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दुमकाः इस सरकारी विभाग के कर्मी हैं शर्मिंदा, नहीं कर पा रहे बीमार लोगों को चंगा

दुमका शहर के बीचों-बीच स्थित जिला संयुक्त औषधालय में होम्योपैथी, यूनानी और आयुर्वेदिक के तीन डॉक्टर होने चाहिए पर एक भी डॉक्टर यहां कार्यरत नहीं हैं. यहां काम कर रहे कर्मियों का कहना है कि जब कोई मरीज यहां आता है तो हम उन्हें समझा-बुझाकर वापस भेज देते हैं. वह कहते हैं कि हमें काफी बुरा लगता है कि यहां किसी तरह का इलाज नहीं होता.

District sanyukt aushdhalay in dumka
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Published : Jan 7, 2020, 9:45 PM IST

दुमका: आमतौर पर किसी भी विभाग के कर्मियों को इस बात का संतोष रहता है कि हमें जो काम दिया गया है, वो उस काम को कर रहे हैं. इससे जनता को लाभ मिल रहा है, लेकिन आज हम दुमका के एक ऐसे विभाग के बारे में बताते हैं, जहां के कर्मियों को इस बात का अफसोस है कि उन्हें जनता की सेवा करनी है पर वो नहीं कर पा रहे हैं.

देखिए स्पेशल स्टोरी

अस्पताल में नहीं है एक भी डॉक्टर
दरअसल, शहर के बीचो-बीच स्थित जिला संयुक्त औषधालय में होम्योपैथी, यूनानी और आयुर्वेद के तीन डॉक्टर होने चाहिए पर एक भी डॉक्टर यहां कार्यरत नहीं है. सबसे बड़ी बात यह है कि एक भी दवा इस अस्पताल में नहीं है. जाहिर है यहां मरीजों को कोई फायदा नहीं मिल पा रहा है. अब तो मरीजों ने यहां आना भी छोड़ दिया है, जो मरीज भूले-भटके यहां पहुंच जाते हैं, उन्हें यहां के चार चतुर्थवर्गीय कर्मचारी समझा-बुझाकर वापस भेज देते हैं.

क्या कहते हैं कार्यरत कर्मचारी
इस जिला संयुक्त औषधालय में चार चतुर्थवर्गीय कर्मी हैं. चारों दिन भर बैठ कर अपना समय गुजारते हैं. उनका कहना है कि जब कोई मरीज यहां आता है तो हम उन्हें समझा-बुझाकर वापस भेज देते हैं. वह कहते हैं हमें काफी बुरा लगता है कि यहां किसी तरह का इलाज नहीं होता.

ग्रामीण आयुष औषधालय का भी बुरा हाल
दुमका जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में 10 आयुष औषधालय हैं. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इन 10 ग्रामीण आयुष औषधालय में सिर्फ दो अस्पताल में एक-एक चिकित्सक कार्यरत हैं. बाकी सभी अस्पताल बिना डॉक्टर के हैं. जाहिर है कि यह पूरा विभाग भगवान भरोसे चल रहा है.

ये भी पढे़ं: नक्सलियों के खिलाफ जारी रहेगा अभियान, साल 2019 में मारे गए थे 26 नक्सली
इस संबंध में दुमका की उपायुक्त राजेश्वरी बी से बात की तो उन्होंने कहा कि इन औषधालय को दुरुस्त करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं और जल्दी सब कुछ बेहतर होगा. आज समाज में काफी संख्या में ऐसे लोग हैं जो होम्योपैथी, यूनानी और आयुर्वेदिक पद्धति से अपना इलाज कराना चाहते हैं. सरकार ने उनके लिए ऐसे अस्पताल की व्यवस्था की है, लेकिन उचित देखरेख के अभाव में लाखों खर्च होने के बावजूद जनता को लाभ नहीं मिल पा रहा है.

दुमका: आमतौर पर किसी भी विभाग के कर्मियों को इस बात का संतोष रहता है कि हमें जो काम दिया गया है, वो उस काम को कर रहे हैं. इससे जनता को लाभ मिल रहा है, लेकिन आज हम दुमका के एक ऐसे विभाग के बारे में बताते हैं, जहां के कर्मियों को इस बात का अफसोस है कि उन्हें जनता की सेवा करनी है पर वो नहीं कर पा रहे हैं.

देखिए स्पेशल स्टोरी

अस्पताल में नहीं है एक भी डॉक्टर
दरअसल, शहर के बीचो-बीच स्थित जिला संयुक्त औषधालय में होम्योपैथी, यूनानी और आयुर्वेद के तीन डॉक्टर होने चाहिए पर एक भी डॉक्टर यहां कार्यरत नहीं है. सबसे बड़ी बात यह है कि एक भी दवा इस अस्पताल में नहीं है. जाहिर है यहां मरीजों को कोई फायदा नहीं मिल पा रहा है. अब तो मरीजों ने यहां आना भी छोड़ दिया है, जो मरीज भूले-भटके यहां पहुंच जाते हैं, उन्हें यहां के चार चतुर्थवर्गीय कर्मचारी समझा-बुझाकर वापस भेज देते हैं.

क्या कहते हैं कार्यरत कर्मचारी
इस जिला संयुक्त औषधालय में चार चतुर्थवर्गीय कर्मी हैं. चारों दिन भर बैठ कर अपना समय गुजारते हैं. उनका कहना है कि जब कोई मरीज यहां आता है तो हम उन्हें समझा-बुझाकर वापस भेज देते हैं. वह कहते हैं हमें काफी बुरा लगता है कि यहां किसी तरह का इलाज नहीं होता.

