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पानी के लिए धरातल पर उतारी गई योजना, लेकिन अव्यवस्था के कारण हुई फेल - Irrigation Scheme

उपराजधानी दुमका में पानी से परेशान लोगों की सुविधा के लिए कल्याणकारी योजना तैयार करने और उसे धरातल पर उतारने में काफी खर्च करती है. लेकिन यंत्रों पर ध्यान नहीं देने के कारण और इस्तेमाल नहीं होने के कारण धीरे-धीरे यह जर्जर हो गया.

दुमका से एक खास रिपोर्ट
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Published : Apr 18, 2019, 10:13 AM IST

Updated : Apr 18, 2019, 11:42 AM IST

दुमका: राज्य सरकार जनता के लिए कल्याणकारी योजना तैयार करने और उसे धरातल पर उतारने में काफी खर्च करती है. लेकिन दीर्घकालिक योजनाओं में यह जरूरी होता है कि उसकी सही मॉनिटरिंग की जाए ताकी लोग उस लाभ से वंचित न रहे. कुछ ऐसा ही हाल देखने को मिला दुमका के लिफ्ट इरिगेशन योजना का दुमका से एक खास रिपोर्ट.

दुमका से एक खास रिपोर्ट

लिफ्ट इरिगेशन से नहीं मिल रहा है किसानों को लाभ
दुमका में लगभग दो दशक पहले नदियों में एक दर्जन से अधिक लिफ्ट इरिगेशन योजना किसानों के लिए स्थापित किया गया था. जिसका अबतक किसानों को इसका लाभ नहीं मिल सका. इसमें नदियों के बीच में इंटक वेल बना कर वहां से मोटर पंप से पानी लिफ्ट किया जाता और उसे फिर स्टोर कर खेतों में सिंचाई के लिए भेजा जाता था. लेकिन यंत्रों पर ध्यान नहीं देने के कारण और इस्तेमाल नहीं होने के कारण धीरे-धीरे यह जर्जर हो गया.

दो प्लांट की जमीनी हकीकत
इस लिफ्ट इरिगेशन के दो प्लांट की जमीनी हकीकत देखने को मिला. जहां पहला दुमका जिले के जामा प्रखण्ड के मुड़ माला गांव में टेपरा नदी पर बनी योजना और दूसरा सदर प्रखंड के हथियापाथर गांव में पुसारो नदी पर बनी योजना. दोनों योजनाओं में नदी में इंटकवेल अभी भी नजर आ रहा है, लेकिन देखरेख के अभाव में पम्प हाउस जर्जर हो गया है.
मुंडमाला गांव के किसान बाबूराम हांसदा ने कहा कि जब यह योजना चालू थी तो एक बड़ा भूभाग इससे सिंचित होता था. लेकिन पिछले कई साल से यह खराब है. अब सिंचाई के साधन के अभाव में कृषि कार्य में कमी आई और लोग रोजगार के लिए पलायन को मजबूर हैं. वहीं, कई अन्य किसानों ने भी इस सिंचाई परियोजना की तारीफ की और सरकार से मांग किया कि इसे ठीक किया जाए.

दुमका: राज्य सरकार जनता के लिए कल्याणकारी योजना तैयार करने और उसे धरातल पर उतारने में काफी खर्च करती है. लेकिन दीर्घकालिक योजनाओं में यह जरूरी होता है कि उसकी सही मॉनिटरिंग की जाए ताकी लोग उस लाभ से वंचित न रहे. कुछ ऐसा ही हाल देखने को मिला दुमका के लिफ्ट इरिगेशन योजना का दुमका से एक खास रिपोर्ट.

दुमका से एक खास रिपोर्ट

लिफ्ट इरिगेशन से नहीं मिल रहा है किसानों को लाभ
दुमका में लगभग दो दशक पहले नदियों में एक दर्जन से अधिक लिफ्ट इरिगेशन योजना किसानों के लिए स्थापित किया गया था. जिसका अबतक किसानों को इसका लाभ नहीं मिल सका. इसमें नदियों के बीच में इंटक वेल बना कर वहां से मोटर पंप से पानी लिफ्ट किया जाता और उसे फिर स्टोर कर खेतों में सिंचाई के लिए भेजा जाता था. लेकिन यंत्रों पर ध्यान नहीं देने के कारण और इस्तेमाल नहीं होने के कारण धीरे-धीरे यह जर्जर हो गया.

