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साल 2005 की सरकारी नौकरी की बहाली में बड़ा खुलासा, कम नंबर से पास हुए अभ्यर्थियों को मिली नौकरी

हजारीबाग में सरकारी नौकरी की बहाली में लापरवाही बरतने का मामला सामने आया है. जिसमें साल 2005 में पास हुए अभ्यर्थियों के साथ नाइंसाफी की गई थी. सूचना अधिकार के तहत अभ्यर्थियों ने इस बात का खुलासा किया है.

हजारीबाग समाहरणालय
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Published : Aug 31, 2019, 11:36 PM IST

हजारीबाग: जिले में वर्ष 2005 में समारणालय के द्वारा चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी की नियुक्ति में भारी अनियमितता का मामला सामने आया है. दरअसल, समाहरणालय में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों के लिए बहाली निकाली गई थी. जिसमें लापरवाही बरतते हुए विभाग ने अधिक नंबर वाले अभ्यर्थियों को छाड़कर कम नंबर वाले लोगों को नियुक्त कर दिया था.

देखें पूरी खबर

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17 सालों के बाद इस बात का खुलासा हुआ है, जिसमें नियम को ताक में रखकर अच्छे नंबर से पास हुए अभ्यर्थियों को फेल दिखाया गया. इस बात का खुलासा सूचना के अधिकार में मांगी गई जानकारी के जरिए हुई है.

बता दें कि वर्ष 2002 में हजारीबाग समाहरणालय के द्वारा चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी की नियुक्ति हेतु विज्ञापन निकाला गया था. जिसमें लिखित परीक्षा 2005 में हुई और साइकिल चालन जांच परीक्षा 2005 में संपन्न हुई. जिसमें लिखित परीक्षा में सम्मिलित हुए परीक्षार्थियों की उत्तर पुस्तिका उपायुक्त के निगरानी में जांच की गई थी. जिसमें सफल अभ्यर्थियों का रिजल्ट 2005 में ही प्रकाशित कर दिया गया था.

हाईकोर्ट से न्याय की गुहार

मामले में अभ्यर्थी संजय कुमार विश्वकर्मा ने सूचना अधिकार के तहत विभाग से मांग की थी कि सफल अभ्यर्थियों के नाम और उनके अंक दिया जाए. विभाग से मिली लिस्ट में पाया गया कि सैकड़ों ऐसे अभ्यर्थी हैं कम अंक पाकर भी वर्तमान समय में सेवा दे रहे हैं. जिसके बाद संजय कुमार अब न्याय की गुहार लगा रहे हैं. इसके लिए उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है. उनका कहना है कि इस गड़बड़ी को लेकर वह पीएमओ को भी इसकी जानकारी देंगे.

ये भी पढ़ें-जमशेदपुर: लूट गिरोह ने ट्रक चालक की गोली मारकर की हत्या, खलासी एमजीएम अस्पताल में भर्ती

उपायुक्त राहुल पुरवार के कार्यकाल का है मामला

सरकारी नौकरी में अनियमितता का मामला हजारीबाग उपायुक्त राहुल पुरवार के कार्यकाल का है. जिसमें जिला प्रशासन ने 676 सफल अभ्यार्थियों की सूची तैयार की थी. पहली सूची में 450, दूसरी सूची में 145 और तीसरी सूची में 81 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया था. जिसमें अशोक कुमार पांडे ने 144 अंक प्राप्त किया था. जबकि उन्हें असफल घोषित कर दिया गया था और उनसे कम अंक लाने वाले को नौकरी मिली थी. इस बात को लेकर पीड़ितों के द्वारा पत्राचार के माध्यम से शिकायत दर्ज की गई थी और जब न्याय नहीं मिला तो उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी प्राप्त किया है.

हजारीबाग: जिले में वर्ष 2005 में समारणालय के द्वारा चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी की नियुक्ति में भारी अनियमितता का मामला सामने आया है. दरअसल, समाहरणालय में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों के लिए बहाली निकाली गई थी. जिसमें लापरवाही बरतते हुए विभाग ने अधिक नंबर वाले अभ्यर्थियों को छाड़कर कम नंबर वाले लोगों को नियुक्त कर दिया था.

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17 सालों के बाद इस बात का खुलासा हुआ है, जिसमें नियम को ताक में रखकर अच्छे नंबर से पास हुए अभ्यर्थियों को फेल दिखाया गया. इस बात का खुलासा सूचना के अधिकार में मांगी गई जानकारी के जरिए हुई है.

बता दें कि वर्ष 2002 में हजारीबाग समाहरणालय के द्वारा चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी की नियुक्ति हेतु विज्ञापन निकाला गया था. जिसमें लिखित परीक्षा 2005 में हुई और साइकिल चालन जांच परीक्षा 2005 में संपन्न हुई. जिसमें लिखित परीक्षा में सम्मिलित हुए परीक्षार्थियों की उत्तर पुस्तिका उपायुक्त के निगरानी में जांच की गई थी. जिसमें सफल अभ्यर्थियों का रिजल्ट 2005 में ही प्रकाशित कर दिया गया था.

