गिरिडीह: यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर देशभर के 10 लाख कर्मचारी और अधिकारी दो दिनों के हड़ताल पर हैं. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के विरोध में किये गए इस हड़ताल का असर गिरिडीह में भी देखने को मिला है. चाहे आम हो या खास सभी लोग परेशान दिख रहें हैं. एटीएम से भी पैसे नहीं निकल रहें हैं. इस हड़ताल से गिरिडीह में लगभग 150 करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ है.
हड़ताल पर बैठे बैंककर्मी
गिरिडीह में इस हड़ताल को सफल बनाने में अध्यक्ष अशोक चौरसिया, संयोजक दिलीप कुमार, बेंजामिन मुर्मू के साथ-साथ कई अधिकारियों और कर्मियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इस दौरान कहा गया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रतिवर्ष ऑपरेटिंग लाभ अर्जित कर देश के सृजन में अपना भरपूर योगदान दे रहें हैं.लेकिन वर्तमान में शासित सरकार ने अपने बजट भाषण में स्पष्ट रूप से ये घोषणा कि की आने वाले दिनों में आईडीबीआई बैंक के अलावा दो अन्य राष्ट्रीयकृत बैंकों के साथ-साथ एक सामान्य बीमा कंपनी का निजीकरण किया जाएगा.
पिछले 52 सालों का इतिहास है कि राष्ट्रीयकृत बैंक कभी फेल नहीं हुए बल्कि निजी क्षेत्र के सैकड़ों बैंक फेल हो गए. वर्ष 2008 की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी के दौरान अमेरिका, यूरोप, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी और बड़े-बड़े देशों के हजारों बैंक और बीमा कंपनी फेल हो गयीं. जबकि भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक बचे रहे और देश की आर्थिक व्यवस्था को संभाले रखा. ऐसे में निजी करण का फैसला हास्यास्पद है.
ये रहें मौजूद
इस हड़ताल में मुकेश सिन्हा, बिंदनाथ झा, रामलला झा, रमेश सिन्हा, उदय सिंह, सौरव, विशाल समेत सैकड़ों की संख्या में बैंककर्मी शामिल हुए.