दो प्लांट की जमीनी हकीकत
इस लिफ्ट इरिगेशन के दो प्लांट की जमीनी हकीकत देखने को मिला. जहां पहला दुमका जिले के जामा प्रखण्ड के मुड़ माला गांव में टेपरा नदी पर बनी योजना और दूसरा सदर प्रखंड के हथियापाथर गांव में पुसारो नदी पर बनी योजना. दोनों योजनाओं में नदी में इंटकवेल अभी भी नजर आ रहा है, लेकिन देखरेख के अभाव में पम्प हाउस जर्जर हो गया है.
मुंडमाला गांव के किसान बाबूराम हांसदा ने कहा कि जब यह योजना चालू थी तो एक बड़ा भूभाग इससे सिंचित होता था. लेकिन पिछले कई साल से यह खराब है. अब सिंचाई के साधन के अभाव में कृषि कार्य में कमी आई और लोग रोजगार के लिए पलायन को मजबूर हैं. वहीं, कई अन्य किसानों ने भी इस सिंचाई परियोजना की तारीफ की और सरकार से मांग किया कि इसे ठीक किया जाए.

Intro:दुमका - सरकार जनता के लिये कल्याणकारी योजना तैयार करती है । उन योजनाओं को धरातल पर उतारने में काफी खर्च किया जाता है । लेकिन दीर्घकालिक योजनाओं में यह जरूरी होता है कि उसकी सही मॉनिटरिंग हो । ऐसा नहीं होने पर लोग उस लाभ से वंचित हो जाते हैं । कुछ ऐसा ही हाल देखने को मिल रहा है दुमका के लिफ्ट इर्रिगेशन योजना का । दुमका से एक खास रिपोर्ट ।


Body:लिफ्ट इर्रिगेशन से नहीं मिल रहा है किसानों को लाभ ।
दुमका में लगभग दो दशक पहले नदियों में एक दर्जन से अधिक लिफ्ट इर्रिगेशन योजना किसानों के लिए स्थापित किया गया था । किसानों को कई वर्षों तक इसका लाभ भी मिला । इसमें नदियों के बीच मे इंटक वेल बना कर वहाँ से मोटर पम्प से पानी लिफ्ट किया जाता और उसे फिर स्टोर कर खेतों में सिचाई के लिए भेजा जाता था । कुछ वर्षोँ के बाद इसके यंत्रों में जब थोड़ी बहुत खराबी आनी शुरू हुई तो उस पर ध्यान नहीं दिया गया । और जब इसका इस्तेमाल होना बंद हुआ तो फिर धीरे धीरे यह पुरी तरह से जर्जर स्थिति में पहुंच गया ।

दो प्लांट की जमीनी हकीकत
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हमने इस लिफ्ट इर्रिगेशन के दो प्लांट का जमीनी हकीकत देखी । पहला दुमका जिले के जामा प्रखण्ड के मुड़ माला गांव में टेपरा नदी पर बनी योजना और दूसरा सदर प्रखण्ड के हथियापाथर गांव में पुसारो नदी पर बनी योजना । दोनों योजना में नदी में तो इंटकवेल अभी भी नजर आ रहा है । पर वह नदी में धंस गया है । इसका पम्प हाऊस देखरेख के अभाव में जर्जर हो गया है ।


Conclusion:किसानों ने कहा - सरकार कर दे दुरुस्त तो नहीं करेंगे पलायन ।
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मुंडमाला गांव के किसान बाबूराम हांसदा ने कहा कि जब यह योजना चालू थी तो हमलोगों का एक बड़ा भूभाग इससे सिंचित होता था । लेकिन पिछले कई वर्ष से यह खराब है । अब सिचाई के साधन के अभाव में कृषि कार्य में कमी आई और लोग रोजगार के लिए पलायन को मजबूर हैं । वहीं कई अन्य किसानों ने भी इस सिंचाई परियोजना की तारीफ की और सरकार से मांग किया कि इसे ठीक किया जाये ।

बाईट - बाबूराम हांसदा , किसान , बाईट
बाईट - विशाल हेम्ब्रम , किसान बाईट
बाईट - अजय कुमार , स्थानीय नागरिक बाईट

फाईनल वीओ -
दुमका के पठारी क्षेत्र है । यहां की नदियों में सालों भर पानी नहीं रहता है । ऐसे में नदी में इंटकवेल बनाकर सिंचाई की यह योजना काफी सफल योजना साबित हुआ था । लेकिन अब इसके खराब हो जाने से किसान परेशान है ।

पीटीसी , मनोज दुमका
Last Updated : Apr 18, 2019, 11:42 AM IST
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