दुमका: आमतौर पर किसी भी विभाग के कर्मियों को इस बात का संतोष रहता है कि हमें जो काम दिया गया है, वो उस काम को कर रहे हैं. इससे जनता को लाभ मिल रहा है, लेकिन आज हम दुमका के एक ऐसे विभाग के बारे में बताते हैं, जहां के कर्मियों को इस बात का अफसोस है कि उन्हें जनता की सेवा करनी है पर वो नहीं कर पा रहे हैं.
अस्पताल में नहीं है एक भी डॉक्टर
दरअसल, शहर के बीचो-बीच स्थित जिला संयुक्त औषधालय में होम्योपैथी, यूनानी और आयुर्वेद के तीन डॉक्टर होने चाहिए पर एक भी डॉक्टर यहां कार्यरत नहीं है. सबसे बड़ी बात यह है कि एक भी दवा इस अस्पताल में नहीं है. जाहिर है यहां मरीजों को कोई फायदा नहीं मिल पा रहा है. अब तो मरीजों ने यहां आना भी छोड़ दिया है, जो मरीज भूले-भटके यहां पहुंच जाते हैं, उन्हें यहां के चार चतुर्थवर्गीय कर्मचारी समझा-बुझाकर वापस भेज देते हैं.
क्या कहते हैं कार्यरत कर्मचारी
इस जिला संयुक्त औषधालय में चार चतुर्थवर्गीय कर्मी हैं. चारों दिन भर बैठ कर अपना समय गुजारते हैं. उनका कहना है कि जब कोई मरीज यहां आता है तो हम उन्हें समझा-बुझाकर वापस भेज देते हैं. वह कहते हैं हमें काफी बुरा लगता है कि यहां किसी तरह का इलाज नहीं होता.
ग्रामीण आयुष औषधालय का भी बुरा हाल
दुमका जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में 10 आयुष औषधालय हैं. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इन 10 ग्रामीण आयुष औषधालय में सिर्फ दो अस्पताल में एक-एक चिकित्सक कार्यरत हैं. बाकी सभी अस्पताल बिना डॉक्टर के हैं. जाहिर है कि यह पूरा विभाग भगवान भरोसे चल रहा है.
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इस संबंध में दुमका की उपायुक्त राजेश्वरी बी से बात की तो उन्होंने कहा कि इन औषधालय को दुरुस्त करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं और जल्दी सब कुछ बेहतर होगा. आज समाज में काफी संख्या में ऐसे लोग हैं जो होम्योपैथी, यूनानी और आयुर्वेदिक पद्धति से अपना इलाज कराना चाहते हैं. सरकार ने उनके लिए ऐसे अस्पताल की व्यवस्था की है, लेकिन उचित देखरेख के अभाव में लाखों खर्च होने के बावजूद जनता को लाभ नहीं मिल पा रहा है.