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धूल फांक रहा है महिलाओं के लिए बनाया गया छात्रावास, दो साल बाद भी किसी को नहीं मिली रहने की जगह

दुमका में सदर प्रखंड के हिजला में दो साल पहले कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास (Womens Hostel) का निर्माण कराया गया. लेकिन आज तक किसी महिलाओं को उसमें रहने की जगह नहीं दी गई. इस हॉस्टल (Hostel) में वैसी महिलाओं के रहने की व्यवस्था की गई है जो दूसरे शहर या जिले से आकर दुमका में नौकरी करती हैं. लेकिन समाज कल्याण विभाग ने जिस उद्देश्य से यह भवन बनवाया उसकी पूर्ति आज तक नहीं हुई.

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छात्रावास में ताला
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Published : Sep 17, 2021, 6:18 PM IST

Updated : Sep 17, 2021, 7:19 PM IST

दुमका: जनकल्याण के लिए सरकार योजना बनाती है. उस योजना को धरातल पर उतारने के लिए एक बड़ी राशि खर्च की जाती है. लेकिन दुमका के सदर प्रखंड के हिजला में जिस उद्येश्य से योजना बनाई गई वह आज तक धरातल पर नहीं उतर पाई. दो साल पहले हिजला में कामकाजी महिलाओं के लिए एक छात्रावास (Womens Hostel) का निर्माण कराया गया. लेकिन आज तक किसी महिला को उसमें रहने की जगह नहीं दी गई.



इसे भी पढे़ं: छात्रावास के नाम में जुड़े एक शब्द के चलते बंद पड़ा छात्रावास, जानिए पूरी बात


उपराजधानी दुमका में 2018 में झारखंड सरकार के समाज कल्याण विभाग की ओर से एक नया प्रयोग किया गया. जिस तरह से स्कूल, कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं को सरकार छात्रावास उपलब्ध कराती है. उसी तरह कामकाजी महिलाओं के लिए हिजला में एक करोड़ की लागत से एक हॉस्टल का निर्माण कार्य शुरू हुआ. 2019 में हॉस्टल बनकर तैयार हो गया और तात्कालीन समाज कल्याण मंत्री लुईस मरांडी ने इसका उद्घाटन किया. इस हॉस्टल में वैसी महिलाओं के रहने की व्यवस्था की गई है जो दूसरे शहर या जिले से आकर दुमका में नौकरी करती हैं. लेकिन समाज कल्याण विभाग ने जिस उद्देश्य से यह भवन बनवाया उसकी पूर्ति आज तक नहीं हुई. किसी भी महिलाओं को इस हॉस्टल में रहने के लिए जगह उपलब्ध नहीं कराया गया.

देखें पूरी खबर

क्या कहती हैं कामकाजी महिला

दुमका में सैकड़ों महिलाएं ऐसी हैं जो दूसरे जिलों से आकर यहां सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में नौकरी करती हैं. ऐसी महिलाओं को ऊंची कीमत में किराए पर मकान लेकर रहना पड़ता है. जिसमें उनके वेतन का एक बड़ा हिस्सा खर्च हो जाता है. सरकार ने ऐसी कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास का निर्माण करवाया है. लेकिन महिलाओं को रहने के लिए छात्रावास में जगह नहीं दी गई है. कामकाजी महिलाओं का कहना है कि सरकार का उद्देश्य तो काफी सकारात्मक है कि हमारे लिए उन्होंने हॉस्टल का निर्माण करवाया. लेकिन अभी तक यह हमारे लिए उपलब्ध नहीं हो पाया, जो काफी दुखद है. उन्होंने जल्द से जल्द महिलाओं को हॉस्टल में रहने के लिए जगह उपलब्ध कराने की मांग की.

