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गिरिडीह: श्रमदान से तालाब कराया जा रहा गहरा, अखैना गांव में जल संरक्षण की पहल - गिरिडीह में श्रमदान के तहत तालाब का गहरीकरण

बगोदर प्रखंड के अखैना गांव में स्थानीय मजदूरों की ओर से श्रमदान से तालाब गहरा कराया जा रहा है. इस कार्य में गांव के 50 महिला और पुरुष मजदूर लगे हैं.

deepening of pond under donation in giridih
तालाब का गहरीकरण
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Published : Feb 21, 2021, 5:29 PM IST

गिरिडीह: जल संरक्षण और भूमि विकास को लेकर एकता परिषद जन संगठन की ओर से झारखंड के संथाल परगना और उत्तरी छोटानागपुर के 16 गांवों में श्रमदान से तालाब का निर्माण और तालाब को गहरा करने का काम कराया जा रहा है. इसी के तहत बगोदर प्रखंड के अखैना गांव में भी एक तालाब को गहरा कराया जा रहा है.

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तालाब गहरीकरण के कार्य में स्थानीय मजदूरों की ओर से श्रमदान किया जा रहा है. इसके पहले बेलगांय गांव में तालाब खुदाई के लिए आदिवासी मजदूरों ने श्रमदान किया था. इस संबंध में एकता परिषद जन संगठन के संरक्षक रामस्वरूप ने बताया कि जल संरक्षण और भूमि विकास सहित कृषि कार्य को बढ़ावा देने के लिए तालाबों के गहरीकरण और खुदाई का काम कराया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि गांव में कपसा थान तालाब है लेकिन तालाब में मिट्टी भर जाने से इसमें साल भर पानी नहीं रहता है. इससे न सिर्फ कृषि कार्य में परेशानी आती है बल्कि जानवरों के लिए भी गर्मी के दिनों में पानी नहीं रहता है. बताया गया कि तालाब गहरीकरण के बाद ग्रामीण मछली पालन कर भी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं. श्रमदान के बाद एक घंटे का प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित होता है.

गिरिडीह: जल संरक्षण और भूमि विकास को लेकर एकता परिषद जन संगठन की ओर से झारखंड के संथाल परगना और उत्तरी छोटानागपुर के 16 गांवों में श्रमदान से तालाब का निर्माण और तालाब को गहरा करने का काम कराया जा रहा है. इसी के तहत बगोदर प्रखंड के अखैना गांव में भी एक तालाब को गहरा कराया जा रहा है.

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उन्होंने बताया कि गांव में कपसा थान तालाब है लेकिन तालाब में मिट्टी भर जाने से इसमें साल भर पानी नहीं रहता है. इससे न सिर्फ कृषि कार्य में परेशानी आती है बल्कि जानवरों के लिए भी गर्मी के दिनों में पानी नहीं रहता है. बताया गया कि तालाब गहरीकरण के बाद ग्रामीण मछली पालन कर भी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं. श्रमदान के बाद एक घंटे का प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित होता है.

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