गिरिडीहः सीसीएल गिरिडीह कोलियरी जिले की एकमात्र सार्वजनिक इकाई है. यह इकाई इन दिनों संकट में है. यह स्थिति कंसेंट टू ऑपरेट यानी सीटीओ नहीं मिलने के कारण उत्पन्न हुई है. सीटीओ नहीं मिलने से जहां पिछले तीन वर्षों से कबरीबाद माइंस में कोयला का उत्पादन बंद है. वहीं 31 दिसंबर को ही ओपेनकास्ट माइंस के सीटीओ की अवधि समाप्त हो गयी है. इसके बाद से ओपेनकास्ट से कोयला का उत्पादन बंद हो गया है. दोनों माइंस से कोयला का उत्पादन नहीं होने से इसका सीधा प्रभाव सीसीएल गिरिडीह कोलियरी के लिए निर्धारित किये गए लक्ष्य पर पड़ा है.
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बिगड़ेगी लोगों की अर्थव्यवस्था
एक तो सीटीओ नहीं मिलने से कोयला का उत्पादन बंद हो गया दूसरी तरफ कोयला कारोबारियों ने दिसंबर माह में मिले कोयला ऑफर की बिडिंग में भाग भी नहीं लिया है. दिसंबर माह में रोड सेल के लिए पांच हजार टन का ऑफर दिया गया लेकिन 6 जनवरी को बिड में मात्र पांच सौ टन कोयले की बिडिंग हो पायी. इसका सीधा असर ट्रक ऑनर्स, ड्राइवर, खलासी, असंगठित मजदूरों पर पड़ा है. झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन के एरिया अध्यक्ष सह स्थानीय मुखिया हरगौरी साहू कहते हैं कि सीटीओ नहीं मिलने का खमियाजा सभी को भुगतना पड़ सकता है.
भाजपा का आरोप
इस मामले पर जिला परिषद उपाध्यक्ष कामेश्वर पासवान का कहना है कि सीटीओ को लेकर सार्थक प्रयास नहीं किया गया. राज्य सरकार भी इस ओर विशेष ध्यान नहीं दे रही है. सभी को मिलकर सीटीओ दिलवाने का प्रयास करना चाहिए ताकि यह कोलियरी चल सके.
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तीन माह से प्रयासरत है प्रबंधन
सीटीओ को लेकर सीसीएल गिरिडीह कोलियरी के महाप्रबंधक मनोज कुमार अग्रवाल और परियोजना पदाधिकारी बिनोद कुमार पिछले तीन माह से रिन्युअल का प्रयास कर रहे हैं लेकिन समय पर काम नहीं हो सका. परियोजना पदाधिकारी बिनोद कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि सीटीओ के लिए पूरी टीम प्रयासरत है. उम्मीद है कि जल्द से जल्द सीटीओ मिल जाएगा और कोयला का उत्पादन भी शुरू हो जाएगा.
जल्द मिलेगा सीटीओ : विधायक
विधायक सुदिव्य कुमार ने कहा कि यूनियन के माध्यम से उन्हें यह जानकारी मिली की ओपेनकास्ट का सीटीओ फेल हो चुका है. यह मामला यदि राज्य स्तर पर निपटने का होगा तो एक सप्ताह के अंदर ही सीटीओ मिल जाएगा. विधायक ने कहा कि सीसीएल के उच्च पदाधिकारियों के पास खनिज के दोहन के लिए बेहतर प्लानिंग होनी चाहिए. सीटीओ और बाकी चीजों के नाम पर उत्पादन बाधित होने से देश को नुकसान होता है और निश्चित तौर पर नुकसान से बचने के लिए बेहतर प्लानिंग की आवश्यकता है.