दुमका: यह तस्वीर है अबुआ दिसुम अबुआ राज युग के उस आदिवासी गांव की जहां के ग्रामीण आज भी उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं. मामला सूबे के मंत्री बादल पत्रलेख के विधानसभा क्षेत्र जरमुंडी के अंतर्गत भोड़ाबाद पंचायत के धोबरना गांव का है. यहां आजादी के सात दशक बाद भी सड़क जैसी बुनियादी सुविधा बहाल नहीं हो पाई है. सड़क नहीं रहने के कारण प्रसव पीड़ा से परेशान गांव की गर्भवती महिला निमाली सोरेन को अस्पताल पहुंचाने के लिए परिजनों ने खाट पर लिटा कर बांस के सहारे ढोकर, नदीं, नाला पार करते हुए पगडंडी के रास्ते मुख्य सड़क तक ले गए.
इस दौरान वाहन जैसी सरकारी सुविधा भी नहीं मिल पाने के कारण किराए के वाहन से गर्भवती महिला को समय पर अस्पताल पहुंचाया गया, जो राज्य के विकास की पोल खोलती नजर आ रही है. यहां बता दें कि धोबरना गांव तक पहुंचने के लिए कोई सड़क नहीं है. ग्रामीण कई बार जनप्रतिनिधियों से सड़क बनाने की गुहार लगा चुके हैं. अब तक इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई है. ग्रामीण बताते हैं कि बारिश के दिनों में उनका गांव एक टापू बन कर रह जाता है और उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी ने कहा हमारे संज्ञान में अभी तक ऐसा मामला नहीं आया है. हम पता लगाते हैं.
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दुमका जिले के जरमुंडी प्रखंड क्षेत्र के भोडाबाद पंचायत के धोबरना गांव के लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं से दूर हैं. बताते चलें कि ना तो गांव तक जाने के लिए कोई सड़क है और ना ही स्वास्थ्य व्यवस्था है. गांव के लोग किसी तरह अपना जीवन यापन कर रहे हैं. ग्रामीणों ने कई बार पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को इस गांव में सरकारी सुविधाओं को लेकर ध्यान आकृष्ट कराया लेकिन मिला सिर्फ आश्वासन. जरमुंडी प्रखंड मुख्यालय से इस गांव की दूरी महज 8 से 9 किलोमीटर है. फिर भी यह हाल है तो सुदूर ग्रामीण क्षेत्र का क्या हाल होगा यह सोचा जा सकता है.