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SPECIAL: लॉकडाउन में एंबुलेंस कर्मियों का अहम योगदान, निष्ठा से कर रहे काम

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Published : May 14, 2020, 5:11 PM IST

लॉकडाउन में जहां हर कोई अपने घरों में कैद है वहीं एंबुलेंस कर्मी निष्ठा से अपना काम कर रहे हैं. इस कोरोना महामारी में एंबुलेंस कर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की जान बचा रहे हैं. वहीं, आपातकालीन समस्याओं से निपटाने में भी एंबुलेंस कर्मी हरसंभव मदद कर रहे हैं. इस तरह की सेवा दे रहे एंबुलेंस कर्मियों के जज्बे को सलाम करते हैं.

Ambulance worker on duty during lockdown in hazaribagh
डिजाइन ईमेज

हजारीबाग: कोरोना वायरस के खिलाफ पूरी दुनिया जंग लड़ रहा है. इस जंग में स्वास्थ्य और सफाईकर्मियों का महत्वपूर्ण योगदान है. ऐसे में एंबुलेंस कर्मियों का भी योगदान कम नहीं है. हजारीबाग में 12 ऐसे एंबुलेंस कर्मी हैं जो अपनी सेवा दे रहे हैं. इनमें कई ऐसे हैं जिन्होंने अपनी शादी की तारीख तक बदल दिया है तो कई ऐसे हैं जो घर में 1 साल के बच्चे को पिछले 50 दिनों से देखा तक नहीं है.

देखें स्पेशल स्टोरी

एंबुलेंस कर्मियों की है जिम्मेवारी

इन दिनों पूरे देश भर से मजदूरों का आने का दौर शुरू हो चुका है. हजारीबाग में भी अब तक 5,000 के आसपास मजदूर अपने घर को लौट चुके हैं. ऐसे में कई प्रवासी मजदूर हैं जो रेड जोन से भी पहुंच रहे हैं. उनका स्वास्थ्य जांच करके सरकारी क्वॉरेंटाइन भवन में रखा गया है. जिनमें से हजारीबाग में 6 पॉजिटिव पाए गए हैं. ऐसे में उन लोगों को क्वॉरेंटाइन सेंटर से अस्पताल पहुंचाने की जिम्मेवारी एंबुलेंस कर्मियों की ही है.

एंबुलेंस कर्मी 24x7 दे रहे योगदान

ये एंबुलेंस कर्मी अपना सत प्रतिशत योगदान दे रहे हैं. हजारीबाग में तीन 108 एंबुलेंस सेवा में लगाए गए हैं. जिसमें 12 कर्मी लगे हुए हैं. इनमें से दो ऐसे एंबुलेंस कर्मी है जिन्होंने अपनी शादी की तारीख वायरस के संक्रमण के कारण बदल दिया है. उनका कहना है कि इस वक्त शादी से अधिक जरूरी अपनी सेवा देना है. इस कारण ये लोग पूरी शक्ति और ईमानदारी के साथ सेवा दे रहे हैं और दिन- रात अपने काम में जुटे हुए हैं.

घर-परिवार से हैं दूर

वहीं, कई ऐसे एंबुलेंस कर्मी है जो अपने एक साल के छोटे-छोटे बच्चे को भी पिछले 50 दिनों से नहीं देखे हैं. उनका कहना है कि बहुत ही संवेदनशील कार्य में लगे हुए हैं. ऐसे में यह खतरा बना रहता है कि कही वह भी संक्रमित ना हो जाए. इस कारण पिछले 50 दिनों से घर नहीं गए हैं.

अस्पताल परिसर में ही बनाया अपना आसरा

हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में ही लोगों ने अपने रहने और खाने की व्यवस्था किए है. उन्हें जैसे ही सूचना मिलती है कि संक्रमित मरीज को लाना है वह अपने गंतव्य स्थान पर निकल पड़ते हैं. खुद को सुरक्षित रखने के लिए पीपीई किट का भी उपयोग करते हैं और खुद को सेनेटाइज करने का भरपूर कोशिश करते हैं ताकि सेवा जारी रखा सके.

