गिरिडीह: लोहा का औजार बनाकर कई राज्यों में पहचान बनानेवाला गिरिडीह का बटाली उद्योग इन दिनों अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. सौ से अधिक परिवार के घरों की रोटी का जुगाड़ करनेवाला यह लघु उद्योग से जुड़े लोगों को न तो काम मिल रहा है और न ही औजारों का उचित दाम मिल रहा है.
गिरिडीह जिला मुख्यालय से लगभग 6 किमी की दूरी पर बदडीहा गांव स्थित है. लोहार जाती बाहुल्य इस गांव की पहचान बटाली उद्योग रहा है. लगभग 8 दशक से इस उद्योग से जुड़े सौ से अधिक परिवार लोहा का विभिन्न प्रकार औजार, कड़ाही समेत कई बर्तन बनाते रहे हैं. यहां पर बने औजारों की मांग बंगाल, बिहार के अलावा कई प्रदेशों में रही है.
हाल के कुछ वर्षों से यह उद्योग बंदी के कगार पर आ चुका है. लोगों को काम नहीं मिल रहा है तो बनाए गए सामानों का उचित दाम भी नहीं मिल पा रहा है. कई कारीगर अब जहां-तहां मजदूरी कर अपने परिवार का पोषण कर रहे हैं. बावजूद इस उद्योग से अभी भी कई लोग जुड़े हैं.
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एक तो कच्चा माल नहीं मिलना उस पर बाजार पर ब्रांडों का कब्जा होने से भी उद्योग खतरे में पड़ गया है. इस काम से जुड़े सुमनलाल शर्मा बताते हैं कि इस धंधे में अब वैसी कमाई नहीं रही की लोगों का घर चल सके. ऐसे में नई पीढी इस काम के प्रति ध्यान नहीं दे रहा है. सरकार भी बटाली उद्योग जैसे लघु उद्योगों पर ध्यान नहीं दे रही है. आलम यह है कि इस गांव के लोग भी पलायन कर रहे हैं. कई युवा प्रदेशों में काम कर रहे हैं.