हाईकोर्ट से न्याय की गुहार

मामले में अभ्यर्थी संजय कुमार विश्वकर्मा ने सूचना अधिकार के तहत विभाग से मांग की थी कि सफल अभ्यर्थियों के नाम और उनके अंक दिया जाए. विभाग से मिली लिस्ट में पाया गया कि सैकड़ों ऐसे अभ्यर्थी हैं कम अंक पाकर भी वर्तमान समय में सेवा दे रहे हैं. जिसके बाद संजय कुमार अब न्याय की गुहार लगा रहे हैं. इसके लिए उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है. उनका कहना है कि इस गड़बड़ी को लेकर वह पीएमओ को भी इसकी जानकारी देंगे.

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उपायुक्त राहुल पुरवार के कार्यकाल का है मामला

सरकारी नौकरी में अनियमितता का मामला हजारीबाग उपायुक्त राहुल पुरवार के कार्यकाल का है. जिसमें जिला प्रशासन ने 676 सफल अभ्यार्थियों की सूची तैयार की थी. पहली सूची में 450, दूसरी सूची में 145 और तीसरी सूची में 81 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया था. जिसमें अशोक कुमार पांडे ने 144 अंक प्राप्त किया था. जबकि उन्हें असफल घोषित कर दिया गया था और उनसे कम अंक लाने वाले को नौकरी मिली थी. इस बात को लेकर पीड़ितों के द्वारा पत्राचार के माध्यम से शिकायत दर्ज की गई थी और जब न्याय नहीं मिला तो उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी प्राप्त किया है.

Intro:हजारीबाग में वर्ष 2005 में समारणालय के द्वारा चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी की नियुक्ति में भारी अनियमितता का मामला प्रकाश में आया है ।17 सालों के बाद इस बात का खुलासा हुआ है कि समाहरणालय में चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों के लिए बाहर निकाली गई थी। लेकिन नियम को ताक में रखकर कम नंबर लाए अभ्यर्थियों को नौकरी मिली और जो अभ्यार्थी अधिक नंबर लाए थे उन्हें फेल दिखाया गया। इस बात का खुलासा सूचना के अधिकार में मांगे गए जानकारी के जरिए हुई है।


Body:वर्ष 2002 में हजारीबाग समाहरणालय के द्वारा चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी की नियुक्ति हेतु विज्ञापन निकाला गया था। जिसमें लिखित परीक्षा 2005 में हुई और साइकिल चालन जांच परीक्षा भी 2005 में संपन्न हुई। जिसमें लिखित परीक्षा में सम्मिलित हुए परीक्षार्थियों की उत्तर पुस्तिका उपायुक्त के निगरानी में जांच किया गया था। जिसमें सफल अभ्यर्थियों की परीक्षा फल 2005 में ही प्रकाशित कर ली गई। लेकिन सफल अभ्यर्थियों में अनियमितता पाई गई।

इस बात को लेकर संजय कुमार विश्वकर्मा हजारीबाग निवासी ने सूचना का अधिकार के तहत विभाग से मांग किया कि सफल अभ्यर्थियों की नाम और उनके अंक दिया जाए। इसमें जो उन्हें विभाग की ओर से अंक तालिका प्राप्त हुई उसमें सैकड़ों ऐसे अभ्यार्थी के नाम सामने आए जो कम अंक पाकर भी वर्तमान समय में सेवा दे रहे हैं ।ऐसे में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने वाले संजय कुमार मेहता न्याय चाहते हैं और न्याय के लिए वह हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटा ने जा रहे हैं। साथ ही साथ उनका कहना है कि इस गड़बड़ी को लेकर वह पीएमओ को भी जानकारी देंगे।

सरकारी नौकरी में अनियमितता का मामला हजारीबाग उपायुक्त राहुल पुरवार के कार्यकाल का है ।जिसमें जिला प्रशासन ने 676 सफल अभ्यार्थियों की सूची तैयार की थी ।पहली सूची में 450 की सूची दूसरी लिस्ट में में 145 और तीसरी लिस्ट में 81 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया था। जिसमें अशोक कुमार पांडे ने 144 अंक प्राप्त किया था। जबकि उन्हें असफल घोषित कर दिया गया था और उनसे कम अंक लाने वाले को नौकरी मिली थी।

byte.... संजय कुमार विश्वकर्मा, सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने वाले अभ्यार्थी




Conclusion:इस बात को लेकर पीड़ितों के द्वारा पत्राचार के माध्यम से शिकायत दर्ज की गई थी और जब न्याय नहीं मिली तो उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी प्राप्त किया है
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