गिरिडीह: पारसनाथ पहाड़ की तराई में बसे मोहनपुर गांव में सीआरपीएफ कैम्प खोलने की योजना का ग्रामीणों ने विरोध किया है. कैम्प खोलने के विरोध में रविवार को प्रस्तावित स्थल दाहुटांड़ी के मैदान में मांझी हड़ाम के नेतृत्व में मोहनपुर सहित टेसाफुली, दलानचलकरी और जोभी के छक्कुडीह सहित कई गांवों के दर्जनों महिला और पुरुषों ने पारंपरिक हथियार के साथ सरकार के इस प्रस्ताव का विरोध किया.
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सीआरपीएफ कैम्प खोलने का विरोध कर रहे ग्रामीणों ने कहा कि जान दे देगें. लेकिन जमीन नहीं देंगे. पुलिस जनता को गाली-गलौज, मारपीट और गिरफ्तार करना अविलंब बंद करे, देहाती क्षेत्र से तमाम पुलिस कैम्प हटाए जाएं, हमें पुलिस कैम्प नहीं रोजगार चाहिए. ग्रामीणों का कहना है कि गांव में कैम्प खुलने से आदिवासी मुलवासी लोगों पर पुलिसिया जुल्म और बढ़ जाएगा. यदि सरकार हमें कुछ देना चाहती है तो शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पेयजल, सिंचाई की सुविधा सहित रोजगार दे. जिससे हम ग्रामीणों का विकास हो सके.
सीएआरपीएफ कैंप के लिए जमीन का सर्वे
ग्रामीणों ने कहा कि सरकार को कैम्प बनाने से पहले हम ग्रामीणों की सहमति लेनी चाहिए थी. ग्रामीणों का आरोप है कि जिस जमीन पर पिकेट बनाने के लिए सर्वे किया गया है, वह जमीन वैसे रैयतों की है जिनके पास इस जमीन के सिवा अन्य कोई जमीन नहीं है. उनकी जमीन जाने से उनके सामने रोजी रोटी की समस्या उत्पन्न हो जाएगी. इस मौके पर बसंती देवी, बबिता देवी, नुनिया देवी, मंझली देवी, सविता देवी, तलेश्वर मरांडी, भोला मुर्मू, कटिलाल हेम्ब्रम, नुनुचंद मुर्मू, अर्जुन मरांडी, चारो सोरेन, अनिल मुर्मू, रामा हेम्ब्रम सहित दर्जनों महिला पुरुष शामिल थे.