ये भी देखें- आम लोगों को तीन साल के लिए भर्ती करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही सेना

एंबुलेंस कर्मी के बदौलत हजारीबाग स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन इस आपदा से लड़ रहा है. जरूरत है इन लोगों का मनोबल ऊंचा करने का ताकि यह और भी अधिक उमंग के साथ अपनी सेवा बरकरार रख सके.

हजारीबाग: कोरोना वायरस के खिलाफ पूरी दुनिया जंग लड़ रहा है. इस जंग में स्वास्थ्य और सफाईकर्मियों का महत्वपूर्ण योगदान है. ऐसे में एंबुलेंस कर्मियों का भी योगदान कम नहीं है. हजारीबाग में 12 ऐसे एंबुलेंस कर्मी हैं जो अपनी सेवा दे रहे हैं. इनमें कई ऐसे हैं जिन्होंने अपनी शादी की तारीख तक बदल दिया है तो कई ऐसे हैं जो घर में 1 साल के बच्चे को पिछले 50 दिनों से देखा तक नहीं है.

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एंबुलेंस कर्मियों की है जिम्मेवारी

इन दिनों पूरे देश भर से मजदूरों का आने का दौर शुरू हो चुका है. हजारीबाग में भी अब तक 5,000 के आसपास मजदूर अपने घर को लौट चुके हैं. ऐसे में कई प्रवासी मजदूर हैं जो रेड जोन से भी पहुंच रहे हैं. उनका स्वास्थ्य जांच करके सरकारी क्वॉरेंटाइन भवन में रखा गया है. जिनमें से हजारीबाग में 6 पॉजिटिव पाए गए हैं. ऐसे में उन लोगों को क्वॉरेंटाइन सेंटर से अस्पताल पहुंचाने की जिम्मेवारी एंबुलेंस कर्मियों की ही है.

एंबुलेंस कर्मी 24x7 दे रहे योगदान

ये एंबुलेंस कर्मी अपना सत प्रतिशत योगदान दे रहे हैं. हजारीबाग में तीन 108 एंबुलेंस सेवा में लगाए गए हैं. जिसमें 12 कर्मी लगे हुए हैं. इनमें से दो ऐसे एंबुलेंस कर्मी है जिन्होंने अपनी शादी की तारीख वायरस के संक्रमण के कारण बदल दिया है. उनका कहना है कि इस वक्त शादी से अधिक जरूरी अपनी सेवा देना है. इस कारण ये लोग पूरी शक्ति और ईमानदारी के साथ सेवा दे रहे हैं और दिन- रात अपने काम में जुटे हुए हैं.

घर-परिवार से हैं दूर

वहीं, कई ऐसे एंबुलेंस कर्मी है जो अपने एक साल के छोटे-छोटे बच्चे को भी पिछले 50 दिनों से नहीं देखे हैं. उनका कहना है कि बहुत ही संवेदनशील कार्य में लगे हुए हैं. ऐसे में यह खतरा बना रहता है कि कही वह भी संक्रमित ना हो जाए. इस कारण पिछले 50 दिनों से घर नहीं गए हैं.

अस्पताल परिसर में ही बनाया अपना आसरा

हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में ही लोगों ने अपने रहने और खाने की व्यवस्था किए है. उन्हें जैसे ही सूचना मिलती है कि संक्रमित मरीज को लाना है वह अपने गंतव्य स्थान पर निकल पड़ते हैं. खुद को सुरक्षित रखने के लिए पीपीई किट का भी उपयोग करते हैं और खुद को सेनेटाइज करने का भरपूर कोशिश करते हैं ताकि सेवा जारी रखा सके.

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एंबुलेंस कर्मी के बदौलत हजारीबाग स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन इस आपदा से लड़ रहा है. जरूरत है इन लोगों का मनोबल ऊंचा करने का ताकि यह और भी अधिक उमंग के साथ अपनी सेवा बरकरार रख सके.

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