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हर बच्चा हो शिक्षित, मिले अधिकार, डायना अवार्ड से सम्मानित नीरज का यही है प्रयास - गिरिडीह में बाल मजदूरी

गिरिडीह के तिसरी प्रखंड के दुलियाकरम का युवक नीरज मुर्मू को डायना अवार्ड से सम्मानित किया गया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी नीरज के कामों की तारीफ कर चुके हैं. ईटीवी भारत की टीम ने नीरज और उनके परिजनों से बातचीत की.

Neeraj Murmu of  giridih receives Diana Award, Child labor in Giridih, Neeraj Murmu fight against child labor in Giridih, गिरिडीह के नीरज मुर्मू को मिला डायना अवार्ड, गिरिडीह में बाल मजदूरी, गिरिडीह में बाल मजदूरी के खिलाफ लड़े नीरज मुर्मू
नीरज मुर्मू
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Published : Jul 5, 2020, 5:47 PM IST

गिरिडीह: ब्रिटिश की महारानी की याद में डायना अवार्ड से वर्ष 2020 में जिन 25 लोगों को सम्मानित किया गया है उसमें गिरिडीह के तिसरी प्रखंड के दुलियाकरम का युवक नीरज मुर्मू भी है. नीरज के इस सम्मान से तिसरी से लेकर रांची तक के लोग खुश हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी नीरज को बधाई दे चुके हैं. नीरज के घर में भी बधाई देनेवालों का तांता लगा हुआ है. इस सम्मान से नीरज, उसके पिता रामजीत मुर्मू, माता फूलमनी बेसरा, बहनों के अलावा गांव के लोग उत्साहित भी हैं. इन सभी के बीच नीरज अभी भी बच्चों को शिक्षित करने में जुटे हैं.

देखें पूरी खबर

गर्व है बेटे पर
नीरज का कहना है कि बाल मजदूरी की दलदल से वह निकला है और अब वह किसी को भी लड़के को मजदूर बनने नहीं देगा. उसकी इच्छा है कि हर एक बच्चा शिक्षित बने और इसके लिए वह प्रयास करता रहेगा. नीरज कहते हैं कि जब उसने बचपन बचाओ आंदोलन ( कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन) के साथ मिलकर बाल मजदूरी के खिलाफ जागरूकता फैलाना शुरू किया तो कइयों का विरोध झेलना पड़ा. उस वक्त भी उसने हिम्मत नहीं हारी थी. अब तो सभी का सपोर्ट मिल रहा है. ऐसे में अब इस अभियान को वह और भी गति देगा. नीरज की मां कहती हैं कि उसका बेटा अच्छा कर रहा है.

Neeraj Murmu of  giridih receives Diana Award, Child labor in Giridih, Neeraj Murmu fight against child labor in Giridih, गिरिडीह के नीरज मुर्मू को मिला डायना अवार्ड, गिरिडीह में बाल मजदूरी, गिरिडीह में बाल मजदूरी के खिलाफ लड़े नीरज मुर्मू
सम्मान और परिजनों के साथ नीरज

ये भी पढ़ें- चाईबासा सदर अस्पताल को किया जाएगा अपग्रेड, 300 बेड के साथ अत्याधुनिक सुविधाओं से होगा लैस

हड़ताल में पढ़ाया बच्चों कोकैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन के जिला समन्वयक मुकेश तिवारी कहते हैं कि बाल मजदूरी, बाल विवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ संस्था लगातार अभियान चला रही है. सैकड़ों बच्चों को बाल मजदूरी से दूर करने में सफलता मिली है. नीरज भी इसी अभियान के कारण बाल मजदूरी से दूर हो सका और 20 से अधिक लोगों को बाल मजदूरी से दूर किया. इसी संस्था के राजू सिंह बताते हैं कि बाल मजदूरी के खिलाफ अभियान चलाने के अलावा अन्य सामाजिक कार्यों में भी नीरज ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया है. पिछले दिनों जब राज्य के पारा शिक्षक हड़ताल पर थे तो नीरज ने सरकारी स्कूल के बच्चों को पढ़ाने का भी काम किया. इसके अलावा गांव की समस्याओं का हल निकालने का प्रयास भी नीरज करते रहते हैं.
Neeraj Murmu of  giridih receives Diana Award, Child labor in Giridih, Neeraj Murmu fight against child labor in Giridih, गिरिडीह के नीरज मुर्मू को मिला डायना अवार्ड, गिरिडीह में बाल मजदूरी, गिरिडीह में बाल मजदूरी के खिलाफ लड़े नीरज मुर्मू
लोगों को जागरूक करते नीरज

कैसे मिला सम्मान
बता दें कि 2011 से नीरज कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन से जुड़कर बाल मजदूरी के खिलाफ अभियान चलाता रहा है. जिस इलाके में नीरज इस अभियान को चलाता है वह पूरा क्षेत्र अवैध माइका (अभ्रक) से भरा हुआ है और यही रोजगार का साधन भी है. लोग इसी अभ्रक और उसके अवशेष को चुनकर बेचते हैं. इस कार्य में बच्चे भी लगे रहते हैं. इसके बावजूद नीरज ने कई बच्चों को बाल मजदूरी की दलदल से निकाला और शिक्षा दिलाई. नीरज के इसी प्रयास के कारण 1 जुलाई को उसे ग्रेट ब्रिटेन का प्रसिद्ध डायना अवार्ड दिया गया. इससे पहले इस सम्मान से गिरिडीह के गावां की चंपा भी सम्मानित हो चुकी हैं. चंपा को पिछले वर्ष सम्मानित किया गया था.

