रांची: राज्य में रोजगार की गारंटी और नियोजन नीति को मजबूत करने के लिए गुरुवार को भाकपा माले ने प्रतिरोध मार्च निकालकर अपना विरोध दर्ज कराया. भाकपा माले की छात्र इकाई आईसा संगठन के द्वारा राजधानी के अल्बर्ट एक्का चौक से राजभवन तक विरोध मार्च किया गया जिसमें भाकपा माले के सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे. इसी तरह गिरिडीह के बगोदर विधानसभा स्तरीय अधिकार मार्च का आयोजन गुरुवार को सरिया प्रखंड मुख्यालय में किया गया.
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विरोध मार्च का नेतृत्व कर रहे भाकपा माले के बगोदर विधायक विनोद सिंह ने कहा कि राज्य में नई सरकार गठन के 2 साल से ज्यादा हो गए लेकिन इसके बावजूद भी वर्तमान सरकार ने नियोजन नीति और युवाओं को रोजगार को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. सरकार बनने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि यहां के जो मूलवासी आदिवासी हैं उन्हें नियोजन नीति से लाभ मिलेगा. लेकिन अभी तक नियोजन नीति को लेकर सरकार के द्वारा कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है, जिससे बेरोजगारी बढ़ रही है और युवाओं में आक्रोश देखने को मिल रहा है.
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के समय में जो नियोजन नीति लाई गयी थी उस नीति में जो यहां के मूलवासी आदिवासी के अधिकारों को भी हनन कर रही थी. उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि वर्तमान में जो 1932 के खतियान को लागू करने की बात कही जा रही है उस पर विचार की जानी चाहिए ताकि यहां के स्थानीय लोगों के लिए रोजगार सृजन हो सके. उन्होंने हेमंत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले 2 वर्षों में पढ़ाई और भाषा के आधार पर जो नियोजन की गयी है वह निश्चित रूप से यहां के मूल वासियों के अधिकारों का हनन कर रहा है.
गिरिडीह के बगोदर में माले का प्रदर्शनः भाकपा माले के घटक दल आइसा और इंनौस के द्वारा बगोदर विधानसभा स्तरीय अधिकार मार्च का आयोजन गुरुवार को सरिया प्रखंड मुख्यालय में किया गया. इसके माध्यम से हेमंत सरकार पर निशाना साधा और उनके चुनावी वादे को पूरा करने की मांग की गयी. झारखंड में चल रहे भाषाई विवाद के निपटारे के लिए सरकार से सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की गयी. साथ ही 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति तय करने की मांग की गयी. अधिकार मार्च सरिया स्थित महेंद्र सिंह स्मृति भवन से चलकर विवेकानंद चौक पहुंची और फिर यहां नुक्कड़ सभा की गयी. इस मार्च में आइसा और इनौस के बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल हुए.