गिरिडीह: शहर से होकर गुजरी उसरी नदी मैली हो चुकी है. यह सब शहर से निकलने वाले गंदा पानी की वजह से हो रहा है. शहर के नाले से निकला पानी 24 घंटे इसी नदी में गिर रहा है, उसपर इस पानी को शुद्ध करने की व्यवस्था नगर निगम ने अब तक नहीं की है. जिससे यहां नदी की सतह प्रदूषित हो रही है. भू-जल के भी प्रदूषित होने का खतरा मंडरा रहा है.
यहां के लोग उसरी नदी को पूजते हैं. चैती छठ हो या कार्तिक मास में होने वाला लोकआस्था का महापर्व छठ, दोनों ही समय इसी नदी में शहर के ज्यादातर लोग पहुंचते हैं. लोगों की आस्था इस नदी से जुड़ी है लेकिन इस नदी को स्वच्छ रखने के लिए कुछ विशेष नहीं किया जा रहा है.
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बालू का भी होता है अवैध उठाव
एक तरफ गंदा पानी नदी को प्रदूषित कर रहा है तो दूसरी तरफ शहर के बीचों बीच नदी और नदी पर बने पुल के ठीक नीचे बालू का उठाव भी होता है. विशेषज्ञ बताते हैं कि बालू नदी के पानी को खुद ही स्वच्छ कर देता है लेकिन बालू के अवैध उठाव की वजह से प्रकृति अपना काम नहीं कर पा रही है.
उसरी बचाओ आंदोलन
इन सबों के बीच उसरी नदी को बचाने के लिए आंदोलन भी शुरू किया गया है. इस आंदोलन में शामिल रामजी प्रसाद यादव, राजेश सिन्हा, सूरज नयन, रितेश सराक, प्रभाकर समेत अन्य लोग शहरवासियों को जागरूक करने के साथ-साथ निगम का भी ध्यान आकृष्ट करवाने का काम कर रहे हैं. आंदोलन से जुड़े राजेश सिन्हा बताते हैं कि जहां से शहर शूरू होती है वहीं से नाले का पानी नदी में गिरने लगता है. इसे लेकर जनप्रतिनिधि, अधिकारी तो दोषी हैं ही जनता में भी जागरूकता की कमी है. प्रभाकर कहते हैं कि नदी प्रदूषित होने से इसका सीधा प्रभाव आम जन जीवन पर पड़ेगा.
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वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की तैयारी
इस मामले पर नगर उप आयुक्त राजेश प्रजापति ने बताया कि नदी की तरफ शहर का ढलाव होने के कारण कई नाले का पानी नदी में गिरता है. बताया कि शहर के पांच स्थान शास्त्रीनगर, नया पुल के पास, पुराना पुल के पास, अरगाघाट और शिव घाट के पास नाले का पानी नदी में गिरता है. उन्होंने कहा कि इस बार वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की तैयारी है, जो निगम से पारित हो गया है.