दुमका: झारखंड की उपराजधानी दुमका में आत्महत्या की प्रवृत्ति काफी बढ़ गई है. अगर हम आंकड़ों की बात करें तो इस वर्ष 2022 में 44 लोगों ने खुद से मौत को गले लगा लिया. इस तरह से प्रत्येक 5 दिनों में एक व्यक्ति खुद से अपनी जीवन लीला समाप्त कर ले रहा है जो कि काफी दुखद है.
इस वर्ष जिन 44 लोगों ने आत्महत्या की है उसमें 18- 19 के छात्र से लेकर 50 -55 वर्ष लोग शामिल हैं. वहीं, बैंक मैनेजर से लेकर स्वास्थ्य कर्मी और अन्य पेशे और बेरोजगार व्यक्ति भी हैं. दो महीने पहले इंडियन बैंक के मैनेजर विनीत शंकर ने अपने ही घर में फांसी लगा ली थी. वहीं, इस वर्ष काठीकुंड और रामगढ़ अस्पताल में कार्यरत दो स्वास्थ्यकर्मियों ने भी फंदे से लटक कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली. इसके अलावा स्टूडेंट, घरेलू महिला, व्यवसायी, बिजली मिस्त्री और वाहन चालक भी आत्महत्या करने वालों में शामिल हैं.
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अगर हम इस वर्ष माह वार आत्महत्या के आंकड़ों की बात करें तो जनवरी में 4, फरवरी में 6, मार्च में 5, अप्रैल में 10, मई में 6, जून में 7 और जुलाई में 6 लोगों ने मौत को गले लगाया. इन 44 में 40 ने फांसी लगाकर और 4 ने विषपान कर आत्महत्या की.
क्या कहते हैं मनोचिकित्सक: बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति के मामले पर दुमका जिला मानसिक स्वास्थ्य केंद्र के मनोचिकित्सक जुल्फिकार अली भुट्टो बताते हैं कि आत्महत्या की सबसे बड़ी वजह मानसिक तनाव है. जो व्यक्ति मन-मष्तिष्क से कमजोर होते हैं और उन्हें जब मानसिक तनाव होता है तो उसे वे झेल नहीं पाते और इस तरह की गलत कदम उठा लेते हैं. इससे बचाव का उपाय यह है कि ऐसे लोग नकारात्मक सोच से बचें. उन्हें यह सोचना चाहिए कि सिर्फ मैं ही परेशान आदमी नहीं हूं दुनिया में, ऐसे बहुत लोग हैं जो मुझसे ज्यादा परेशान हैं, तकलीफ में हैं और दुखी हैं और जब वे उससे निकलने का प्रयास कर रहे हैं तो हम क्यों नहीं इस समस्या से निजात पा सकते हैं.
परिवार वाले और मित्रों को ध्यान देने की आवश्यकता: मनोचिकित्सक जुल्फिकार अली भुट्टो ने बताया कि अगर कोई आत्महत्या के लिए प्रेरित हो रहा है तो उनमें कुछ लक्षण दिखने लगते हैं. वह अकेले रहने लगता है अपने आप में खोया रहता है. कभी कभी उनमें चिड़चिड़ापन भी देखने को मिलता है. यहां परिवार वालों की भूमिका काफी अहम हो जाती है. परिवार वाले को चाहिए कि घर के परेशान सदस्य को अकेले न छोड़ें. उन्हें आत्मबल दें. अगर आप तनाव में हैं तो अपने परिवार वालों के सामने अपनी बात रखें या अपने मित्रों को परिस्थिति से अवगत कराएं.
कायरता न दिखाएं पॉजिटिव सोच डेवलप करें: मनोचिकित्सक का कहना है कि किसी भी क्षेत्र में आपको अगर हार हासिल हुई है या फिर आप किसी वजह से तनाव में हैं तो उससे उबरने का प्रयास करें. आप कायरता न दिखाएं. पॉजिटिव सोच डेवलप करें. आशावादी बनें, निराशाजनक बातों से दूर रहें. सुसाइड करना कायरता है, बुजदिली है इसलिए अच्छी सोच के साथ मेहनत करें और जीवन के पथ पर आगे बढ़े.