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गिरिडीह में भू-रैयतों ने अपनी मांगों को लेकर की बैठक, कहा- जान देंगे पर जमीन नहीं - झारखंड समाचार

गिरिडीह के बगोदर प्रखंड में जमीन के साथ उचित मुआवजे को लेकर बैठक की गई. बैठक में अपनी मांग को लेकर आंदोलन किया और कहा कि कृषि भूमि को आवासीय का दर्जा नहीं मिलेगा तो वह अपनी जान दे देंगे पर जमीन नहीं.

भू-रैयतों ने मांग को लेकर आंदोलन की
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Published : Jul 27, 2019, 10:55 AM IST

गिरिडीह/बगोदर: भू- रैयतों ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन जारी रखने का निर्णय लिया और कहा यह आंदोलन तब तक जारी रखेंगे जब तक न्याय नहीं मिल जाता है. साथ ही मांगों को पूरा करने में स्थानीय सांसद- विधायक से मिलकर सहयोग करने की अपील करने का भी निर्णय लिया गया.

देखें पूरी खबर


भू- रैयतों का आरोप है कि जीटी रोड सिक्स लेन के लिए सरकारी स्तर पर सड़क किनारे की जमीन अधिग्रहित की जा रही है. भू- रैयतों का कहना है कि मकान बने जमीन को भी सर्वे में कृषि योग्य जमीन के रूप में दिखाया गया है. इसी को लेकर भू- रैयत विरोध कर रहें हैं. उनका कहना है कि बगोदर प्रखंड के 28 गांव से होकर जीटी रोड गुजरती है. जहां 27 गांवों में रहने वाले भू- रैयतों को आवासीय दर पर मुआवजा का भुगतान कर दिया गया है.

ये भी देखें- डिवाइडर से टकरायी कार, पुलिसकर्मी सहित 5 घायल


रैयतों ने कहा कि प्रखंड के अटका ही एक ऐसा पंचायत है जहां सड़क किनारे की जमीन को सर्वे में कृषि दर्शाया गया है और उसी के आधार पर मुआवजा राशि निर्धारित की गई है. उन्होंने चेतावनी भी दी कि अगर कृषि भूमि को आवासीय का दर्जा नहीं दिया जाएगा तो लोग अपनी जान दे देंगे पर जमीन नहीं देंगे.

गिरिडीह/बगोदर: भू- रैयतों ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन जारी रखने का निर्णय लिया और कहा यह आंदोलन तब तक जारी रखेंगे जब तक न्याय नहीं मिल जाता है. साथ ही मांगों को पूरा करने में स्थानीय सांसद- विधायक से मिलकर सहयोग करने की अपील करने का भी निर्णय लिया गया.

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भू- रैयतों का आरोप है कि जीटी रोड सिक्स लेन के लिए सरकारी स्तर पर सड़क किनारे की जमीन अधिग्रहित की जा रही है. भू- रैयतों का कहना है कि मकान बने जमीन को भी सर्वे में कृषि योग्य जमीन के रूप में दिखाया गया है. इसी को लेकर भू- रैयत विरोध कर रहें हैं. उनका कहना है कि बगोदर प्रखंड के 28 गांव से होकर जीटी रोड गुजरती है. जहां 27 गांवों में रहने वाले भू- रैयतों को आवासीय दर पर मुआवजा का भुगतान कर दिया गया है.

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रैयतों ने कहा कि प्रखंड के अटका ही एक ऐसा पंचायत है जहां सड़क किनारे की जमीन को सर्वे में कृषि दर्शाया गया है और उसी के आधार पर मुआवजा राशि निर्धारित की गई है. उन्होंने चेतावनी भी दी कि अगर कृषि भूमि को आवासीय का दर्जा नहीं दिया जाएगा तो लोग अपनी जान दे देंगे पर जमीन नहीं देंगे.

Intro:जीटी रोड़ सिक्स लेन के प्रभावित भू- रैयतों ने कहा, उचित मुआवजा नहीं मिला तो जान देंगे पर जमीन नहीं

बगोदर/गिरिडीह




Body:बगोदर/गिरिडीहः बगोदर प्रखंड के अटका के जीटी रोड़ सिक्स लेन के प्रभावित भू- रैयतों की बैठक शुक्रवार को हुई. बैठक में मांगों को लेकर आंदोलन जारी रखने का निर्णय लिया गया. साथ हीं मांगों को पूरा करने में स्थानीय सांसद- विधायक से मिलकर सहयोग करने की अपील करने का निर्णय लिया गया. भू- रैयतों का आरोप है कि जीटी रोड़ सिक्स लेन के लिए सरकारी स्तर पर रोड़ किनारे की जमीन अधिग्रहित की जा रही है. मगर रोड़ किनारे की जमीन और मकान को भी सर्वे में कृषि दिखाया गया है. इसी का विरोध किया जा रहा है. भू- रैयतों का कहना है कि बगोदर प्रखंड के 28 गांवों होकर जीटी रोड़ गुजरा है. जहां 27 गांवों के प्रभावित भू- रैयतों को आवासीय दर पर मुआवजा का भुगतान तक कर दिया गया है. प्रखंड के अटका हीं एक ऐसा पंचायत है जहां रोड़ किनारे की जमीन को सर्वे में कृषि दर्शाया गया है और उसी के आधार पर मुआवजा राशि निर्धारित की गई है.भू- रैयतों ने दो टूक में कहा कि कृषि भूमि को आवासीय का दर्जा नहीं देने पर वे जान देंगे पर जमीन नहीं.


Conclusion:भू- रैयत
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