में करार किया गया था. जिसमें अभी भी लगभग ₹50 बकाया है. इसके अलावा बीएसएनएल ने बैंडविथ डाटा आकनेक्शन प्रोवाइड करवाया था उसके भी एक करोड़ ज्यादा बकाया है.

एनुअल मैंटेनेंस सर्विस रिलीज नहीं होने की वजह से 'तीसरी आंख' अंधी हो चुकी है. वर्तमान समय में जो सीसीटीवी चल रहे हैं वह मुफ्त में चलाए जा रहे हैं. आलम यह कि कहीं कैमरे में बैटरी नहीं है तो किसी में बिजली का कनेक्शन नहीं है, तो किसी का लेंस ही टूट चुका है. हजारीबाग एसपी भी मानते हैं कि CCTV कैमरे पुलिस के लिए बेहद जरूरी है. क्राइम कंट्रोल के अलावा विधि व्यवस्था ट्रैफिक में भी सीसीटीवी कैमरा का उपयोग होता है. अगर सीसीटीवी कैमरे लगे रहते हैं तो छोटे-छोटे अपराधी भी अपराध करने से डरते हैं.

शहर के लगभग 500 जगह सीसीटीवी कैमरा लगाने के लिए चिन्हित किया गया है. कैमरों के लिए 5 करोड़ की लागत से लगने वाले कैमरे की खरीदारी और लगाने के लिए योजना भी तैयार की जा रही है. लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण कैमरे की खरीदारी पर संकट मंडरा रहा है. विभाग की ओर से 60 एएनपीआर कैमरे, 92 वेरी फोकल ,467 कैमरे और 54 पीजीजेड कैमरों की आवश्यकता है.

हजारीबाग: किसी भी शहर की निगरानी में CCTV कैमरा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इससे क्राइम कंट्रोल करने में काफी सहायता मिलती है. हजारीबाग को भी अपराध मुक्त करने के लिए भी पुलिस सीसीटीवी कैमरे का उपयोग करती है. शहर में 270 से अधिक जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. जिसकी मॉनिटर की भी की जाती है. लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगा कि इनमें से लगभग 250 सीसीटीवी कैमरों ने काम करना बंद कर दिया है.

सीसीटीवी कैमरों को पुलिस की तीसरी आंख भी कहते हैं. लेकिन हजारीबाग में पुलिस की तीसरी आंख खराब हो चुकी है. यानि यहां ज्यादातर सीसीटीवी कैमरे खराब हो चुके हैं. अगर संख्या की बात की जाए तो शहर में 270 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. जिनमें मात्र 20 ही काम कर रहे हैं. ऐसे में पुलिस के लिए अपराध के साथ यातायात नियंत्रण करना भी चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है. त्योहारों का सीजन शुरू हो गया है. इन दिनों में बाजार में लोगों की आवाजाही बढ़ जाती है. अपराधी भी इस दौरान ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं. ऐसे में पुलिस के सामने मुश्किल स्थिति सामने आ सकती है.

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लंबे समय से सीसीटीवी खराब होने के कारण इसका फायदा अपराधी उठा रहे हैं. दिनदहाड़े वारदात को अंजाम दे रहे हैं. चेन स्निचर खुलेआम स्नेचिंग की घटना को अंजाम दे रहे हैं. महिलाएं घूमने फिरने में भी असुरक्षित महसूस कर रहीं हैं. घटना के जो भी फुटेज पुलिस को चाहिए वह प्राइवेट प्रतिष्ठान से ही मिल रहे हैं. अधिकतर कैमरे रखरखाव के अभाव में जर्जर हो गए. सीसीटीवी कैमरा 5 वर्ष पहले लगाए गए थे. हजारीबाग एसपी भी स्वीकार करते हैं कि अधिकतर सीसीटीवी प्राइवेट वैनडरों के द्वारा लगाए गए थे अब तकनीकी कारणों से बंद पड़े हैं. अब एक कमेटी बनाई गई है ताकि इस समस्या को दूर किया जा सके.


सदर विधायक मनीष जायसवाल ने शहर को सीसीटीवी कैमरा से लैस किया गया था. उन्होंने अपने विधायक फंड से 20 लाख रुपए सीसीटीवी लगाने के लिए जिला प्रशासन को दिए थे. उसी लागत से शहर में सीसीटीवी कैमरे लगाए भी गए थे. बाद में भारत संचार निगम लिमिटेड ने शहर के विभिन्न चौक चौराहों पर लगभग 170 कैमरे लगाए. जिसका करार 1 वर्ष के लिए हुआ था. कैमरे की लागत और मरम्मत के लिए जिला पुलिस प्रशासन को 1 साल के लिए एक करोड़ 20 लाख रुपए में करार किया गया था. जिसमें अभी भी लगभग ₹50 बकाया है. इसके अलावा बीएसएनएल ने बैंडविथ डाटा आकनेक्शन प्रोवाइड करवाया था उसके भी एक करोड़ ज्यादा बकाया है.

एनुअल मैंटेनेंस सर्विस रिलीज नहीं होने की वजह से 'तीसरी आंख' अंधी हो चुकी है. वर्तमान समय में जो सीसीटीवी चल रहे हैं वह मुफ्त में चलाए जा रहे हैं. आलम यह कि कहीं कैमरे में बैटरी नहीं है तो किसी में बिजली का कनेक्शन नहीं है, तो किसी का लेंस ही टूट चुका है. हजारीबाग एसपी भी मानते हैं कि CCTV कैमरे पुलिस के लिए बेहद जरूरी है. क्राइम कंट्रोल के अलावा विधि व्यवस्था ट्रैफिक में भी सीसीटीवी कैमरा का उपयोग होता है. अगर सीसीटीवी कैमरे लगे रहते हैं तो छोटे-छोटे अपराधी भी अपराध करने से डरते हैं.

शहर के लगभग 500 जगह सीसीटीवी कैमरा लगाने के लिए चिन्हित किया गया है. कैमरों के लिए 5 करोड़ की लागत से लगने वाले कैमरे की खरीदारी और लगाने के लिए योजना भी तैयार की जा रही है. लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण कैमरे की खरीदारी पर संकट मंडरा रहा है. विभाग की ओर से 60 एएनपीआर कैमरे, 92 वेरी फोकल ,467 कैमरे और 54 पीजीजेड कैमरों की आवश्यकता है.

Last Updated : Oct 19, 2021, 5:13 PM IST
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