दुमका: मसलिया प्रखंड के रांगा ग्राम को दुमका के पूर्व सांसद शिबू सोरेन ने गोद लिया था. पूर्व सांसद के इस पहल से लोग काफी खुश हुए. उन्हें लगा कि अब हमारे ग्राम का तेजी से विकास होगा. नई-नई विकास योजना धरातल पर उतरेगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. आज भी इस पंचायत के लोगों को सड़क, स्वास्थ्य, सिंचाई जैसी मूलभूत सुविधाएं मयस्सर नही है.
ग्राम पंचायत रांगा
दुमका जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर मसलिया प्रखंड में है रांगा ग्राम पंचायत. इस पंचायत में 9 गांव हैं. झिलुआ, नगरापाथर, मयसापाथर, लताबड़, गोवासोल, रामखड़ी, कटाडूमर, मसलिया और रांगा. इस पंचायत की कुल आबादी लगभग सात हजार है. मतदाताओं की संख्या 4750 है, जिसमें 2736 पुरुष और 2013 महिलाएं हैं. यहां कुल सरकारी विद्यालयों की संख्या 11 है, जिसमें नौ प्राथमिक और मध्य विद्यालय, जबकि 2 उच्च विद्यालय है. 2 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी है. एक रांगा और दूसरा लताबड़ गांव में. यहां सिंचाई का प्रमुख साधन तालाब और कुआं है, जबकि तीन चेकडैम है. लोगों के वित्तीय लेनदेन के लिए पूरे पंचायत में एक सार्वजनिक बैंक एसबीआई का है, जो प्रखंड मुख्यालय मसलिया में है. बच्चों के लिए खेल का मैदान एक भी नहीं है.
सड़कें जर्जर
रांगा ग्राम पंचायत में सड़क की स्थिति काफी बदहाल है. सड़क की स्थिति इतनी बदतर है कि इसमें वाहन छोड़िए पैदल चलना भी मुश्किल है. यही स्थिति झिलुआ, नगरापाथर गांव के सड़कों की है. इस गांव में वर्षों पहले सड़क बना तो था, लेकिन यह पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. अगर लताबड़-गोवासोल की ओर आप जाएं तो इन सड़कों की स्थिति अत्यंत बदहाल है.
स्वास्थ्य सुविधा की भी स्थिति बेहाल
इस पंचायत में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है. लताबड़ गांव में पहले से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र था और 2 वर्ष पहले रांगा गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बना, लेकिन दोनों अस्पताल में डॉक्टर नहीं आते हैं और एएनएम के भरोसे इलाज होता है.
नहीं सुधरी सिंचाई की स्थिति
रांगा में रोजगार का मुख्य साधन कृषि है. ऐसे में यहां सिंचाई की सुविधा बेहतर होनी चाहिए थी. सांसद शिबू सोरेन के द्वारा गोद लिए जाने के बाद लोगों को उम्मीद बनी कि अब सिंचाई की नई योजना जमीन पर उतरेगी जिससे वे खेती कर सकेंगे, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं. यहां के तीन गांव लताबड़, गोवासोल और झिलवा में प्रमुख रूप से खेती होती है. इन गांवों में जो पुरानी सिंचाई व्यवस्था थी वह जर्जर हो चुकी है. चेक डैम है पर उसमें भी साल के 6 महीने पानी रहता है और उसी 6 महीने खेती होती है. बाकी के महीनों में खेत सूखे नजर आते हैं.
क्या कहते हैं ग्रामीण?
ग्रामीणों का कहना है कि सड़कों की स्थिति काफी बदहाल है, जिससे आवागमन में काफी परेशानी होती है. वहीं, लोग स्वास्थ्य सुविधा बेहतर नहीं रहने से परेशान हैं. उनका कहना है कि अगर बीमार पड़े तो सीधा पश्चिम बंगाल जाना पड़ता है क्योंकि दुमका का जिला मुख्यालय का अस्पताल भी बहुत अच्छा नहीं है. सिंचाई के मामले में भी लोगों में काफी नाराजगी है. उनका कहना है कि 90 के दशक में जो सिंचाई व्यवस्था थी वह बदहाल हो चुकी है. चेक डैम में सालों भर पानी नहीं रहता. खेती का काम कैसे होगा. वह सरकार से अविलंब इस पर ध्यान देने की मांग कर रहे हैं.
सांसद प्रतिनिधि ने भी कमी को किया स्वीकार
दुमका के पूर्व सांसद शिबू सोरेन के सांसद प्रतिनिधि रह चुके विजय कुमार सिंह ने भी स्वीकार किया कि रांगा पंचायत को शिबू सोरेन ने गोद लिया था, लेकिन उसका विकास बिल्कुल नहीं हुआ. वे कहते हैं सरकार ने इस पर ध्यान ही नहीं दिया. जिला प्रशासन की जो पहल होनी चाहिए थी वह नहीं हुई. उनका कहना है कि हमलोगों का यह प्रयास होगा कि रांगा का विकास हो और इसके लिए वे वर्तमान सरकार से बात करेंगे.
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जल्द होगा विकास: उपायुक्त
दुमका की उपायुक्त राजेश्वरी बी ने कहा कि ऐसा गांव, जिसे किसी जनप्रतिनिधि या जिला प्रशासन ने गोद लिया है. सभी गांवों की सूची बनाई जा रही है. उन्होंने कहा कि बहुत जल्द इन गांवों में विकास के काम होंगे.
जब किसी ग्राम पंचायत को कोई जनप्रतिनिधि गोद लेता है तो लोगों को उम्मीद बन जाती है कि अब इसका विकास होगा पर ऐसा नहीं होता तो उन्हें काफी निराशा होती है. अब देखना दिलचस्प होगा कि रांगा पंचायत जिसे शिबू सोरेन ने गोद लिया था और अब फिर से झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार राज्य में है तो क्या रांगा का विकास होता है या फिर लोग विकास की आशा ही लगाते रहेंगे.