इसे भी पढे़ं: जर्जर सरकारी छात्रावास में छात्र रहने को मजबूर, कभी भी सकता है हादसा


क्या कहती हैं समाज कल्याण पदाधिकारी

कामकाजी महिलाओं के लिए समाज कल्याण विभाग ने हॉस्टल का निर्माण करवाया है. ईटीवी भारती की टीम ने बंद पड़े हॉस्टल को लेकर जिला समाज कल्याण पदाधिकारी अनिता कुजूर से बात की. उन्होंने बताया कि भले ही यह हॉस्टल वर्किंग वूमेन के लिए बनाया गया लेकिन जब कोविड-19 का प्रकोप आया तो उस दौरान इसमें कोविड-19 के मरीजों को रखा गया था. अनिता कुजूर कहती हैं कि मेरा प्रयास होगा कि जल्द से जल्द यह हॉस्टल कामकाजी महिलाओं को उपलब्ध कराया जाएगा.

दुमका: जनकल्याण के लिए सरकार योजना बनाती है. उस योजना को धरातल पर उतारने के लिए एक बड़ी राशि खर्च की जाती है. लेकिन दुमका के सदर प्रखंड के हिजला में जिस उद्येश्य से योजना बनाई गई वह आज तक धरातल पर नहीं उतर पाई. दो साल पहले हिजला में कामकाजी महिलाओं के लिए एक छात्रावास (Womens Hostel) का निर्माण कराया गया. लेकिन आज तक किसी महिला को उसमें रहने की जगह नहीं दी गई.



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उपराजधानी दुमका में 2018 में झारखंड सरकार के समाज कल्याण विभाग की ओर से एक नया प्रयोग किया गया. जिस तरह से स्कूल, कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं को सरकार छात्रावास उपलब्ध कराती है. उसी तरह कामकाजी महिलाओं के लिए हिजला में एक करोड़ की लागत से एक हॉस्टल का निर्माण कार्य शुरू हुआ. 2019 में हॉस्टल बनकर तैयार हो गया और तात्कालीन समाज कल्याण मंत्री लुईस मरांडी ने इसका उद्घाटन किया. इस हॉस्टल में वैसी महिलाओं के रहने की व्यवस्था की गई है जो दूसरे शहर या जिले से आकर दुमका में नौकरी करती हैं. लेकिन समाज कल्याण विभाग ने जिस उद्देश्य से यह भवन बनवाया उसकी पूर्ति आज तक नहीं हुई. किसी भी महिलाओं को इस हॉस्टल में रहने के लिए जगह उपलब्ध नहीं कराया गया.

देखें पूरी खबर

क्या कहती हैं कामकाजी महिला

दुमका में सैकड़ों महिलाएं ऐसी हैं जो दूसरे जिलों से आकर यहां सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में नौकरी करती हैं. ऐसी महिलाओं को ऊंची कीमत में किराए पर मकान लेकर रहना पड़ता है. जिसमें उनके वेतन का एक बड़ा हिस्सा खर्च हो जाता है. सरकार ने ऐसी कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास का निर्माण करवाया है. लेकिन महिलाओं को रहने के लिए छात्रावास में जगह नहीं दी गई है. कामकाजी महिलाओं का कहना है कि सरकार का उद्देश्य तो काफी सकारात्मक है कि हमारे लिए उन्होंने हॉस्टल का निर्माण करवाया. लेकिन अभी तक यह हमारे लिए उपलब्ध नहीं हो पाया, जो काफी दुखद है. उन्होंने जल्द से जल्द महिलाओं को हॉस्टल में रहने के लिए जगह उपलब्ध कराने की मांग की.

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क्या कहती हैं समाज कल्याण पदाधिकारी

कामकाजी महिलाओं के लिए समाज कल्याण विभाग ने हॉस्टल का निर्माण करवाया है. ईटीवी भारती की टीम ने बंद पड़े हॉस्टल को लेकर जिला समाज कल्याण पदाधिकारी अनिता कुजूर से बात की. उन्होंने बताया कि भले ही यह हॉस्टल वर्किंग वूमेन के लिए बनाया गया लेकिन जब कोविड-19 का प्रकोप आया तो उस दौरान इसमें कोविड-19 के मरीजों को रखा गया था. अनिता कुजूर कहती हैं कि मेरा प्रयास होगा कि जल्द से जल्द यह हॉस्टल कामकाजी महिलाओं को उपलब्ध कराया जाएगा.

Last Updated : Sep 17, 2021, 7:19 PM IST
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