ग्रामीण आयुष औषधालय का भी बुरा हाल
दुमका जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में 10 आयुष औषधालय हैं. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इन 10 ग्रामीण आयुष औषधालय में सिर्फ दो अस्पताल में एक-एक चिकित्सक कार्यरत हैं. बाकी सभी अस्पताल बिना डॉक्टर के हैं. जाहिर है कि यह पूरा विभाग भगवान भरोसे चल रहा है.

ये भी पढे़ं: नक्सलियों के खिलाफ जारी रहेगा अभियान, साल 2019 में मारे गए थे 26 नक्सली
इस संबंध में दुमका की उपायुक्त राजेश्वरी बी से बात की तो उन्होंने कहा कि इन औषधालय को दुरुस्त करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं और जल्दी सब कुछ बेहतर होगा. आज समाज में काफी संख्या में ऐसे लोग हैं जो होम्योपैथी, यूनानी और आयुर्वेदिक पद्धति से अपना इलाज कराना चाहते हैं. सरकार ने उनके लिए ऐसे अस्पताल की व्यवस्था की है, लेकिन उचित देखरेख के अभाव में लाखों खर्च होने के बावजूद जनता को लाभ नहीं मिल पा रहा है.

Intro:दुमका -
आमतौर पर किसी भी विभाग के कर्मियों को इस बात का संतोष होता है कि हमें जो काम दिया गया हम वह वह काम कर रहे हैं और इससे जनता को लाभ मिल रहा है । लेकिन आज हम दुमका के एक ऐसे विभाग के बारे में बताते हैं जहां के कर्मियों को इस बात का अफसोस है कि हमें जनता की सेवा करनी है पर हम नहीं कर पा रहे हैं । वह इसके लिए अपने को लज्जित महसूस करते हैं । यह विभाग है देसी चिकित्सालय अस्पताल , जिला संयुक्त औषधालय ।

अस्पताल में नहीं है एक भी डॉक्टर और न एक दवा ।
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दरअसल शहर के बीचोंबीच स्थित जिला संयुक्त औषधालय में होम्योपैथी , यूनानी और आयुर्वेदिक के तीन डॉक्टर होने चाहिए पर एक भी डॉक्टर यहां कार्यरत नहीं है । सबसे बड़ी बात यह है कि एक भी दवा इस अस्पताल में नहीं है । जाहिर है यहां मरीजों को कोई फायदा नहीं मिल पा रहा है । अब तो मरीजों ने यहां आना भी छोड़ दिया है । जो मरीज भूले भटके यहां पहुंच जाते हैं उन्हें यहां के चार चतुर्थवर्गीय कर्मचारी समझा-बुझाकर वापस भेज देते हैं ।


Body:क्या कहते हैं कार्यरत कर्मी ।
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इस जिला संयुक्त औषद्यालय में चार चतुर्थवर्गीय कर्मी है । चारों दिन भर बैठ कर अपना समय गुजारते हैं । उनका कहना है कि जब कोई मरीज यहां आता है तो हम उन्हें समझा-बुझाकर वापस भेज देते हैं । वह कहते हैं हमें काफी बुरा लगता है कि यहां किसी तरह का इलाज नहीं कर पा रहे हैं । काफी लज्जित महसूस होता है हमें ।

बाईट अशोक मंडल , कर्मी
बाईंट - गीता देवी कर्मी
बाईट - उपेंद्र यादव , कर्मी

ग्रामीण आयुष औषधालय का भी हाल बुरा ।
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दुमका जिले में ग्रामीण क्षेत्रों में 10 आयुष औषधालय हैं । आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इन 10 ग्रामीण आयुष औषधालय में सिर्फ दो अस्पताल में एक - एक चिकित्सक कार्यरत हैं । बाकी सभी अस्पताल बिना डॉक्टर के हैं । जाहिर है कि यह पूरा विभाग भगवान भरोसे चल रहा है ।

वेतन मद और अन्य खर्च संसाधनों में होते हैं लाखों खर्च ।
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देसी चिकित्सा पद्धति के इन सरकारी अस्पतालों में वेतन मद में लाखों रुपए प्रतिमाह खर्च हो रहे हैं पर मरीजों को सुविधा नहीं के बराबर है । ऐसे में एक तरह से यह सरकारी राशि का दुरुपयोग माना जा सकता है ।


Conclusion:क्या कहती हैं दुमका की उपायुक्त ।
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इस संबंध में हमने सीधे दुमका के उपायुक्त राजेश्वरी बी से बात की । उन्होंने कहा कि इन औषधालय को दुरुस्त करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं और जल्दी सब कुछ बेहतर होगा ।

फाईनल वीओ -
आज समाज में काफी संख्या में ऐसे लोग हैं जो होम्योपैथी , यूनानी और आयुर्वेदिक पद्धति से अपना इलाज कराना चाहते हैं । सरकार ने उनके लिए ऐसे अस्पताल की व्यवस्था की है लेकिन उचित देखरेख के अभाव में लाखों खर्च होने के बावजूद जनता को लाभ नहीं मिल पा रहा है ।

मनोज केशरी
ईटीवी भारत
दुमका
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