गिरिडीह: ब्रिटिश की महारानी की याद में डायना अवार्ड से वर्ष 2020 में जिन 25 लोगों को सम्मानित किया गया है उसमें गिरिडीह के तिसरी प्रखंड के दुलियाकरम का युवक नीरज मुर्मू भी है. नीरज के इस सम्मान से तिसरी से लेकर रांची तक के लोग खुश हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी नीरज को बधाई दे चुके हैं. नीरज के घर में भी बधाई देनेवालों का तांता लगा हुआ है. इस सम्मान से नीरज, उसके पिता रामजीत मुर्मू, माता फूलमनी बेसरा, बहनों के अलावा गांव के लोग उत्साहित भी हैं. इन सभी के बीच नीरज अभी भी बच्चों को शिक्षित करने में जुटे हैं.

देखें पूरी खबर

गर्व है बेटे पर
नीरज का कहना है कि बाल मजदूरी की दलदल से वह निकला है और अब वह किसी को भी लड़के को मजदूर बनने नहीं देगा. उसकी इच्छा है कि हर एक बच्चा शिक्षित बने और इसके लिए वह प्रयास करता रहेगा. नीरज कहते हैं कि जब उसने बचपन बचाओ आंदोलन ( कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन) के साथ मिलकर बाल मजदूरी के खिलाफ जागरूकता फैलाना शुरू किया तो कइयों का विरोध झेलना पड़ा. उस वक्त भी उसने हिम्मत नहीं हारी थी. अब तो सभी का सपोर्ट मिल रहा है. ऐसे में अब इस अभियान को वह और भी गति देगा. नीरज की मां कहती हैं कि उसका बेटा अच्छा कर रहा है.

Neeraj Murmu of  giridih receives Diana Award, Child labor in Giridih, Neeraj Murmu fight against child labor in Giridih, गिरिडीह के नीरज मुर्मू को मिला डायना अवार्ड, गिरिडीह में बाल मजदूरी, गिरिडीह में बाल मजदूरी के खिलाफ लड़े नीरज मुर्मू
सम्मान और परिजनों के साथ नीरज

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हड़ताल में पढ़ाया बच्चों कोकैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन के जिला समन्वयक मुकेश तिवारी कहते हैं कि बाल मजदूरी, बाल विवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ संस्था लगातार अभियान चला रही है. सैकड़ों बच्चों को बाल मजदूरी से दूर करने में सफलता मिली है. नीरज भी इसी अभियान के कारण बाल मजदूरी से दूर हो सका और 20 से अधिक लोगों को बाल मजदूरी से दूर किया. इसी संस्था के राजू सिंह बताते हैं कि बाल मजदूरी के खिलाफ अभियान चलाने के अलावा अन्य सामाजिक कार्यों में भी नीरज ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया है. पिछले दिनों जब राज्य के पारा शिक्षक हड़ताल पर थे तो नीरज ने सरकारी स्कूल के बच्चों को पढ़ाने का भी काम किया. इसके अलावा गांव की समस्याओं का हल निकालने का प्रयास भी नीरज करते रहते हैं.
Neeraj Murmu of  giridih receives Diana Award, Child labor in Giridih, Neeraj Murmu fight against child labor in Giridih, गिरिडीह के नीरज मुर्मू को मिला डायना अवार्ड, गिरिडीह में बाल मजदूरी, गिरिडीह में बाल मजदूरी के खिलाफ लड़े नीरज मुर्मू
लोगों को जागरूक करते नीरज

कैसे मिला सम्मान
बता दें कि 2011 से नीरज कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन से जुड़कर बाल मजदूरी के खिलाफ अभियान चलाता रहा है. जिस इलाके में नीरज इस अभियान को चलाता है वह पूरा क्षेत्र अवैध माइका (अभ्रक) से भरा हुआ है और यही रोजगार का साधन भी है. लोग इसी अभ्रक और उसके अवशेष को चुनकर बेचते हैं. इस कार्य में बच्चे भी लगे रहते हैं. इसके बावजूद नीरज ने कई बच्चों को बाल मजदूरी की दलदल से निकाला और शिक्षा दिलाई. नीरज के इसी प्रयास के कारण 1 जुलाई को उसे ग्रेट ब्रिटेन का प्रसिद्ध डायना अवार्ड दिया गया. इससे पहले इस सम्मान से गिरिडीह के गावां की चंपा भी सम्मानित हो चुकी हैं. चंपा को पिछले वर्ष सम्मानित किया गया था.

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